शिकार के बाद आराम करते दिखे चीते, तो शावकों ने अपनी मस्ती से जीता लोगों का दिल, कूनो नेशनल पार्क का Video वायरल

हाल ही में एक पोस्ट में, मंत्री यादव ने नर चीतों अग्नि और वायु का एक वीडियो साझा किया, जिसमें वे अपनी शिकार क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं और अपने प्राकृतिक आवास में भरपूर भोजन का आनंद ले रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
शिकार के बाद आराम करते दिखे चीते, तो शावकों ने अपनी मस्ती से जीता लोगों का दिल

भारत का महत्वाकांक्षी "प्रोजेक्ट चीता" सफलता के आशाजनक संकेत दे रहा है. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने हाल ही में कुनो राष्ट्रीय उद्यान के घास के मैदानों में फल-फूल रहे शानदार चीतों के दो खूबसूरत वीडियो साझा किए हैं. ये नए वीडियो 70 साल पहले विलुप्त हो चुके चीतों को देश में पुनः स्थापित करने के चल रहे प्रयासों की एक प्रभावशाली झलक प्रस्तुत करते हैं.

हाल ही में एक पोस्ट में, मंत्री यादव ने नर चीतों अग्नि और वायु का एक वीडियो साझा किया, जिसमें वे अपनी शिकार क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं और अपने प्राकृतिक आवास में भरपूर भोजन का आनंद ले रहे हैं. 4 दिसंबर, 2024 को जंगल में छोड़े गए अग्नि और वायु, उन वयस्क चीतों का हिस्सा हैं जिन्हें पिछले डेढ़ साल में धीरे-धीरे कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया है.

उत्साह को और बढ़ाते हुए, मंत्री ने आशा चीता के 18 महीने के नर शावकों का एक और दिल को छू लेने वाला वीडियो भी साझा किया. इन नन्हे चीतों ने एक समूह बनाया है और उन्हें जंगल में आराम करते देखा गया है, जो पार्क के भीतर सफल सामाजिक एकीकरण और अनुकूलन का एक महत्वपूर्ण संकेत है.

Advertisement

देखें Video:

Advertisement

"प्रोजेक्ट चीता", एक ऐतिहासिक संरक्षण पहल, आधिकारिक तौर पर 17 सितंबर, 2022 को शुरू हुई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से स्थानांतरित किए गए आठ चीतों के पहले समूह को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा. इसके बाद 18 फरवरी, 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों का एक दूसरा समूह आया, जिससे पार्क की चीता आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई.

भारत सरकार के एक बयान के अनुसार, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों का कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरण सफल रहा है, जहां चीतों ने अच्छी तरह से अनुकूलन किया है और शिकार तथा संभोग जैसे प्राकृतिक व्यवहार प्रदर्शित किए हैं. उल्लेखनीय है कि एक मादा नामीबियाई चीता, आशा, ने 75 साल की अनुपस्थिति के बाद भारतीय धरती पर तीन शावकों को जन्म दिया है. इस परियोजना ने 'चीता मित्रों' के माध्यम से स्थानीय समुदायों को भी जोड़ा है, जिससे सह-अस्तित्व को बढ़ावा मिला है और रोज़गार के अवसर प्रदान किए गए हैं, जिससे क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

Advertisement

ये भी पढ़ें: जापानी शख्स गुरुग्राम में ढूंढ रहा था फ्लैट, यूजर बोले- भाई बारिश में तालाब में तब्दील हो जाती है पूरी सिटी, कहीं ओर देखो

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bihar Politics: Tejashwi-Rahul पर Deputy CM Vijay Sinha का तीखा हमला, 'अप्पू-पप्पू की मानसिकता...'
Topics mentioned in this article