राजेंद्र प्रसाद को बेहद पसंद था भोजपुरी का देशभक्ति गान 'बटोहिया, होलैंड के राजमोहन ने इसे लोकप्रिय बना दिया

जब-जब देश की आजादी की लड़ाई की चर्चा होगी, तब तब राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत की चर्चा होगी. जन गण मन हमारा राष्ट्र गान और वन्देमातरम् राष्ट्रगीत है. इसके अलावा भोजपुरी में 'बटोहिया' भी हमारा राष्ट्रगान है. भोजपुरी जगत में इस गाने का बहुत ही सम्मान है.

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राजेंद्र प्रसाद को बेहद पसंद था भोजपुरी का देशभक्ति गान 'बटोहिया, होलैंड के राजमोहन ने इसे लोकप्रिय बना दिया
इस गाने को कई भोजपुरी क्षेत्रीय कलाकार ने अपने तरीके से प्रस्तुत किया है,

जब-जब देश की आजादी की लड़ाई की चर्चा होगी, तब तब राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत की चर्चा होगी. जन गण मन हमारा राष्ट्र गान और वन्देमातरम् राष्ट्रगीत है. इसके अलावा भोजपुरी में 'बटोहिया' भी हमारा राष्ट्रगान है. भोजपुरी जगत में इस गाने का बहुत ही सम्मान है. इसे सुनने के बाद रोओं-रोआं गनगना जाता है. देखा जाए तो भोजपुरीवासी देश और दुनिया में मौजूद हैं. इस गाने को 1911 में भोजपुरी सपूत रघुवीर नारायण ने लिखा था. उस समय बिहार के लाल डॉ राजेंद्र प्रसाद के कहने पर इस गाने को लिखा गया था. ये गाना इतना लोकप्रिय हुआ कि हर भोजपुरी समाज के जबान पर यह गाना है.

पूरा गाना पढ़ें

सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से,
मोरे प्रान बसे हिमखोह रे बटोहिया!
एक द्वार घेरे रामा हिम कोतवालवा से,
तीन द्वारे सिंधु घहरावे रे बटोहिया!
जाहु-जाहु भैया रे बटोही हिंद देखि आउ
जहवां कुहुकि कोइलि बोले रे बटोहिया!
पवन सुगंध मंद अमर गगनवां से,
कामिनी विरह-राग गावे रे बटोहिया!

इस गाने को कई भोजपुरी क्षेत्रीय कलाकार ने अपने तरीके से प्रस्तुत किया है, मगर देश-विदेश के भारतवंशी कलाकारों ने मिलकर इस गाने को और लोकप्रिय बना दिया है. भोजपुरी जगत के प्रसिद्ध कलाकार राजमोहन ने अपने यूट्यूब चैनल पर इस गाने को शेयर किया है जो बेहद प्रसिद्ध हो रहा है.

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पहले ये गाना सुनें

कहते हैं बटोहिया सात समुंदर पार के गिरमिटिया मज़दूर की दर्द की आवाज़ है. गिरमिटिया मज़दूर वो भारतीय हैं, जिन्हें अंग्रेज़ों ने दूसरे देश में इस उम्मीद से भेजा था कि वो वापस भारत आएंगे. मगर अफसोस की वो भारत नहीं आए. भले ही आज वो विदेशों में बस गए हैं, मगर अपनी संस्कृति, मिट्टी को कभी नहीं भूल पाए हैं. बटोहिया के ज़रिए वो अपने मादरे वतन को याद रखना चाहते हैं.

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इस गाने को भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने भी शेयर किया है

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इस गाने को आरा के रहने वाले देवेंद्र सिंह और हॉलैंड के राजमोहन ने गिरमिटिया वंशज कलाकारों के साथ मिलकर बनाया है. इस गाने में 7 देश के 11 कलाकार सम्मिलित हैं. आरा के सम्मानित कलाकार मुन्ना सिंह, होलैंड के राजमोहन, सुरीनाम के राजा मेनु, गुयाना के टेरी गजराज अन्य कलाकारों में विश्वजीत प्रताप सिंह, आर्यानंद, अरुणा, रुकसाना और छोटु बिहारी जैसे कलाकार शामिल हैं.ये गाना तब बना जब कोरोना वायरस का कहर था. इस गाने के साथ कई लोगों के जुड़ाव हैं.

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वैसे तो इसके रचयिता मूल रूप से अंग्रेज़ी के कवि थे, मगर राजेंद्र प्रसाद के आग्रह पर उन्होंने अपने शब्द पिरोए. इस गाने को सुनने के बाद महात्मा गांधी भोजपुरी के राष्ट्रगान की संज्ञा दी. यह गाना पुरब की पहचान है. इस अमर रचयिता ने पूरे विश्व में अपना परचम लहराया है.झलकत रहे. कहा जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरन ये गाना सभी सेनानियों की जबान पर होती थी.

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