हर साल लाखों यूपीएससी उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होते हैं, हालांकि, कुछ ही भाग्यशाली लोग ही इसे पास कर पाते हैं. आईएस और आईएफएस अफसर का सपना संजोए कई लोग हर साल अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन कुछ ही लोग इसमें सफल होकर अपनी जीत का परचम लहरा पाते हैं. यूं तो प्रिलिम्स और मेन्स को क्लियर कर पाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता है. इसके लिए कड़ी मेहनत से की गई पढ़ाई और कई तरह के सवालों के जवाब खोजने पड़ते हैं.
वहीं परीक्षा में कई लीक से हटकर प्रश्न शामिल रहते हैं, जिनका उत्तर देना बेहद मुश्किल हो सकता है. कई बार प्रिलिम्स और मेन्स क्लियर करने के बाद लोग इंटरव्यू में जाकर अटक जाते हैं, जिसमें कई बार ऐसे सवाल पूछ लिए जाते हैं, जिसका जवाब देने में किसी का भी सिर चकराना लाजिमी है. हाल ही में भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी परवीन कास्वां (IFS Parveen Kaswan) ने अपने ट्विटर हैंडल से सिविल सेवा साक्षात्कार में भाग लेने के अपने अनुभव को साझा किया.
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दरअसल, IFS परवीन कस्वां ने अपने ट्विटर हैंडल से अपने इंटरव्यू का एक सवाल शेयर किया है. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, 'मेरा सिविल सर्विस इंटरव्यू ! इंटरव्यू ले रहे बोर्ड के तीसरे मेंबर ने पूछा- हम अंतरिक्ष मिशन पर करोड़ों खर्च कर रहे हैं और हमारे यहां इतनी गरीबी है, आप इसे कैसे देखते हैं?' इस सवाल पर परवीन कस्वां ने जवाब दिया कि, 'सर, मुझे लगता है कि दोनों चीजें प्रकृति में प्रतिस्पर्धी नहीं हैं. 1928 में डॉ. सीवी रमन ने समुद्र के पानी के रंग के बारे में बात करते हुए रमन स्कैटरिंग का विचार लेकर आए थे. आज मेडिकल साइंस के साथ ही कई क्षेत्रों में रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. चिकित्सा विज्ञान में समय लगता है, लेकिन अनुसंधान फल प्रदान करता है.'
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर साझा किए गए उनके इस पोस्ट को चंद घंटों में 342.4K व्यूज मिल चुके हैं, जबकि 2 हजार से ज्यादा लोगों ने इस पोस्ट को लाइक किया है. पोस्ट को खूब देखा और पसंद किया जा रहा है. पोस्ट देख चुके यूजर्स इस पर तरह-तरह के रिएक्शन दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, 'दोनों चीजें आपस में गहराई से जुड़ी हुई हैं. कई पाथब्रेकिंग इनोवेशन अचानक हुए हैं. हमें इनकी विशिष्टता देखनी चाहिए. तुलना तो नहीं करनी चाहिए.'
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