अमेरिका में H1B वीजा पर क्यों भिड़े हैं राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक, किस देश को होता है फायदा

अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक एच 1 बी वीजा पर भिड़े हुए है. इसकी शुरूआत श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति के बाद हुई. ट्रंप के कुछ समर्थक इस पर आपत्ति जताने लगे. लेकिन अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने इसका समर्थन करते हुए एच 1 बी वीजा में सुधार की बात कही है.

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नई दिल्ली:

अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के शपथ लेने से पहले H1B वीजा पर राजनीति तेज हो गई है.अरबपति एलन मस्क और डॉनाल्ड ट्रंप समर्थकों के बीच भारतीय प्रवासियों पर बहस तेज हो गई है.ट्रंप ने मस्क और भारतीय मूल के अमेरिकी कारोबारी विवेक रामास्वामी को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी का प्रमुख नियुक्त किया है. इस विभाग का अमेरिकी ब्यूरोक्रेसी की साफ-सफाई और अमेरिकी सरकार के खर्चों में कटौती करने के उपाय सुझाना है. ट्रंप का मानना है कि इससे करीब दो ट्रिलियन डॉलर की बचत हो सकती है.मस्क और रामास्वामी एच 1बी वीजा के समर्थक हैं. वहीं लॉरा लूमर, मैट गेट्ज और एन कूल्टर जैसे ट्रंप समर्थक इस प्रोग्राम के खिलाफ हैं.उनका तर्क है कि इससे अमेरिकी लोगों के हिस्से की नौकरियां विदेशी लोगों को मिल जाएंगीं. अपने पहले कार्यकाल में इस प्रोग्राम पर रोक लगाने वाले ट्रंप इस बार इस मामले में नरम रुख अपनाए हुए नजर आ रहे हैं. 

कैसे शुरू हुआ  H1B वीजा पर विवाद

इस विवाद की शुरुआत ट्रंप प्रशासन में भारतीय मूल के श्रीराम कृष्णन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर पॉलिसी एडवाइजर बनाए जाने के बाद हुई. तमिलनाडु के चेन्नई में पैदा हुए कृष्णन की नियुक्ति से ट्रंप समर्थक सोशल मीडिया इनप्लूएंसर लारा लूमर नाराज हो गईं.उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,'' यह परेशान करने वाला है कि कई सारे वामपंथी लोग अब ट्रंप प्रशासन में नियुक्त किए जा रहे हैं. ये लोग ऐसे विचार रखते हैं, जो अमेरिका फर्स्ट एजेंडे के खिलाफ है. हमारे देश का निर्माण गोरे यूरोपियों ने किया था, भारतीयों ने नहीं.''लॉरा ने कृष्णन के एक पुराने सोशल मीडिया पोस्ट पर सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने कुशल पेशेवरों के लिए वीजा और ग्रीन कार्ड के विस्तार का समर्थन किया था.

इस बहस में एलन मस्क भी कूद पड़े. उनका कहना था कि अमेरिका में उतने ट्रेंड लोग नहीं हैं जितनी अमेरिकी कंपनियों को जरूरत है.उन्होंने कहा कि अगर आप अपनी टीम को चैंपियनशिप जिताना चाहते हैं, तो आपको बेहतर लोगों की भर्ती करनी पड़ेगी, चाहे वे कहीं के भी रहने वाले हों. उन्होंने शनिवार को एक्स पर लिखा कि किसी भी जाति, धर्म या देश को वह व्यक्ति जो अमेरिका आता है और इस देश के लिए कठोर परिश्रम करता हो, उसके प्रति मेरे मन में सम्मान है. अमेरिका स्वतंत्रता और अवसरों का देश है.

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मस्क के यह कहने पर लूमर ने कहा कि मस्क, ट्रंप के अमेरिका को फिर से महान बनाने (Make America Great Agian-MAGA) के साथ नहीं हैं. वे ट्रंप के लिए एक बाधा हैं. वह ट्रंप के साथ केवल अपने फायदे के लिए जुड़े हैं.लॉरा ने कहा कि मस्क चाहते हैं कि हर कोई उन्हें हीरो समझे क्योंकि उन्होंने ट्रंप को चुनाव लड़ने में 250 मिलियन डॉलर खर्च कर डाले. लेकिन यह बहुत बड़ी बात नहीं है क्योंकि इतने पैसे लगाकर मस्क इससे कहीं ज्यादा कमाने वाले हैं. लारा का आरोप है कि मस्क ने उनके एक्स अकाउंट से ब्लू बैज हटा दिया है. लूमर का कहना है कि मस्क का यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है.

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एलन मस्क को मिला विवेक रामास्वामी का समर्थन

लूमर के इस हमले के बाद मस्क के समर्थन में विवेक रामास्वामी आगे आए. उन्होंने यहां तक कह दिया कि कुशल विदेशी लोगों के बिना अमेरिका का पतन तय है. उन्होंने कहा कि टॉप कंपनियां मूल अमेरिकियों के बजाए विदेशी लोगों को नौकरी पर रखती हैं. इसकी वजह यह नहीं है कि अमेरिकियों में मेधा की जन्मजात कमी है, बल्कि इसकी वजह अमेरिकी संस्कृति का औसत दर्जे की तरफ बढ़ना है.रामास्वामी का कहना है कि अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए दुनिया के टॉप लोगों को नौकरियों पर रखना चाहिए. रामास्वामी के इस बयान पर अमेरिकी दक्षिणपंथी भड़क गए. लॉरा ने कह दिया कि अगर भारत इतना हाई स्किल्ड होता, तो लोग अमेरिका जाने के बजाय वहीं रहते. यह मान लीजिए कि सस्ती मजदूरी के लिए आप उन्हें चाहते हैं. भले ही लोग इसके लिए उन्हें नस्लवादी कहा जाए.

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रामास्वामी एच 1 बी वीजा प्रोग्राम के समर्थक हैं. इस वीजा पर हर साल करीब 45 हजार भारतीय अमेरिका जाते हैं. इलॉन मस्क भी एच 1 बी वीजा पर ही दक्षिण अफ्रीका से अमेरिका आए थे. उन्होंने एच 1 बी वीजा की वकालत की है.उन्होंने पिछले हफ्ते कहा कि उनकी स्पेसएक्स और टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए विदेशी पेशेवरों की जरूरत है. मस्क ने 'एक्स' पर लिखा,''मैं एच1बी कार्यक्रम के कारण ही स्पेसएक्स, टेस्ला और अमेरिका को मजबूत बनाने वाली सैकड़ों अन्य कंपनियों का निर्माण करने वाले कई महत्वपूर्ण लोगों के साथ अमेरिका में हूं.'' लेकिन उन्होंने इस प्रोग्राम को खत्म जैसा बताते हुए, इसमें बड़े पैमाने पर सुधार करने की वकालत की है. मस्क ने कहा कि इस प्रोग्राम में न्यूनतम सैलरी और मेंटेनेंस को बढ़ाकर इसमें सुधार किया जाना चाहिए.

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डॉनल्ड ट्रंप के रुख में आया बदलाव

हालांकि डॉनल्ड ट्रंप ने अपने पिछले राष्ट्रपति कार्यकाल में एच-1बी वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन इस बार उनका रुख नरम नजर आ रहा है.लेकिन दूसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद ट्रंप ने एच 1 बी वीजा पर अपने रुख में बदलाव किया है.ट्रंप ने 28 दिसंबर को 'न्यूयॉर्क टाइम्स' से कहा कि वो हमेशा से इस वीजा के समर्थन में रहे हैं. ट्रंप ने कहा,'' मैं एच 1 बी वीजा में भरोसा करता हूं. मेरी कंपनियों में भी कई H-1B वीजा वाले लोग हैं. मैंने कई बार इसका इस्तेमाल किया है. यह एक बेहतरीन प्रोग्राम है.''

इससे पहले माना जाता था कि ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने से प्रवासियों के लिए काफी मुश्किलें पैदा कर सकती हैं. लेकिन उनके बदले रुख ने एच 1 बी वीजा पर अमेरिका जाने की उम्मीद कर रहे लोगों में उम्मीद जताई है. इससे भारत को अधिक फायदा होगा.भारतीय पेशेवर एच 1 बी वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी हैं.इस वीजा पर अमेरिका में काम करने वालों में 70 फीसद से अधिक भारतीय हैं.इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाशिंगटन में घोषणा की थी कि भारतीयों को अपने एच 1 बी वीजा के नवीनीकरण के लिए अमेरिका से बाहर नहीं जाना पड़ेगा.उनकी इस घोषणा ने भारतीयों के लिए अमेरिका में रहकर काम करने को आसान बना दिया था. 

H 1B वीजा है क्या

एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है. इसके जरिए अमेरिकी कंपनियों को ऐसे काम में विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति मिलती है, जिनमें व्यावसायिक या प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है. इसके जरिए तकनीक के क्षेत्र की कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से हजारों पेशेवरों को नियुक्ति करती हैं.

यह वीजा आमतौर पर आईटी, आर्किट्रेक्टचर, हेल्थ आदि के लिए दिया जाता है.यह वीजा हासिल करने के लिए जरूरी है कि कोई कंपनी उस व्यक्ति को नौकरी की पेशकश करे. यह तब तक ही काम करता है, जबतक कि आप का नौकरी देने वाला आपको काम से निकाल देता है और कोई दूसरी कंपनी आपको काम नहीं देती है तो यह वीजा अपने आप खत्म हो जाएगा.इसकी समय सीमा तीन साल के लिए होती है. लेकिन जरूरत पड़ने पर यह अगले तीन साल के लिए बढ़ाई जा सकती है. अमेरिका हर साल 65 हजार लोगों को एच 1 बी वीजा देता है. वह पीजी या उससे अधिक की डिग्री रखने वालों के लिए 20 हजार अतिरिक्त एच 1 बी वीजा जारी करता है. 

एच 1 बी वीजा लेने के बाद आप अमेरिका में सोशल सिक्योरिटी नंबर हासिल कर सकते हैं. आप स्टेट आईडी या ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं. अपना बैंक खाता खोल सकते हैं. आप कार खरीद सकते हैं या किराए पर ले सकते हैं. आप किराए पर मकान ले सकते हैं या अपना मकान खरीद सकते हैं. 

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