26/11 के 5 असली हीरो जिन्होंने आतंकियों के सामने डटकर सामना किया

आज भारत के इतिहास का सबसे काला दिन है. 13 साल पहले आज आतंकियों ने मुंबई में हमला कर दिया था, जिसके कारण पुलिसकर्मियों समेत कई लोग शहीद हो गए थे. आइए आज देख के उन हीरो के बारे में जानते हैं, जिन्होंने आतंकियों का सामना डटकर किया और लोगों की जान बचाई.

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आज भारत के इतिहास का सबसे काला दिन है. 13 साल पहले आज आतंकियों ने मुंबई में हमला कर दिया था, जिसके कारण पुलिसकर्मियों समेत कई लोग शहीद हो गए थे. आइए आज देख के उन हीरो के बारे में जानते हैं, जिन्होंने आतंकियों का सामना डटकर किया और लोगों की जान बचाई. ऐसे वीर शहीद हमारे देश के गौरव हैं, जिनपर हमें नाज है.

हमेंत करकरे

मुबई एटीएस के चीफ हेमंत करकरे रात में अपने घर पर खाना खा रहे थे, ठीक उसी समय उन्हें आतंकी हमले की जानकारी मिली. हेमंत करकरे तुरंत अपने घर से निकले और एसीपी अशोक काम्टे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर के साथ मोर्चा संभाला. कामा हॉस्पिटल के बाहर चली मुठभेड़ में आतंकी अजमल कसाब और इस्माइल खान की अंधाधुंध गोलियां लगने से हेमंत करकरे शहीद हो गए. मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था. ऐसे वीर को सलाम.

तुकाराम ओंबले

मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले ही वह जाबांज थे, जिन्होंने आतंकी अजमल कसाब का बिना किसी हथियार के सामना किया और अंत में उसे दबोच लिया. इस दौरान कसाब ने उनपर कई गोलियां बरसाईं. इस वजह से तुकाराम देश के लिए शहीद हो गए. उनकी साहस को देखते हुए उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.

अशोक काम्टे

अशोक काम्टे मुंबई पुलिस में बतौर एसीपी तैनात थे. जिस वक्त मुंबई पर आतंकी हमला हुआ, उस समय वो एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ थे. कामा हॉस्पिटल के बाहर पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल खान ने उन पर गोलियां की बौछार कर दी. एक गोली उनके सिर में लगी, जिसके बावजूद वो दुश्मनों से लोहा लेते गए और उन्हें मार गिराया. ऐसे वीर शहीद को सलाम.

विजय सालस्कर

एक समय मुंबई अंडरवर्ल्ड के लिए खौफ का दूसरा नाम रहे सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर कामा हॉस्पिटल के बाहर हुई फायरिंग में हेमंत करकरे और अशोक काम्टे के साथ आतंकियों की गोली लगने से शहीद हो गए थे. शहीद होने के बाद उन्हें वीरता के लिए अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स के कमांडो थे. वह 26/11 एनकाउंटर के दौरान मिशन ऑपरेशन ब्लैक टारनेडो का नेतृत्व कर रहे थे. उनके साथ एनएसजी के 51 कमांडर मौजूद थे. मेजर संदीप ताज महल पैलेस और टावर्स होटल पर कब्ज़ा जमाए बैठे पाकिस्तानी आतंकियों से लड़ रहे थे तो एक आतंकी ने पीछे से उन पर हमला कर दिया, जिससे मौके पर ही वे देश के लिए शहीद हो गए. 2009 में उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.

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इन पांच बहादुरों के अलावा हवलदार गजेंद्र सिंह, नागप्पा आर. महाले, किशोर के. शिंदे, संजय गोविलकर, सुनील कुमार यादव और कई अन्य ने भी बहादुरी की मिसाल पेश की. हमें अपने सभी बहादुरों पर गर्व है.
 

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