कोरोना काल में बच्चे लंबे समय तक स्कूलों से दूर रहे. लाखों की संख्या में बच्चे स्कूलों से ड्रॉप आउट भी हो गए, लेकिन इस मुश्किल वक्त ने डिजिटल तकनीकी की शिक्षा में अहमियत को भी बढ़ा दिया है. विश्व साक्षरता दिवस के बीच (World Literacy Day) दुनिया भर के नामचीन शिक्षाविदों का कहना है कि अगर वीडियो गेम (video games) का पढ़ाई में ज्यादा इस्तेमाल किया जाए तो कायाकल्प हो सकता है. हालांकि चीन (China) ने स्कूल के दिनों में छात्रों के वीडियो गेम खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है. वीकेंड और छुट्टियों में ही एक घंटे वीडिेयो गेम खेलने की अनुमति दी है. यह नया नियम एक सितंबर 2021 से प्रभावी हो गया है.
लाइव लैब और एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस, टेक्सास ए ऐंड एम विश्वविद्यालय के निदेशक एंड्रियु थॉमस
विद्यार्थियों को स्कूल के दिनों में वीडियो गेम खेलने का समय सीमित नहीं करना चाहिए. इसके बजाय इसे बढ़ाने की जरूरत है और नियमित तौर पर स्कूल के दिनों में खेलने देना चाहिए. वीडियो गेम सबसे लोकप्रिय माध्यमों में से एक है. एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2025 में वीडियो गेम का वैश्विक बाजार 268.8 अरब डॉलर का होगा जो वर्ष 2021 के 178 अरब डॉलर के बाजार के मुकाबले अहम बढ़ोतरी है.
खेलों पर खर्च होने वाला पैसा केवल वास्तविक दुनिया से बचने के लिए वर्चुअल माध्यम ही मुहैया नहीं कराता. लंबे समय से साक्षरता के प्रोफेसर रहे जेम्स पॉल गी जैसे विद्वानों ने बार-बार कहा है कि वीडियो गेम का इस्तेमाल के-12 कक्षा में पढ़ाने के लिए किया जा सकता है. शिक्षा पर लिखने वाले ग्रेग टोप्पो ने आलोचकों से प्रशंसा बटोरने वाली अपनी किताब ‘‘द गेम बिलीव्ज इन यू: हॉउ डिजिटल प्ले कैन मेक यूअर किड्स् स्मार्टर'' में भी यही निष्कर्ष निकाला है.
स्कूली कक्षाओं में वीडियो गेम का इस्तेमाल नया नहीं है. 1970 से 1990 के दशक के बीच जो लोग विदेश में स्कूलों में गए थे वे लोकप्रिय वीडियो गेम ‘दि ओरेगन ट्रायल' को याद कर सकते हैं जिसकी शुरुआत 1971 में हुई थी. उस खेल में खिलाड़ी लुईस और क्लार्क के नक्शे कदम पर चलते हुए मिडवेस्ट में बसने वालों के एक समूह का नेतृत्व करते हैं। यह खेल वर्ष 1972 में वीडियो गेम पोंग के आने के साथ स्थापित वीडियो गेम उद्योग से पहले आया था. पोंग टेबल टेनिस का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन था.