अगर सुबह 7 किलोमीटर जाने में 73 मिनट लग जाएं, तो क्या इसे जिंदगी कहेंगे?

Bengaluru traffic viral post: ट्रैफिक जाम से तंग आकर बेंगलुरु में रहने वाले एक शख्स ने रेडिट पर एक ऐसी पोस्ट लिखी है, जो अब जमकर वायरल हो रही है.

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बेंगलुरु की सड़कों पर 7.3 KM के लिए 70 मिनट, यूजर का दर्द हुआ वायरल

7km 70 minute traffic: बेंगलुरु के एक शख्स ने रेडिट पर एक ऐसा सवाल पूछा की देखते ही देखते उसकी पोस्ट वायरल हो गई. ट्रैफिक जाम से जूझ रहे इस यूजर की कहानी आज हर उस इंसान की कहानी है, जो मेट्रो सिटीज में हर दिन अपनी ज़िंदगी की घंटों बर्बाद करता है. रेडिट पर @lefttothecentre नाम के यूजर ने लिखा कि कैसे एक नई गाड़ी में, ऑफिस के रास्ते पर, सिर्फ 7.3 किमी की दूरी तय करने में 73 मिनट लग गए और माइलेज मिला 4.4 किमी प्रति लीटर. ये आंकड़े नहीं, सिस्टम की नाकामी का आईना हैं.

बेंगलुरु ट्रैफिक जाम (bangalore jam viral)

यूजर की पोस्ट में लिखा था, ना ये पहली बार हुआ, ना आखिरी. ये रोज होता है...वही रास्ता, वही जाम, वही खोदी हुई सड़कें, वही बेमतलब की प्लानिंग...किसलिए हम देश में सबसे ज़्यादा रोड टैक्स देते हैं? उसने आगे लिखा कि बेंगलुरु में फुटपाथ टूटे हुए हैं या हैं ही नहीं, सिग्नल सिंक नहीं करते, लेन मार्किंग गायब है और हर जंक्शन जाम का घर बना है. बीबीएमपी, बीटीपी...सभी विभाग एक-दूसरे से जुड़े ही नहीं हैं. लोगों की परेशानी किसी की प्राथमिकता ही नहीं.

यहां देखें पोस्ट

7.3 km in 73 mins. 4.4 kmpl. Bangalore, what even is this life
byu/lefttothecentre inbangalore

बेंगलुरु में जाम की समस्या (bengaluru me traffic ka haal)

पोस्ट ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है. एक यूजर ने कमेंट में लिखा, पहले ऑफिस 7 KM था, अब 1.5 KM कर दिया है और पैदल जाता हूं. वरना बाइक से भी 40 मिनट लगते हैं. दूसरे ने सुझाव दिया कि अब बुनियादी ढांचा प्राइवेट कंपनियों को देना चाहिए. ये कोई एक यूजर की पोस्ट नहीं, ये हर उस शख्स की आवाज़ है जो बेंगलुरु जैसे शहर में रोज़ ट्रैफिक की लड़ाई लड़ रहा है. सवाल सिर्फ ट्रैफिक का नहीं, एक बेहतर जिंदगी का है, जिसे सिस्टम ने सड़क पर रेंगने को मजबूर कर दिया है.

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