इटली में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन (G-7 Summit) में भारत, अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी समेत कई देशों के बड़े नेता शामिल हुए. इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने सभी का शानदार अंदाज में वेलकम किया. इस बीच सबसे ज्यादा ध्यान खींचा मेलोनी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों (Meloni Macron) ने. दोनों ही नेता इस समिट के दौरान एक दूसरे से खिंचे-खिंचे दिखाई दिए. दोनों के बीच वो गर्मजोशी नहीं दिखी, जो दूसरे नेताओं के बीच देखने को मिली. मेलोनी (Jiorgia Meloni) और मेक्रों की मुलाकात के 5 सेकेंड का एक वीडियो भी इस बात का गवाह है. मेलोनी की बॉडी लैग्वेज ने उनके तल्ख रिश्तों की पोल खोलकर रख दी. वो सबकुछ लोगों के सामने आ गया, जिसे लोग नजरअंदाज कर रहे थे.
मेलोनी की बॉडी लैंग्वेज कुछ तो कहती है
वीडियो में मैक्रों मेलोनी से हाथ मिलाकर कुछ कह रहे हैं. लेकिन इसके जवाब में मेलोनी में बिल्कुल भी गर्मजोशी दिखाई नहीं दी. ऐसा लग रहा है जैसे मेलोनी ने महज फॉर्मेलिटी भर के लिए मैक्रों से हाथ मिलाया और उनको झट से थैंक्यू कह दिया. महज 5 सेकेंड के इस वीडियो ने दोनों के बीच तल्खी को उजागर कर दिया.
मेलोनी और मैक्रों के बीच क्यों तल्ख हुए रिश्ते?
मेलोनी के इस बर्ताव के पीछे की कहानी यूरोपियन यूनियन चुनाव और जी-7 में अबॉर्शन के मुद्दे से भी जुड़ी है. मेलोनी की इस बॉडी लैग्वेज की वजह कुछ दिनों पहले यूरोपियन संघ चुनावों में हार के बाद संसद को भंग कर मध्यावधि चुनाव करवाने का मैक्रों का वो ऐलान भी माना जा रहा है. मेलोनी ने तो मैक्रों पर जी-7 मंच का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए करने का भी आरोप लगा दिया. इटेलियन मीडिया के मुताबिक, मेलोनी ने कहा, "मुझे लगता है कि ऐसे कठिन समय में जी-7 जैसे अहम मंच का उपयोग करके प्रचार करना बहुत गलत है."
जी-7 में भी मैलोनी-मौक्रों के बीच नोंकझोंक
जी-7 समिट में भी मैक्रों और मेलोनी के बीच तीखी नोंकझोंक हो गई. दरअसल गर्भपात अधिकार के मुद्दे पर जी-7 नेताओं और मेलोनी की राय बंटी हुई है. मेलोनी इस मुद्दे पर क्या सोचती हैं, यो बात किसी से छिपी हुई नहीं है. वहीं जी-7 में ड्राफ्ट स्टेटमेंट में अबॉर्शन राइट्स पर भाषा को कमजोर करने के लिए मैक्रों ने जब इटली पीएम की आलोचना की तो ये बात मेलोनी को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई. मेलोनी ने मैक्रों पर चुनाव प्रचार के लिए जी-7 मंच का इस्तेमाल करने का आरोप लगा डाला.
US चुनाव भी फ्रांस-इटली के बीच तल्खी की वजह
बता दें कि 27 सदस्यों वाले यूरोपियन संघ में भी मेलोनी की धाक देखने को मिली है. यूरोपियन संघ के संसदीय चुनावों में जहां मैक्रों की पार्टी को करारी हार मिली है तो वहीं दक्षिणपंथी दलों का दबदबा बढ़ा है. मेलोनी की पार्टी की सीटें संसद में दोगुनी हो गई हैं. माना जा रहा है कि हार को देखते हुए मैक्रों ने रविवार को संसद को भंग कर मध्यावधि चुनाव करवाने का ऐलान कर दिया है.