Year Ender 2024: वो 10 घटनाएं जिन्हें दुनिया लंबे समय तक याद रखेगी, 2025 में युद्धों का क्या होगा

आइए हम 2024 की उन घटनाओं के बारे में जानते हैं जिनका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय पटल पर लंबे समय तक महसूस किया जाएगा. इस लिहाज से साल 2024 काफी अहम रहा. नरेंद्र मोदी और डॉनल्ड ट्रंप के चुनाव ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी.

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नई दिल्ली:

साल 2024 अब खत्म होने को है. यह समय है उन घटनाओं और खबरों के बारे में जानने का जो पूरे साल सुर्खियों में रहीं और अंतरराष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित किया. साल 2023 की तरह 2024 में भी इजरायल-गजा संघर्ष पूरे साल खबरों में बना रहा. सात अक्तूबर 2023 को हमास के इजरायल पर हमले के साथ शुरू हुआ यह युद्ध 2024 में पूरे साल चलता रहा. इस युद्ध में अबतक 45 हजार से अधिक फलस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं. इनमें बच्चों और महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है. इजरायल-गजा युद्ध के अलावा इस समय दुनिया में रूस-यूक्रेन युद्ध भी चल रहा है. रूस ने यूक्रेन पर फरवरी 2022 में हमला किया था. इसी साल पड़ोसी बांग्लादेश में शेख हसीना और सीरिया में बशर-अल-असद की सरकार का पतन भी हो गया. यह साल चुनाव के नजरिए से भी काफी अहम रहा. भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने चुनाव जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाई तो अमेरिका ने डॉनल्ड ट्रंप ने पांच साल बाद एक बार फिर सत्ता में वापसी की.भारत और अमेरिका के इन चुनावों की गूंज अगले कई दशक तक अंतरराष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करेगी. आइए जानते हैं 2024 की ऐसी की प्रमुख घटनाओं के बारे में जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी. 

इजरायल-गजा संघर्ष 

हमास ने सात अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमला किया था. इस हमले में 12 सौ लोग मारे गए थे और हमास ने 251 लोगों को बंधक बना लिया था. इसके बाद इजराल ने गजा में जवाबी कार्रवाई शुरू की. पहले उसने हवाई हमले किए और बाद में जमीनी कार्रवाई शुरू की. इस हमले में अब तक 45 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में अधिकांश बच्चे और महिलाएं हैं. इस हमले की वजह से गजा से लाखों लोगों की आबादी विस्थापित हुई है.इजरायली हमले में गजा पट्टी अब खंडहर में बदल चुकी है. इजरायल ने अब तक हमास के कई बड़े नेताओं का खात्म कर दिया है.साल 2024 में इस युद्ध को रुकवाने के लिए कई प्रयास हुए. लेकिन इसमें अभी तक सफलता नहीं मिली है.युद्ध विराम का एक और प्रयास अभी जारी है.  

इजरायल के हमले में गजा की इमारतें खंडहर में तब्दील हो गई हैं.

रूस-यूक्रेन युद्ध

रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला किया था. ऐसे में अगर अगले कुछ दिनों में यह युद्ध न रुका तो अगले साल 24 फरवरी को यह युद्ध अपने तीसरे साल में प्रवेश कर जाएगा. अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस युद्ध को रुकवाने में दिलचस्पी दिखाई है.  वो 20 जनवरी को सत्ता संभालने वाले हैं, अगर वह इस युद्ध को रुकवा दे देते हैं तो यह उनकी बड़ी कामयाबी होगी. ट्रंप की बात पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है.  अगर आने वाले दिनों में ये जंग न थमी, तो अगले साल फरवरी में इस लड़ाई को तीन साल हो जाएंगे.इस युद्ध में दोनों तरफ से एक लाख से अधिक सैनिकों की जान जा चुकी है, हालांकि यह आधिकारिक आकंड़ा नहीं है, क्योंकि दोनों ही पक्ष युद्ध में हताहत हुए सैनिकों या भाड़े के सैनिकों की जानकारी को सार्वजनिक नहीं करते हैं. 

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रूस के हमले में खंडहर में तब्दील हुई एक इमारत.

इजरायल-ईरान की तनातनी 

इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध में परोक्ष तौर पर ईरान भी शामिल है. वह इजरायल से लड़ रहे हमास और लेबनान में सक्रिय आतंकी संगठन हिजबुल्लाह को हर तरह की मदद पहुंचाता है. इसके अलावा वह यमन में हूती विद्रोहियों की भी मदद करता है. इसके अलावा वह इराक और मध्य-पूर्व के कुछ दूसरे देशों में सक्रिय मिलिशिया की भी मदद करता है. ईरान इस तरह के विद्रोहियों को एक्सिस ऑफ रेजिसटेंस कहता है. इजरायल इस बात को भली-भांति जानता है. इसलिए इस साल कम से कम दो मौकों पर दोनों देश आमने सामने आ गए.ईरान ने सीरिया के दमिश्क में अपने वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले के जवाब में 14 अप्रैल को इजरायल की ओर सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलें दागीं. इसके बाद ईरान ने एक अक्टूबर को इजरायल पर 200 से ज्यादा मिसाइल हमले किए. इसके अलावा इजरायल ने ईरान में हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या कर दी.  हानिया को तो इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान में एक सरकारी गेस्ट हाउस में हमला कर मारा डाला.गाजा युद्ध ने इजरायल-हिजबुल्लाह तनाव को भी चरम पर पहुंचा दिया. इजरायली सेना ने 23 सितंबर से लेबनानी ग्रुप पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले शुरू किए. इजरायली हमलों में हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह समेत कई कमांडरों की मौत हो गई. नवंबर के अंतिम हफ्ते में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच एक युद्धविराम समझौता करवाया.इससे इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच एक साल से अधिक समय से चल रही लड़ाई का अंत हुआ. 

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भारत और कनाडा का बिगड़ता रिश्ता 

इस भारत और कनाडा के राजनयिक रिश्तों में तनाव देखा गया. यह विवाद कनाडा में एक अलगाववादी सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद शुरू हुआ. नागरिक कनाडा का नागरिक था. कनाडा ने इस हत्या में भारत का हाथ बताया. इसका भारत ने तगड़ा विरोध किया. हालात यहां तक पहुंचा कि दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया. भारत ने कुछ समय तक वीजा जारी करना बंद कर दिया था.कनाडा में लगभग 30 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं. कनाडा भारतीयों के लिए एक बड़ा ठिकाना है.

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बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट

भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में अगस्त का महीना काफी उथल-पुथल वाला रहा. हिंसक प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश में पीएम शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हो गया.शेख हसीना बांग्लादेश को छोड़कर भारत आ गईं. शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद अर्थशास्त्री युनूस मोहम्मद के नेतृत्व में वहां एक अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली.इसके बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों की संख्या में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ती चली गई. इससे भारत-बांग्लादेश के बीच रिश्ते को प्रभावित हो रहे हैं. भारत ने बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है. वहीं बांग्लादेश ने कहा है कि भारत शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजे.

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सरकार गिरने के बाद शेख हसीना को अपना देश छोड़कर भारत आना पड़ा था.

नरेंद्र मोदी की शानदार जीत 

अप्रैल 2024 से लेकर जून 2024 के बीच भारत में लोकसभा चुनाव कराया गया.चुनाव परिणाम चार जून को जारी किया गया. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को 292 सीटों पर जीत हासिल हुई. उसने आसानी से बहुमत हासिल कर लिया. विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन 234 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सका. अन्य दलों को 17 सीटें मिलीं. सबसे ज्यादा सीटें प्राप्त करने वाले दलों की बात करें तो बीजेपी को 240, कांग्रेस को 99, समाजवादी पार्टी को 37 तृणमूल कांग्रेस को 29, डीएमके को 22, टीडीपी को 16 और जेडीयू को 12 सीटों पर जीत मिली. इसके बाद नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.नरेंद्र मोदी की इस जीत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाप छोड़ी. 

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है.

अमेरिका में राष्ट्रपति चुने गए डॉनाल्ड ट्रंप 

अमेरिका में इस साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव का मतदान हुआ.इसमें पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप ने जीत दर्ज की. उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार भारतीय मूल की कमला हैरिस को हराया.ट्रंप को 312 इलेक्टोरल वोट और कमला हैरिस को 226 इलेक्टोरल वोट मिले.रिपब्लिकन पार्टी ने राष्ट्रपति पद के साथ ही हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और सीनेट में भी बहुमत हासिल कर लिया है. ट्रंप की इस जीत के साथ ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कई तरह के बदलाव आने के संकेत मिलने लगे हैं. इसमें सबसे बड़ा होगा कुछ देशों पर टैरिफ बढ़ाना. ट्रंप के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद इजरायल-गजा युद्ध और रूस-यूक्रेन युद्ध में की दशा और दिशा में भी बदलाव देखने को मिल सकता है.

डॉनल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए हैं.

सीरिया में असद सरकार का तख्तापलट

हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएएस) के नेतृत्व में विद्रोही लड़ाकों ने अलेप्पो, हमा और होम्स शहरों पर कब्ज़े के बाद आठ दिसंबर को राजधानी दमिश्क पर कब्जा जमा लिया. इसके साथ ही विद्रोहियों ने सीरिया की आजादी की घोषणा कर दी. उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति बशर अल असद देश छोड़कर भाग गए हैं.एचटीएएस के प्रमुख अबू मोहम्मद अल-ज़ुलानी के नेतृत्व में सीरिया का प्रशासन अपने हाथों में ले लिया. बाद में खबर आई कि असद को रूस ने शरण दी है.

हयात तहरीर अल-शाम के लड़ाकों ने आठ दिसंबर को राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया.

रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की कूटनीति

रूस-यूक्रेन युद्ध के लंबा खिंच जाने की वजह से भारत को अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करना पड़ा.अगर यह युद्ध लंबा खिंचता है, तो भारत को रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करना होगा.भारत के लिए यह चुनौती होगी कि वह दोनों देशों के साथ अपने सामरिक संबंधों को बनाए रखे. दोनों देशों से भारत के दीर्घकालिक कूटनीतिक संबंध हैं. भारत 2024 में इस युद्ध के समाधान की कोशिशें करता दिखा. प्रधानमंत्री ने रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात भी की. लेकिन ये कोशिशें परवान चढती हुई नहीं नजर आईं. 

पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल 

पाकिस्तान के लिए 2024 काफी उथल-पुथल वाला रहा.इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ उनके समर्थक सड़कों पर उतरे. इससे वहां राजनीतिक उथल-पुथल पैदा हुआ. साल 2025 में इमरान खान के आंदोलन और पाकिस्तान के आर्थिक संकट का असर वहां की राजनीति और स्थिरता पर दिखाई दे सकता है. अगर पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती है, तो इसका प्रभाव भारत के लिए भी हो सकता है, क्योंकि यह क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है.

साल के अंतिम महीने में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार ने दावा किया कि पाकिस्तान ने एक ऐसी कारगर मिसाइल टेक्नोलॉजी तैयार कर ली है, जो अमेरिका को भी निशाना बनाने में सक्षम होगी.इस बीच मिस्र की राजधानी काहिरा में 19 दिसंबर को आयोजित डी-8 सम्मेलन में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बीच मुलाकात हुई.दोनों नेताओं ने व्यापार, वाणिज्य और खेल और सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान बढ़ाने पर चर्चा की.बांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधियों के बीच शरीफ और यूनुस की यह मुलाकात चिंता पैदा करने वाली है.  

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