एक और साल गुजर गया है और हम उम्मीद के साथ नए साल में कदम रख रहे हैं. उम्मीद इस बात की कि नया साल सुखद हो, दुनिया में लोकतंत्र का दायरा और बढ़े, साथ ही वे सभी जंग रुकें जो हर दिन खून बहा रही हैं. इन सभी उम्मीदों के बीच से एक समाधानों वाला रास्ता निकलता है, जिसे स्वतंत्र चुनाव कहते हैं. क्या आपको पता है कि 2025 में लगभग 70 देशों के मतदाता अपने-अपने नेता को चुनने के लिए निकले थे. अब नजर अगले साल यानी 2026 पर है. चलिए आपको बताते हैं कि इस साल दुनिया के कौन से 5 देशों में ऐसे चुनाव होंगे जिनपर भारत की नजर रहेगी.
बांग्लादेश आम चुनाव, 12 फरवरी 2026
अगस्त 2024 में छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी अवामी लीग सरकार को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद बांग्लादेश में फरवरी का चुनाव पहला चुनाव होगा. जब शेख हसीना सत्ता में थीं, तब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) प्रमुख विपक्षी पार्टी थी. इस बार खालिदा जिया के गुजरने के बाद जिम्मेदारी उनके बेटे तारिक रहमान पर होगी. BNP को कड़ी टक्कर जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व वाले इस्लामी दलों के गठबंधन से मिलेगी, जो देश को संवैधानिक सुधार की जगह कट्टरवादी रास्ते पर ले जाने पर तुली हुई है. सीमा सुरक्षा, व्यापार, अवैध घुसपैठ और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत के लिए यह चुनाव बेहद अहम होगा.
नेपाल, 5 मार्च 2026
नेपाल में 5 मार्च 2026 को चुनाव होने जा रहा है. नेपाल में जेन-जी के हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बाद केपी ओली की सरकार को गिरा दिया गया था. इसके बाद सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने कामकाज संभाला था. अब बारी जनता की चुनी सरकार के आने का है. नेपाल की लोकसभा में कुल 275 सीटें हैं, जिनमें 165 सीटों पर जनता सीधे तौर पर अपना प्रतिनिधि चुनती है. वहीं बाकी की 110 सीटों पर अलग-अलग समुदायों से प्रतिनिधि को चुना जाता है. बहुमत हासिल करने के लिए कम-से-कम 138 सीटें हासिल करनी होती हैं. हालांकि, नेपाल की किसी भी पार्टी को बीते दो दशकों में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुई है. बांग्लादेश की तरह ही नेपाल का चुनाव भी सीमा सुरक्षा, व्यापार, अवैध घुसपैठ और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत के लिए बेहद अहम होगा.
इजरायल संसद का चुनाव, 27 अक्टूबर 2026 तक
इजरायल का संसदीय चुनाव 27 अक्टूबर 2026 तक होने वाला है (संभव है कि यह पहले भी हो जाए). इसमें 120 सदस्यों वाली संसद (नेसेट) का चुनाव किया जाएगा और नई सरकार बनेगी. यह चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राजनीतिक अस्थिरता, गाजा युद्ध के बाद की सुरक्षा स्थिति, और जनता के बीच गहरे मतभेदों के माहौल में हो रहा है. इस चुनाव का नतीजा बेंजामिन नेतन्याहू के राजनीतिक भविष्य, इजरायल की लोकतांत्रिक व्यवस्था, और अमेरिका व मध्य-पूर्वी देशों से संबंधों को प्रभावित करेगा.
अमेरिका (मिडटर्म चुनाव), 3 नवंबर 2026
नवंबर 2026 में होने जा रहे अमेरिका के मध्यावधि चुनाव के नतीजे वहां की राजनीति की दिशा नाटकीय रूप से बदल सकते हैं. हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव (लोकसभा की तरह) के लिए मध्यावधि वोट आम तौर पर मौजूदा राष्ट्रपति के लिए जनमत संग्रह के रूप में कार्य करता है. यह नतीजा बताता है कि उनका राष्ट्रपति में और उनके काम में कितना भरोषा है. ट्रंप के लिए यह एक तरह से अबतक के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड होगा. अमेरिका के मतदाता ऐतिहासिक रूप से मौजूदा सरकार को मिडटर्म चुनाव में डेंट देते हैं- राष्ट्रपति की पार्टी ने पिछले पंद्रह मध्यावधि चुनावों में से केवल दो में सदन की सीटें हासिल की हैं. औसतन चौबीस सीटों का नुकसान हुआ है. अब यह भी जान लीजिए कि ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के पास वर्तमान में सदन में केवल सात सीटों की बढ़त है. मेरिका की संसद के चुनाव भारत-अमेरिका रिश्तों, रक्षा सहयोग और व्यापार पर असर डालते हैं और इसलिए भारत की नजर इसपर रहेगी.
ब्राजील का राष्ट्रपति चुनाव, 4 अक्टूबर 2026
जब ब्राजील के लोग अक्टूबर 2026 में वोट डालने जाएंगे तब उन्हें सारे अहम कुर्सियों पर कौन बैठेगा, इसका चुनाव करना होगा: राष्ट्रपति पद, उपराष्ट्रपति पद, राष्ट्रीय कांग्रेस के दोनों सदन और प्रत्येक राज्य का गवर्नर पद और विधानसभा. वहां के मतदाताओं के लिए अभी सबसे बड़ी चिंताएं धीमी आर्थिक वृद्धि, महंगाई और अपराध होने की संभावना है. ब्रिक्स (BRICS) समूह का प्रमुख देश होने के कारण इसका नेतृत्व भारत की वैश्विक कूटनीति को प्रभावित करता है.














