डोनाल्ड ट्रंप के मंत्रियों की लिस्ट से क्यों खौफ में है चीन, समझिए

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा होने की स्थिति में बीजिंग सारे घटनाक्रम पर नज़र बनाए हुए है. चीन का मानना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति कट्टरपंथियों से घिरे हुए हैं जो चीन के खिलाफ कड़ी  बयानबाजी करते हैं और चीन के साथ टकराव का समर्थन करते हैं.

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डोनाल्ड ट्रंप और शी चिनफिंग.
नई दिल्ली:

China on Donald Trump new Cabinet: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप (President elect Donald Trump) की ताजपोशी की तैयारी चल रही है. इससे पहले ट्रंप ने अपनी टीम की तैयारी शुरू कर दी है. ट्रंप ने पिछले कुछ दिनों में अपनी सरकार को दौरान अहम पदों की जिम्मेदारी संभालने वाले लोगों की सूची तक जारी कर दी है. सूची जारी होने के बाद पूरी दुनिया में सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति की टीम पर चर्चा होना तया है. हर देश लीडर और टीम को अपने-अपने दृष्टिकोण से देख रहा है. ऐसे में नई टीम की घोषणा के बाद से चीन में भी चिंता का माहौल बन गया है. इसके पीछे का कारण क्या है उसे समझते हैं. डोनाल्ड ट्रंप की नई कैबिनेट में ऐसे लोगों को जगह दी गई है जो चीन के विरोधी रहे हैं . कैबिनेट के कुछ लोग चीन के कम्युनिस्ट शासकों की तुलना नाज़ियों से कर चुके हैं.चीन पर कोविड की साजिशें रचने का आरोप लगा चुके हैं. इतना ही नहीं शीत युद्ध की बात कह चुके हैं और ताइवान के लिए खुलकर सैन्य समर्थन की बात कर चुके हैं.

चीन बनाए हुए नजर

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा होने की स्थिति में बीजिंग सारे घटनाक्रम पर नज़र बनाए हुए है. चीन का मानना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति कट्टरपंथियों से घिरे हुए हैं जो चीन के खिलाफ कड़ी  बयानबाजी करते हैं और चीन के साथ टकराव का समर्थन करते हैं.

मार्को रुबियो से परेशान चीन

इनमें से चीन को जो सबसे ज्यादा परेशान करने वाला नाम है वह है मार्को रुबियो. मार्को रुबियो को ट्रंप ने विदेश मंत्री बनाने की घोषणा की है. मार्को रुबियो फ्लोरिडा के सीनेटर बने हैं. रुबियो पर शिनजियांग से लेकर हांगकांग तक के मुद्दों का समर्थन करने के लिए चीन ने प्रतिबंध लगाए गए हैं.

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शंघाई के फुडन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वू शिनबो का मानना है कि  इन जैसे कट्टरपंथी (रुबियो) न केवल चीन के मुद्दों से निपटने में बहुत सख्त रुख रखते हैं, बल्कि इनके द्वारा परिणामों की परवाह किए बिना कार्रवाई करने की भी बहुत संभावना है."

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वू का कहना है कि बाइडेन प्रशासन की तुलना में, ट्रंप के राज में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापार और बातचीत बहुत कम और संकुचित हो जाएगी.

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क्यों हुआ रुबियो का चीन में विरोध

गौरतलब है कि चीन के खिलाफ 2021 उइघुर जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम के रुबियो एक प्रमुख प्रायोजक थे. इस कानून के उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र से सभी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा था जब तक कि कंपनियां इस बात का सत्यापन नहीं करतीं कि उत्पादन में ऐसा कोई उल्लंघन शामिल नहीं है.

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रुबियो का चीन पर रुख

2023 के एक भाषण में, रुबियो ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को चीन चंगुल से निकालने की लड़ाई में सफलता या हमारी विफलता 21वीं सदी को परिभाषित करेगी. 

रुबियो ने चेतावनी भी दी थी कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर चीन का प्रभाव है. हमारे समाज पर चीन का प्रभाव है. चीन के पास वाशिंगटन में अवैतनिक पैरोकारों की एक भी सेना है.

अब विश्लेषकों ने कहा कि उनकी नियुक्ति से चीन पर अमेरिकी राजनयिक सोच में बदलाव आ सकता है.

चीन का कहां आएगी दिक्कत 

ताइपे स्थित सुरक्षा विश्लेषक जे. माइकल कोल का भी कहना है कि रुबियो चीन के प्रति काफी सख्त हैं. कोल का कहना है कि रुबियो के खिलाफ जो चीन की यात्रा के प्रतिबंध हैं, उनसे शिखर सम्मेलनों की बैठकों के लिए समस्याएं होंगी जहां उन्हें अपने चीनी समकक्षों के साथ बातचीत करनी होगी.

कोविड फैलाने का चीन पर आरोप

कोल ने एक अन्य प्रमुख चीन विरोधी को सीआईए के प्रमुख के रूप में ट्रंप द्वारा चुने गए जॉन रैटक्लिफ की ओर इशारा किया. कोल ने कहा कि रैटक्लिफ ये मानते हैं कि कोविड-19 मध्य चीनी शहर वुहान की एक प्रयोगशाला से लीक हुआ था.

माइक वाल्ट्ज का बयान चीन के लिए खतरा

अमेरिका में किसी भी प्रशासन में सबसे शक्तिशाली पदों में से एक व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने जा रहे कांग्रेसी माइक वाल्ट्ज हैं, जो कहते रहे हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका "चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ शीत युद्ध" में है.

वाल्ट्ज कह चुके हैं कि अमेरिका को रूस के साथ यूक्रेन के युद्ध के अनुभव से सीखते हुए और "सीसीपी के खतरे को देखते हुए अब ताइवान को और हथियार देना चाहिए.

उन्होंने पश्चिमी गोलार्द्ध में कथित चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए नए सिरे से "मोनरो सिद्धांत" पर काम करने आह्वान किया है. साथ ही वाल्ट्ज ने बीजिंग पर प्रशांत क्षेत्र में अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए "1930 के दशक के समान नाज़ी जर्मनी के आकार की सैना तैयार करने का आरोप भी लगाया.

खुश होगा ताइवान

उल्लेखनीय है कि ट्रंप की कैबिनेट के नाम और बयान ताइवान के लोगों के लिए सुखद समाचार है. ताइवान स्वतंत्र द्वीप जिस पर बीजिंग ने फिर से हासिल करने के लिए बल का उपयोग करने से कभी भी इनकार नहीं किया है.

ताइपे में सूचो विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर फैंग-यू चेन का कहना है कि रुबियो ताइवान का लंबे समय से मित्र है, और वह ताइवान के लिए बहुत-बहुत मित्रवत रहा है."

उन्होंने कहा कि हम उम्मीद कर सकते हैं कि बहुत सारी ताइवान-अनुकूल नीतियां होंगी. उनका कहना है कि ताइवान और अमेरिका के बीच अब कई स्तर के कामकाजी संबंध बनेंगे. 

गौरतलब है कि इससे चीन नाराज हो सकता है. अमेरिकी अधिकारियों और ताइपे के नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत के जवाब में चीन ने हाल के समय में ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास काफी बढ़ा दिया है.

बीजिंग ने नहीं की ट्रंप पर कोई टिप्पणी

बीजिंग ने आने वाले राष्ट्रपति द्वारा नियुक्तियों पर टिप्पणी करने से इनकार किया है और जोर देकर कहा है कि वाशिंगटन के प्रति उसकी नीति "सुसंगत और स्पष्ट" है.

गौरतलब है कि ट्रंप ने संयुक्त राज्य अमेरिका में आने वाले सभी चीनी सामानों पर 60 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही है. लेकिन उन्होंने चीन के नेता शी जिनपिंग के प्रति अपनी प्रशंसा भी व्यक्त की है और संकेत दिया है कि बीजिंग के बातचीत के जरिए मामले को हल किया जा सकता है. 

ट्रंप के रुख का चीन को इंतजार

वू ने कहा कि यह देखना होगा कि ट्रंप चीन के प्रति क्या रुख लेते हैं. वे चीन से समझौता करते हैं या फिर पूरी तरह से नाता तोड़ टकराव के रास्ते पर चलते हैं. इसमें ट्रंप का रवैस सबसे महत्वपूर्ण है. 

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