पाकिस्तान- तालिबान के बीच सुलह क्यों नहीं करवा पाए तुर्की और कतर? मुनीर- शरीफ की जिद समझिए

Pakistan-Afghanistan peace talks 'failed': पाकिस्तान की तरफ से बुधवार, 29 अक्टूबर को यह साफ कर दिया गया कि अफगानिस्तान के साथ स्थायी संघर्ष विराम के लिए उसकी बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है.

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  • पाकिस्तान और तालिबान के बीच तुर्की और कतर की मध्यस्थता में हुई शांति वार्ता असफल रही है, कोई समाधान नहीं निकला
  • दोनों देशों के बीच सीमा पर हाल ही में हुई हिंसा में 70 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए थे
  • पाकिस्तानी ने भारत को अफगानिस्तान की सरकार में हस्तक्षेप कर पाक के खिलाफ इस्तेमाल करने का झूठा आरोप लगाया है
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान को चलाने वाले तालिबान के बीच बात नहीं बन पाई है. पाकिस्तान की तरफ से बुधवार, 29 अक्टूबर को यह साफ कर दिया गया कि अफगानिस्तान के साथ स्थायी संघर्ष विराम के लिए उसकी बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है. इन दो पड़ोसियों के बीच बॉर्डर पर सालों में सबसे घातक संघर्ष हुआ था. अब स्थाई  शांति हासिल करने के उद्देश्य से दोनों के बीच तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में बातचीत हो रही थी. तुर्की के साथ साथ कतर भी इसमें मध्ययस्थ (मीडिएटर) बना हुआ था. दोनों ने पूरी कोशिश की कि बात बन जाए, शांति का रास्ता निकल जाए. लेकिन पाकिस्तान की जिद के सामने हर कोशिश फेल हो गई. अब पाकिस्तान और तालिबान, दोनों ही एक दूसरे को चेतावनी दे रहे हैं.

पाकिस्तान और तालिबान ने बात क्यों नहीं बनी

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हुई हिंसा में 70 से अधिक लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए. यह हिंसा 9 अक्टूबर को काबुल में विस्फोटों के बाद भड़की, जिसके लिए तालिबान अधिकारियों ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था. पहले हुए अस्थाई सीजफायर को स्थाई शांति में बदलने के लिए कतर और तुर्की की मध्यस्थता में चार दिनों तक पाकिस्तान और तालिबान के बीच बातचीत चली लेकिन यह बेनतीजा निकली. पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा, "अफगानिस्तान की ओर से कोई आश्वासन नहीं दिया गया, मूल मुद्दे से भटकते रहे और आरोप-प्रत्यारोप, ध्यान भटकाने और चालाकी का सहारा लिया... इस प्रकार बातचीत कोई व्यावहारिक समाधान लाने में विफल रही."

अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है और कहा कि अगर आने वाले समय कोई भी सैन्य हमले हुआ तो कड़ा जवाब दिया जाएगा. अफगानिस्तान मीडिया आउटलेट एरियाना न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पाकिस्तान की तरफ से कुछ अनुचित और अस्वीकार्य मांगें रखीं. इनमें काबुल से पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय सशस्त्र लोगों को वापस बुलाने और उन पर नियंत्रण करने की अपील भी शामिल है. इसे अफगान पक्ष ने अस्वीकार कर दिया.

पाकिस्तान अपना नैरेटिव सेट करने में लगा है

पाकिस्तान किसी तरह भारत को भी इस मुद्दे में लपेटना चाहता है और वह बिना मतलब बार-बार उसका नाम उछाल रहा है. पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार वहां के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बार फिर भारत को इसमें घसीटने की कोशिश की है. ख्वाजा आसिफ का कहना है कि काबुल सरकार के पास अधिकार की कमी है, क्योंकि यह भारत ने उसमें "घुसपैठ" किया है और इस्लामाबाद के खिलाफ छद्म युद्ध करने के लिए अफगानिस्तान का उपयोग कर रहा है. ख्वाजा आसिफ ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि काबुल पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए जिम्मेदार है. काबुल दिल्ली के लिए एक टूल है. अगर वे चाहते हैं, उपर वाला न करें, इस्लामाबाद पर हमला करें, तो हम उचित जवाब देंगे. 50 गुना मजबूत जवाब."

तुर्की और कतर ने आखिर तक कोशिश की

मंगलवार को, तुर्की और कतरी मध्यस्थों ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तालिबान शासन के बीच बातचीत को बचाने की कोशिश की थी. उस समय भी वार्ता थोड़ी देर के लिए विफल हो गई थी, जिसे अधिकारियों ने ऐसा मतभेद बताया था जिसे दूर नहीं किया जा सकता. हालांकि, उन रिपोर्टों के सामने आने के कुछ ही घंटों के भीतर, तुर्की और कतरी मध्यस्थों के गहन कूटनीतिक प्रयासों के बाद दोनों तरफ के वार्ताकार मेज पर वापस आ गए. तुर्की और कतर ने दोनों पक्षों पर वापस लौटने के लिए दबाव डाला था. यह दोनों की तरफ से शांति वार्ता को बचाने का आखिरी प्रयास था. लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान की जिद्द की वजह से कोई बात नहीं बनी.

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