आजकल लोगों पर सोशल मीडिया का ऐसा खुमार चढ़ा है कि लोगों की जिंदगी में कुछ भी होता है, फिर चाहे वो दोस्त का बर्थडे हो, परीक्षा में सफलता, नई गाड़ी खरीदने की खुशी, ब्रेकअप का दुख या फिर ऑफिस की टेंशन ही क्यों न हो, लोग अपनी जिंदगी में चल रही हर एक घटना को सोशल मीडिया पर स्टेटस डालकर लोगों के साथ शेयर करते हैं. जिससे दूसरों को भी उनके बारे में सारी जानकारी मिलती रहे. बहुत से लोग तो अपनी व्हाट्सऐप स्टोरी पर भी खुद से जुड़ी हर जानकारी शेयर करते हैं.
लेकिन, सोचिए कि ऐसा भी दौर था जब व्हॉट्सएप नहीं था, न ही उसकी स्टोरी या स्टेटस था और न ही मोबाइल फोन हुआ करते थे, तब लोग अपनी सफलताओं की खुशी और जानकारी लोगों के साथ कैसे और कहां शेयर किया करते थे? इसका जवाब है, अखबार. जी हां, इन दिनों सोशल मीडिया पर एक पुराने अखबार में छपा विज्ञापन वायरल हो रहा है, जिसे पढ़कर लोगों को गुजरे जमाने के बारे में ये पता चलेगा कि उस वक्त लोग कैसे अपनी खुशी लोगों के साथ शेयर करते थे और ये विज्ञापन देखकर शायद आपको हंसी भी आ. क्योंकि अब ऐसी बातों को कोई भी अखबार में नहीं छपवाता है.
इंस्टाग्राम पर @indiaculturalhub नाम के अकाउंट से हाल ही में 1979 के एक अखबार के कटिंग की फोटो शेयर की गई है. ये अखबार कौन सा है, ये तो नहींपता चल सका, लेकिन इस अंग्रेजी के अखबार में काफी दिलचस्प विज्ञापन जरूर नज़र आ रहा है. जिसमें दिखाया गया है कि एक शख्स विदेश यात्रा पर जा रहा था, और उसको बधाई देने के लिए अखबार में विज्ञापन छपवाया गया है.
वीडियो में जो अखबार दिखाया गया है, उसके ऊपर, बाएं ओर साल लिखा है 1979 और तारीख है 28, हालांकि, महीना नहीं पता चल रहा है. ये विज्ञापन प्रहलाद शेट्टी नाम के शख्स को बधाई देने के लिए छपवाया गया है. शख्स कोहिनूर रोलिंग शटर्स और इंजीनियरिंग वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड बेंगलोर, के निदेशक थे. वो कंपनी की तरफ से ब्रिटेन, वेस्ट जर्मनी, स्विट्जर्लैंड, और कई अन्य यूरोपियन देश की यात्रा पर ऑफिस की ओर से जा रहे थे. इस मौके पर उन्हें अलग-अलग कंपनियों की तरफ से बधाई दी जा रही है. जिसके लिए ये विज्ञापन छपवाया गया था.
इस वीडियो को अबतक 5 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं और 8 हजार से ज्यादा लोग इसे लाइक कर चुके हैं. बहुत से लोगों ने कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है. एक ने कहा- ये व्हॉट्सएप स्टेटस का पुराना वर्जन है. एक ने कहा- आज के दौर में ये सब चीजें ढूंढे नहीं मिलती हैं. दूसरे ने लिखा- वो भी क्या दौर था. एक ने कहा- हो सकता है कि इस शख्स ने खुद ही विज्ञापन के पैसे दिए हैं.
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