असम के सिलचर में एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित किए गए नवजात के जिंदा पाए जाने से इलाके में हंगामा हो गया. एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. अधिकारी के मुताबिक, नवजात के पिता रत्न दास ने दावा किया कि वह अपनी पत्नी को मंगलवार शाम को एक निजी अस्पताल ले गया था, जहां चिकित्सकों ने बताया कि डिलिवरी में दिक्कत है और वे मां या फिर बच्चे में से किसी एक को ही बचा सकते हैं.
दास ने बताया कि हमने उन्हें (चिकित्सकों को) डिलिवरी की इजाजत दे दी और उन्होंने हमें बताया कि मेरी पत्नी ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया है. उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह अस्पताल प्राधिकारियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ एक थैले में हमें बच्चा सौंप दिया. उन्होंने बताया कि जब परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार के लिए श्मशान पहुंचे और थैला खोला तो बच्चे ने रोना शुरू कर दिया. दास ने बताया कि हम नवजात को अस्पताल ले गए, जहां उसका इलाज किया जा रहा है.
अस्पताल और चिकित्सक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि अस्पताल कर्मियों ने नवजात को आठ घंटे से ज्यादा एक थैले में रखा और वो भी बिना जांच किए कि बच्चा मरा हुआ है या फिर जिंदा. शहर के मैनाबिल इलाके में गुस्साएं लोग अस्पताल के बाहर एकत्र हुए और बुधवार को प्रदर्शन किया. अस्पताल प्राधिकारियों का कहना है कि उन्होंने मृत घोषित करने से पहले आठ घंटे तक बच्चे को निगरानी में रखा था.
अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया, ''हमने कई बार बच्चे की जांच की और वह हरकत नहीं कर रहा था. हमने सभी जरूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद बच्चे को मृत घोषित किया और उसे परिवार को सौंप दिया. हमारी तरफ से कोई गलत मंशा नहीं थी.''