केंद्र ने मंगलवार को रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (Lt General Anil Chauhan (retd)) को नया चीफ ऑफ डिफेंस सर्विसेज़ (CDS) नियुक्त किया. लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान की नियुक्ति सशस्त्र बलों में हो रहे आमूल बदलावों के बीच की गई है. यह नियुक्ति पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के हेलीकॉप्टर हादसे में मारे जाने के करीब एक साल बाद की गई है. केंद्र चीन (China) के साथ लगती सीमा पर चीनी सेना की तैनाती और विवाद से सावधान है. साल 2020 की झड़प ताजा तनाव में जड़ में रही थी. लेफ्टिनेंट जनरल चौहान (रिटा.) को "चीन का विशेषज्ञ" बताया जा रहा है और पिछले साल रिटायर्ड होने के बाद से वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं.
बुधवार देर शाम आई एक विज्ञप्ति के अनुसार, रक्षा मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया कि वो "अगले आदेश तक" चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद पर नियुक्त होंगे.
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ( रिटा.) ने पद छोड़ने से पहले पूर्वी मोर्चे पर थल सेना की कमांड संभाली है. इसमें चीन के साथ विवादित सीमा का अधिकतर हिस्सा भी शामिल है.
दोनों देशों ने अरुणाचल प्रदेश के नियंत्रण के लिए 1962 में पूरे स्तर का युद्ध लड़ा था. चीन इसे तिब्बत का हिस्सा मानता है और कहता है कि इसपर पूरी तरह से उसका अधिकार है.
नई दिल्ली और बीजिंग एक दूसरे पर लगातार 3,500 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के प्रमुख विवादित हिस्सों को कब्जे में लेने का आरोप लगाते रहते हैं.
साल 2020 में तिब्बत और लद्दाख को अलग करने वाली सीमा के पास हुए दोनों देशों की झड़प में 20 भारतीय और कम से कम चार चीनी सैनिक मारे गए. इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में खटास आई.
लेकिन दोनों देशों ने करीब ढ़ाई साल की तनातनी के बाद इस महीने घटनास्थल से सैनिकों को पीछे बुलाना शुरू किया. यह उच्च स्तरीय सैन्य बातचीत के 12 दौर बाद हो रहा है.
केंद्र हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी से भी चिंतित है. लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ( रिटा.) के करियर में कश्मीर में कमांडिंग रोल निभाना भी शामिल है. उन्होंने 2019 में म्यांमार के आतंकी संगठनों के खिलाफ क्रॉस बॉर्डर स्ट्राइक का नेतृत्व भी किया था. इनके अपॉन्टमेंट के बाद दिसंबर 2021 से सीडीएस पद के लिए बनी अनिश्चितता पर लगाम लग गई है.
जनरल रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे और उन्हें प्रधानमंत्री मोदी का निकट सहयोगी माना जाता था. प्रधानमंत्री मोदी ने यह पद खास तौर पर उनके लिए बनाया था.
दफ्तर में रहते हुए जनरल रावत ने लगातार चीन के एक्शन्स पर सवाल उठाया और नेपाल में चीन की बढ़ती मौजूदगी पर चेतावनी भी दी.