ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद कब होगा चुनाव? क्या हैं प्रक्रिया, जाने सबकुछ

फ्रांस की तरह ईरान में भी हर 4 साल में चुनाव होता है. पिछला चुनाव 2021 में हुआ था, इसलिए अगला चुनाव 2025 में प्रस्तावित था, लेकिन इब्राहिम रईसी की मौत के बाद जल्द ही चुनाव करवाया जाएगा,

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
ईरान:

इस सप्ताह एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मृत्यु इस्लामी गणतंत्र ईरान के सबसे चुनौतीपूर्ण समय में से एक के दौरान हुई. राजनीतिक अभिजात वर्ग में एक खास मुकाम रखने वाले रईसी का ईरान की घरेलू नीतियों पर गहरा प्रभाव था. वह क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ संबंध सुधारने के ईरान के हालिया कदमों के केंद्र में भी थे. उनके व्यापक प्रभाव को देखते हुए, उनकी अनुपस्थिति का देश के घरेलू मामलों पर क्या असर होगा? और इसका क्षेत्र में देश के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

खतरनाक समय में स्थिरता बनाए रखना

रईसी की सरकार बहुत रूढ़िवादी थी और उनके देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के साथ घनिष्ठ संबंध थे. दोनों पक्षों के बीच लगभग कोई संघर्ष या असहमति नहीं थी, जो पिछली सरकारों के विपरीत थी, जिनमें से अधिकांश में नेता के साथ कुछ दूरी या तनाव था. ऐसे में राष्ट्रपति की कमान किसे मिलेगी, कब चुनाव होगा, इन सबको लेकर सवाल उठ रहे हैं.

क्या कहता है ईरान का संविधान?

ईरान के संविधान के अनुसार, यदि किसी राष्ट्रपति की मौत होती है तो राष्ट्र के सर्वोच्च नेता के द्वारा उप राष्ट्रपति को अंतरिम राष्ट्रपति बनाया जाता बै. सर्वोच्च नेता की मंजूरी के बिना ही ये संभव होता है. देख जाए तो ईरान के सर्वेसर्वा सुप्रीम लीडर ही हैं. 

मोहम्मद मोखबर को अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया

नए चुनाव होने तक उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कदम रखा है. यह उम्मीद की जाती है कि सर्वोच्च नेता के करीबी रूढ़िवादी आंतरिक मंडल न्यूनतम चुनौतियों के साथ एक सुचारु परिवर्तन का लक्ष्य रखते हुए, चुनाव के लिए अपने पसंदीदा उम्मीदवार का चयन करेंगे. जैसा कि खामेनेई ने एक्स पर पोस्ट किया: देश को चिंतित या परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि देश का प्रशासन बाधित नहीं होगा.

हर 4 साल में होता है चुनाव

 ईरान में भी हर 4 साल में चुनाव होता है. फ्रांस में भी इसी तरह का मामला है. देखा जाए तो ईरान में. पिछला चुनाव 2021 में हुआ था, इसलिए अगला चुनाव 2025 में प्रस्तावित था, लेकिन इब्राहिम रईसी की मौत के बाद जल्द ही चुनाव करवाया जाएगा, 

किसकी होती है जिम्मेदारी

भारत में चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है, लेकिन ईरान में गार्डियन काउंसिल चुनाव कराती है. यह सुप्रीम लीडर की देखरेख में 6 इस्लामी जजों और 6 वरिष्ठ मौलवियों का एक पैनल होता है. यह पैनल तकनीकी और वैचारिक आधार पर चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों की जांच करता है. इसमें शिक्षा का स्तर, इस्लाम के प्रति प्रतिबद्धता, संविधान और इस्लामी गणतंत्र के मूल्य शामिल हैं.

महिला राष्ट्रपति नहीं बन सकती है

रिपोर्ट बताती हैं कि गार्डियन काउंसिल ने कभी महिलाओं को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी. पिछले चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए 592 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था,  लेकिन गार्डियन काउंसिल ने केवल 7 उम्मीदवारों को ही चुनाव लड़ने की अनुमति दी और बाकी के नामों को खारिज कर दिया. 

Advertisement

18 वर्ष की आयु होते ही कर सकेंगे मतदान

ईरान में 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी ईरानी मतदान कर सकते हैं. नियम यह भी है कि अगर पहले चरण में किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा मत नहीं मिलता है तो एक रन-ऑफ चुनाव कराया जाता है. यानी पहले चरण की वोटिंग में यदि किसी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से अधिक वोट नहीं मिले तो दूसरे चरण में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले 2 उम्मीदवारों के लिए वोट डाले जाते हैं. इसके बाद मतपत्रों की मैन्युअल गणना की जाती है. उसके बाद विजेता का नाम घोषित कर दिया जाता है.

सुप्रीम लीडर के बिना पत्ता भी नहीं हिलता

ईरान में जो कुछ भी होता है, वह सुप्रीम लीडर की मर्जी से ही होता है. ईरान में भले ही राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति होते हैं, लेकिन पावर कंट्रोल सुप्रीम लीडर के पास ही है. राष्ट्रपति चुनाव में कैंडिडेट के नामों पर भी सुप्रीम लीडर की ही मुहर लगती है. सुप्रीम लीडर ईरान में सर्वेसर्वा होते हैं. सेना हो या न्यापालिका, सभी पर सुप्रीम लीडर का ही अधिकार होता है.

Advertisement

Featured Video Of The Day
Mumbai में दिल दहला देने वाला Accident, 19 साल के किशोर ने 4 साल के बच्चे को कार से कुचला