नेपाल में क्यों भड़का हुआ है 'जेन जी', दूसरे देशों में काम कर कितना पैसा भेजते हैं नेपाली

नेपाल की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा, उस पैसे का है, जिसे नेपाली दूसरे देशों से कमाकर भेजते हैं. इसी का परिणाण है कि इन दिनों नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचा हुआ है.

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  • नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर रजिस्ट्रेशन न कराने पर पाबंदी लगाई, जिससे व्यापक विरोध शुरू हुआ.
  • काठमांडू में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन में पुलिस कार्रवाई से 14 लोगों की मौत हुई है.
  • सोशल मीडिया प्रतिबंध से नेपाल में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की आजादी पर बड़ा संकट पैदा हुआ है.
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नई दिल्ली:

नेपाल की राजधानी काठमांडू की सड़कें सोमवार को युवाओं से पट गईं. ये युवा भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर लगाई गई पाबंदी का विरोध कर रहे हैं. पुलिस की कार्रवाई में अबतक 14 लोगों के मारे जाने की पुष्टी हुई है और कई लोग घायल हुए हैं. इसके बाद शहर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. यह विरोध प्रदर्शन देश के दूसरे शहरों में भी फैल गया है. इस प्रदर्शन की एक बड़ी वजह सोशल मीडिया पर लगाई गई पाबंदी को बताया जा रहा है. इस फैसले के विरोधी इसे प्रेस की आजादी और नागरिकों की अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बता रहे हैं. इस पाबंदी की वजह से नेपाल के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि नेपाल के करीब हर घर का एक सदस्य दूसरे देश में रहता है, ऐसे में परिवार से संपर्क के लिए ये सोशल मीडिया ही एक जरिया था. आइए देखते हैं कि यह समस्या कितनी गहरी है.

नेपाल ने क्यों लगाई सोशल मीडिया पर पाबंदी

नेपाल ने चार सितंबर को 2023 में जारी सोशल नेटवर्क उपयोग प्रबंधन निर्देश का सहारा लेते हुए 26 सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पाबंदी लगा दी थी. सोशल मीडिया पर नियंत्रण के लिए सरकार एक विधेयक भी संसद में लेकर आई है. इसमें इन प्लेटफॉर्म्स के लिए रजिस्ट्रेशन, स्थानीय ऑफिस और शिकायत अधिकारी रखना अनिवार्य होगा. सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को कहा था कि देश को कमजोर करने के प्रयास कभी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. उनकी यह टिप्पणी सरकार के इस कदम का विरोध शुरू होने के बाद आई थी. 

इस पाबंदी की जद में फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स, व्हाट्सएप, रेडिट और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया साइट आए हैं. वहीं सरकारी नियमों का पालन करने की वजह से, वीटॉक, टिकटॉक और वाइबर जैसे प्लेटफार्म अभी भी वहां काम कर रहे हैं. नेपाल के संचार और सूचना मंत्री, पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के मुताबिक देश में चल रहे दो दर्जन सोशल मीडिया प्लेटफार्म को बार-बार रजिस्ट्रेशन के लिए नोटिस दिया गया था, लेकिन उनमें से कोई भी इसके लिए आगे नहीं आया. दरअसल नेपाल सरकार ने इन प्लेटफार्म को 28 अगस्त के बाद सात दिन के अंदर संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में अपना रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहा था. सरकार ने इस साल जुलाई में टेलीग्राम पर भी पाबंदी लगा दी थी. सरकार ने इस फैसले के पीछे ऑनलाइन धोखाधड़ी और मनी लॉड्रिंग को रोकने को कारण बताया था. नेपाल सरकार ने 2023 में टिकटॉक पर भी ऐसे ही प्रतिबंध पाबंदी लगाई थी. लेकिन बाद में टिकटॉक ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया था. इसके बाद अगस्त 2024 में उससे पाबंदी हटा ली गई थी. 

नेपाल की संसद की दीवार पर चढ़कर प्रदर्शन करते युवा.

नेपाल के कई लोगों के लिए सोशल मीडिया सिर्फ अभिव्यक्ति का साधन नहीं, बल्कि संचार, समाचार और सीमा पार परिवार से जुड़ने का मुख्य जरिया भी है. इन प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध से न केवल असहमति की आवाज दबती है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिक पत्रकारिता भी प्रभावित हुई है. यह फैसला देश को दशकों पीछे ले जा सकता है, जब सूचनाओं पर सरकार का नियंत्रण था. 

नेपाल में रेमिटेंस मनी का हिस्सा

सरकार की ओर से लगाई गई पाबंदी से लोगों की असहमति जताने की क्षमता भी प्रभावित हुई है. लोग सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना खुलकर कर सकते थे. वो वहां पर सरकारी नीतियों या सरकार के कामकाज पर खुलकर बहस और चिंता जता सकते थे. इसके अलावा नेपाली मीडिया भी अपने खबरों के प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया पर आश्रित था. इसलिए इसका विरोध करने के लिए पत्रकार सबसे पहले आगे आए.

नेपाल राष्ट्र बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्तवर्ष में दूसरे देशो में काम करने वाले नेपालियों ने 10.86 अरब रुपये नेपाल भेजे थे. इसका परिणाम यह हुआ था कि नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया था. इस तरह रुपये भेजने वाले नेपालियों की संख्या लाखों में है. बीते साल दूसरे देशों में काम करने के लिए सात लाख 41 हजार से अधिक नेपाली गए थे. भारत के बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई)उनका दूसरा पसंदीदा ठिकाना है. यूएई में एक लाख 93 हजार से अधिक, सऊदी अरब में एक लाख 41 हजार से अधिक, कतर में एक लाख 34 हजार से अधिक, कुवैत में 40 हजार से अधिक नेपाली रहते हैं. ये लोग जो पैसे नेपाल भेजते हैं, उससे नेपाल में लोगों का जीवन स्तर भी सुधरा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक रेमिटेंस मनी की वजह से पिछले 12 सालों में नेपाली लोगों के सालाना खर्च में 66 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. यह 2011 में 75 हजार 902 रुपये थी जो 2023 में बढ़कर एक लाख 26 हजार 172 रुपये हो गई.

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नेपाल की राजधानी काठमांडू में संसद की दीवार पर चढ़कर भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर पाबंदी के खिलाफ प्रदर्शन करते लोग.

नेपाल में फोन और इंटरनेट

इस साल के शुरू में नेपाल की आबादी करीब तीन करोड़ थी. वहीं सक्रिय मोबाइल नंबरों की संख्या तीन करोड़ 90 लाख के आसपास थी. यानी 132 फीसदी लोगों के पास सक्रिय मोबाइल  नंबर था. इनमें से 16.5 मीलियन लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. नेपाल में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 14.3 मीलियन है. वहीं अगर नेपाल में इंटरनेट डाटा के कीमत की बात करें तो यह ब्रॉडबैंड के लिए 13 रुपये प्रतिमाह के दर से उपलब्ध है. इसमें 200एमबीपीएस से एक जीबीपीएस तक की रफ्तार मिलती है. वहीं अंतरराष्ट्रीय कॉल रेट की बात करें तो आमतौर पर यह 11 रुपये प्रति मिनट की दर से उपलब्ध है. साल 2021 में एक आम नेपाली अपनी सालाना आय को 2.6 फीसदी इंटरनटे डाटा पर खर्च करता था. यह दक्षिण एशिया में सबसे अधिक था. ऐसे में विदेशों में रह रहे अपने प्रियजनों से बात करने के लिए नेपाल में लोग टेलीफोन की जगह सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग करने को प्राथमिकता देते हैं, इनमें फेसबुक मैसेंजर और ह्वाट्सऐप प्रमुख प्लेटफार्म हैं. इसलिए जब सरकार ने इन प्लेटफार्म पर रोक लगाई तो लोग गुस्से से उबल पड़े.

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