दुनिया में जो रुतबा अमेरिकन राष्ट्रपति का होता है, यकीनन वैसा किसी दूसरे का नहीं. यही वजह है कि दुनिया के तमाम देशों की अमेरिकन राष्ट्रपति के सामने घिग्घी बंध जाती है. मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें फर्क नहीं पड़ता कि सामने वाले का रसूख क्या है. पिछले दिनों यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की जहां ट्रंप से तीखी बहस की वजह से चर्चा में छाए थे. इस बार कुछ ऐसी ही जोरदार बहस ट्रंप और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के बीच हुई. इस बहस में ट्रंप ने आरोप लगाया कि साउथ अफ्रीका में गोरे किसानों का नरसंहार किया जा रहा है.
ओवल ऑफिस में मीटिंग के दौरान ट्रंप ने एक वीडियो को सबूत के तौर पर दिखाते हुए दावा किया कि साउथ अफ्रीका में गोरे लोगों को टारगेट किया जा रहा है. इसके कारण किसान अमेरिका की ओर भाग रहे हैं. हालांकि, रामफोसा ने दावों का खंडन करते हुए कहा कि नरसंहार के आरोप झूठे हैं. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति से कहा- साउथ अफ्रीका में सभी जातियों के लोग हिंसक अपराध से पीड़ित हैं और इनमें अधिकांश अश्वेत भी हैं. ऐसा नहीं है कि वहां सिर्फ गोरे लोगों को नहीं सताया जा रहा है. अमेरिकन राष्ट्रपति के साथ जोरदार बहस करने वाले दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा कौन हैं, यहां उनके बारे में विस्तार से जानिए-
कौन हैं सिरिल रामफोसा
सिरिल रामफोसा भले ही अभी साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति हों, लेकिन उनका जीवन संघर्ष, नेतृत्व और रणनीति का प्रतीक है, जो उन्हें दक्षिण अफ्रीका के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बनाता है. सिरिल रामफोसा (Cyril Ramaphosa) दक्षिण अफ्रीका के एक प्रमुख राजनेता, व्यवसायी और पूर्व ट्रेड यूनियन नेता भी रहे हैं और मौजूदा वक्त में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने 15 फरवरी 2018 को यह पद संभाला. वे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) के अध्यक्ष भी हैं, जिसका नेतृत्व उन्होंने दिसंबर 2017 से शुरू किया.
रामफोसा वेंडा समुदाय से हैं, उनके पिता सैमुअल रामफोसा एक सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी थे, और मां एर्डमुथ एक गृहिणी थीं. रामफोसा ने त्शिलिदज़ी प्राइमरी स्कूल और सेकानो-नटोआने हाई स्कूल, सोवेटो में पढ़ाई की. साल 1971 में उन्होंने म्फाफुली हाई स्कूल, सिबासा, वेंडा से मैट्रिक पूरा किया. साल 1972 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ द नॉर्थ (अब लिम्पोपो विश्वविद्यालय) में लॉ की पढ़ाई शुरू की और 1981 में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ अफ्रीका (UNISA) से B.Proc डिग्री प्राप्त की.
राजनीतिक और सामाजिक योगदान:
रंगभेद विरोधी आंदोलन: रामफोसा ने 1970 के दशक में छात्र राजनीति में अपनी सक्रियता दिखाई, साउथ अफ्रीकन स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (SASO) और ब्लैक पीपल्स कन्वेंशन (BPC) में शामिल हुए. फिर साल 1974 और 1976 में उन्हें रंगभेद विरोधी रैलियों के लिए हिरासत में लिया गया.
ट्रेड यूनियन नेतृत्व: साल 1982 में उन्होंने नेशनल यूनियन ऑफ माइनवर्कर्स (NUM) की स्थापना की और इसके पहले महासचिव बने. उनके नेतृत्व में NUM 6,000 से बढ़कर 1992 तक 300,000 सदस्यों वाली यूनियन बन गई, जो रंगभेद के खिलाफ एक मजबूत शक्ति थी.
ANC में भूमिका: साल 1991 में वे ANC के महासचिव चुने गए और नेल्सन मंडेला के नेतृत्व में रंगभेद को समाप्त करने वाली वार्ताओं में ANC के मुख्य वार्ताकार थे. 1994 में वे दक्षिण अफ्रीका की संवैधानिक सभा के अध्यक्ष बने, जिसने देश का नया संविधान तैयार किया.
2018 में जैकब ज़ूमा के इस्तीफे के बाद रामफोसा राष्ट्रपति बने. उन्होंने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आर्थिक विकास जैसे मुद्दों पर खासा ध्यान दिया. उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान सख्त लॉकडाउन उपाय लागू किए और टीकों की व्यवस्था की. 1996 में राजनीति से हटने के बाद, रामफोसा ने व्यवसाय में कदम रखा. उन्होंने शांदुका ग्रुप की स्थापना की, जिसके पास खनन, संपत्ति, वित्त और फास्ट-फूड जैसे क्षेत्रों में हिस्सेदारी थी. वे मैकडॉनल्ड्स साउथ अफ्रीका के मालिक और MTN, लोनमिन जैसे बोर्डों के भी अध्यक्ष रहे. उनकी अनुमानित संपत्ति 2018 में 6.4 बिलियन रैंड (लगभग $450 मिलियन) थी.
मारीकाना विवाद: 2012 में मारीकाना नरसंहार में, लोनमिन खनिकों की हड़ताल के दौरान पुलिस गोलीबारी में 34 लोग मारे गए. रामफोसा, जो लोनमिन के शेयरधारक थे, उनको "आपराधिक" प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया गया, जिसके लिए उनकी आलोचना हुई।
व्यक्तिगत जीवन: रामफोसा की शादी डॉ. त्शेपो मोटसेपे से हुई है, और उनके चार बच्चे हैं. उनकी पहली शादी होप मुकोंदेलेली (1978-1989) और दूसरी शादी नोमाज़िज़ी म्टशोत्शिसा से थी.
पुरस्कार: उन्हें 1987 में ओलोफ पाल्मे पुरस्कार और 2009 में नेशनल ऑर्डर ऑफ द बाओबाब (सिल्वर) मिला.
रामफोसा 14 जून 2024 को दूसरी बार दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति चुने गए, जब ANC ने 2024 के आम चुनावों में बहुमत खो दिया और गठबंधन सरकार बनाई. वे एक कुशल रणनीतिकार और वार्ताकार के रूप में भी अफ्रीकन देश में पहचाने जाते हैं, जिन्होंने रंगभेद को समाप्त करने और दक्षिण अफ्रीका के लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.