इसरा जाबिस पिछले आठ सालों से इजरायल की हिरासत में थीं, अब उन्हें रिहा कर दिया गया है. क़तर, मिस्र और अमेरिका की मध्यस्थता में हमास के साथ चार दिन के युद्धविराम के तहत कैदियों की अदला-बदली हो रही है. इजरायल द्वारा रिहा किए गए 39 फ़िलिस्तीनियों में इसरा जाबिस भी एक हैं. जाबिस अब 37 वर्ष की हैं, उनको माले अदुमिम से यरुशलम की ओर जाने वाले राजमार्ग पर एक चेकपॉइंट पर अपनी कार में गैस सिलेंडर विस्फोट करने के प्रयास का दोषी ठहराया गया था. इस ब्लास्ट में एक इजरायली पुलिस अधिकारी भी घायल हो गया था. इजरायल की आंतरिक सुरक्षा एजेंसी शिन बेट ने दावा किया कि एक ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ने जाबिस को एक पुलिस वाहन के पीछे-पीछे चलते हुए बस लेन में गाड़ी चलाते हुए देखा था.
शिन बेट का दावा है कि पुलिस ने यरुशलम जाने वाले मार्ग पर एक चौकी के पास जाबिस द्वारा चलाए जा रहे एक वाहन को देखा और उसे रुकने का इशारा किया. जाबिस ने एक "मजहबी नारा" लगाया और अपनी कार में विस्फोटक उपकरण को एक्टिव कर दिया. शिन बेट का यह भी दावा है कि उसके पास से हस्तलिखित नोट बरामद हुए थे, जिनमें "फिलिस्तीनी शहीदों" के समर्थन में आवाज उठाई गई थी. इजरायली पुलिस अधिकारी की पहचान मोशे चेन के रूप में हुई, जो जाबिस द्वारा कथित कार बम विस्फोट में घायल हुए थे. उन्हें यरुशलम के ईन केरेम में हाडासा अस्पताल ले जाया गया था.
हालांकि, फ़िलिस्तीन के अधिकारी इस दावे का खंडन करते हैं कि जाबिस ने कार में बम विस्फोट करने का प्रयास किया था. फ़िलिस्तीनी अधिकारियों ने दावा किया कि जाबिस अपनी कार में घरेलू सामान ले जा रही थीं, जिसमें उनकी रसोई के लिए ब्यूटेन गैस कैन भी शामिल थे. उन्होंने दावा किया कि जाबिस की कार में एक मकैनिकल दिक्कत के कारण आग लग गई, जिससे उनके द्वारा ले जाए जा रहे ब्यूटेन कैन जल गए, जिससे वह वाहन के अंदर फंस गईं.
1984 में जन्मी जाबिस को 11 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. सजा मिलने के बाद जाबिस फिलिस्तीनी मुक्ति कार्यकर्ताओं के बीच प्रतिरोध का प्रतीक बन गईं. आंशिक रूप से जले हुए चेहरे वाली उनकी तस्वीर का इस्तेमाल फ़िलिस्तीनी स्वतंत्रता के लिए विरोध प्रदर्शनों में किया गया. शनिवार को वह हाल ही में हुए संघर्ष विराम के तहत रिहा किए गए फिलिस्तीनी कैदियों की पहले ग्रुप का हिस्सा थीं.
समाचार एजेंसी एएफपी के हवाले से जाबिस ने कहा, "जब पूरा फिलिस्तीन जख्मी है, तब खुशी मनाने की बात करने में मुझे शर्म आ रही है. उन्हें सभी को रिहा करना होगा."
यह 2011 के बाद ये सबसे महत्वपूर्ण इजरायल-फिलिस्तीन कैदियों की अदला-बदली के समझौते में से एक है. तब प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायली सीमा के पास फिलिस्तीनी आतंकवादियों द्वारा बंधक बनाए गए आईडीएफ सैनिक गिलाद शालित के बदले में 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त करने पर सहमति व्यक्त की थी.