- पाकिस्तान में सबसे अमीर बिल्डर रहे मलिक रियाज हुसैन की 3 सपंत्ति नीलाम कर दी गई हैं.
- मलिक रियाज हुसैन बहरिया टाउन के मालिक हैं, जिसे पाकिस्तान की शान माना जाता है.
- मलिक ने 1500 रुपये से ठेका लेकर अरबों का साम्राज्य बनाया, सेना से लेकर सत्ता तक उसकी ठसक रही.
मलिक रियाज हुसैन, पाकिस्तान के सबसे प्रभावशाली और अमीर बिल्डरों में रहा एक शख्स, जिसकी पहुंच दशकों तक राजनीति और सेना के गलियारों में रही, जिसकी वजह से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जेल हुई, वह आज खुद कानून के शिकंजे में है. मलिक की बनाई बहरिया टाउनशिप को पाकिस्तान की शान माना जाता है, लेकिन अब उसकी संपत्तियां नीलाम हो रही हैं. पाकिस्तान की नेशनल एकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) ने मलिक की तीन संपत्तियों को नीलाम कर दिया है ताकि डूबी रकम की भरपाई हो सके.
मलिक रियाज हुसैन की कहानी किसी परीकथा से कम नहीं है. मलिक बरसों तक पाकिस्तान के सबसे ताकतवर और प्रभावशाली शख्सियत माने जाते रहे. उनकी पहुंच न केवल बड़े-बड़े नेताओं तक रही बल्कि सेना और मीडिया में भी करीबी संबंध थे. इन्हीं संबंधों की बदौलत वह अक्सर मुश्किलों से बच निकलते थे. लेकिन इस बार, लगता है कि किस्मत ने उनका साथ छोड़ दिया है.
उधार के 1500 रुपये से शुरू हुई कहानी
मलिक की कहानी करीब 40 साल पहले एक कॉन्ट्रैक्टर के रूप में शुरू हुई थी. तब उनके परिवार के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि नवजात बेटी का इलाज करा सकें. इसके लिए परिवार को अपने चांदी के बर्तन बेचने पड़े थे. लेकिन उसके बाद 1979 में मलिक ने अपने दोस्त से 1500 रुपये उधार लेकर सेना की इंजीनियरिंग विंग में एक ठेका लेने के लिए एप्लाई किया. बस इसके बाद मलिक की किस्मत ऐसी चमकी कि वह पाकिस्तान के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट तक पहुंच गए.
सत्ता, रुतबा, रईसी से भगोड़ा बनने का सफर
- मलिक ने सेना के अधिकारियों, नेताओं पर पैसा लुटाया, बदले में बड़े-बड़े कॉन्ट्रैक्ट मिलने लगे.
- उसने नेताओं, जजों और सैन्य अधिकारियों की सेवा करके खूब रुतबा और पैसा बनाया.
- वह खुलेआम कहता था कि उसने नेता ही नहीं, जजों-ISI अधिकारियों को भी रिश्वत खिलाई है.
- उसने बहरिया टाउन नाम से पाकिस्तान की पहली गेटबंद कॉलोनी डेवलप की.
- क़ॉलोनी की पहाड़ी पर एफिल टॉवर और स्टेचू ऑफ लिबर्टी की विशालकाय कृतियां भी लगवाईं.
- फिर जब पाकिस्तान में शिकंजा कसने लगा तो भाग कर यूएई चला गया.
190 मिलियन पाउंड का राज
इस कहानी की जड़ 190 मिलियन पाउंड (करीब 2200 करोड़ भारतीय रुपये) की एक बड़ी सैटलमेंट डील से जुड़ी है. 2019 में ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी (NCA) ने दावा किया था कि मलिक रियाज़ यूके में चल रही जांच के सैटलमेंट के तौर पर 190 पाउंड मिलियन देने को तैयार हो गया है. आरोप था कि यह पैसा अपराध की कमाई से हासिल किया गया था. बाद में एक समझौते के तहत तय हुआ कि यह रकम पाकिस्तान सरकार को दे दी जाएगी.
इमरान खान भी फंसे, जाना पड़ा जेल
असली खेल यहीं से शुरू हुआ. आरोप लगे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने इस पैसे को सरकारी खजाने में जमा करने के बजाय, इसका इस्तेमाल मलिक रियाज़ पर कराची में अवैध जमीन अधिग्रहण के लिए लगाए गए जुर्माने को चुकाने के लिए किया. अब सीन में आता है अल-कादिर ट्रस्ट. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी पर मलिक रियाज से रिश्वत लेने का आरोप लगा. कहा गया कि इमरान खान ने इसी पैसे की मदद से मलिक रियाज से जमीन लेकर अपने ट्रस्ट के लिए इस्तेमाल किया. इस मामले में इमरान खान को जनवरी 2025 में 14 साल की सजा भी सुनाई गई.
विशाल साम्राज्य ढहने के कगार पर
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में इनकी नीलामी के खिलाफ दायर मलिक की याचिकाओं को खारिज कर दिया था. मलिक कहते रह गए कि उन्हें राजनीतिक वजहों से निशाना बनाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा है कि उनके बहरिया टाउन का साम्राज्य ढहने की कगार पर है. उन्होंने दावा किया कि उनके बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं, गाड़ियां जब्त कर ली गई हैं और दर्जनों कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री ने हाल ही में आरोप लगाया था कि मलिक रियाज और बहरिया टाउन अरबों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग में भी शामिल हैं. अब एनएबी ने मलिक की तीन संपत्तियों को नीलाम कर दिया है.
(इनपुट एजेंसियां)