मसूद अजहर पाकिस्तान में था और है! भारत से सबूत मांगने के पहले बिलावल भुट्टो पाकिस्तानी अखबारों में मौजूद सबूतों को पढ़ लें

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और मौजूदा शहबाज सरकार के सहयोगी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने दावा में कहा है कि इस्लामाबाद को नहीं पता कि जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर कहां है.

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  • पाकिस्तान ने एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ झूठे दावे किए हैं, जिससे उसके ट्रैक रिकॉर्ड पर सवाल उठते हैं.
  • बिलावल भुट्टो ने कहा कि मसूद अजहर की गिरफ्तारी के लिए भारत से जानकारी की आवश्यकता है.
  • पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स में मसूद अजहर की सुरक्षा और मौजूदगी का उल्लेख है, जो सरकार की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाते हैं.
  • पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ने भी माना कि मसूद अजहर उनकी हिरासत में था, फिर भी उसे गिरफ्तार नहीं किया गया.
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तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना
कि खुशी से मर न जाते अगर ए'तिबार होता

पाकिस्तान अगर आतंकवाद और आतंकवादियों के खिलाफ कुछ बोल रहा होता है तो हर बार मिर्जा गालिब का यह शेर जुबां पर आ जाता है. आतंक की बीज तैयार करने, उसकी फसल बोने, उसमें खाद डालने से लेकर उस फसल को काटने को ही अपना अस्तित्व बना लेने वाले हम इस आतंकवाद के मुद्दे पर एक अदद ‘झूठ' के सिवा और कुछ उम्मीद नहीं कर सकते. पाकिस्तान ने एक बार फिर झूठ बोला है.

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और मौजूदा शहबाज सरकार के सहयोगी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने दावा में कहा है कि इस्लामाबाद को नहीं पता कि जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर कहां है. उल्टा बिलावल ने कहा कि अगर भारत जानकारी दे कि वह पाकिस्तानी धरती पर है तो मसूद अजहर को गिरफ्तार करने में "खुशी" होगी.

सवाल है कि पाकिस्तान के ट्रैक रिकॉर्ड और खुद बिलावल से लेकर पाक आर्मी चीफ की भारत और कश्मीर के मुद्दे पर जहरीली बोल लगातार सुनकर, बिलावल के दावे पर कितना भरोषा किया जाए. दरअसल पाकिस्तान के अखबार की बिलावल के इन दावों का पर्दाफाश कर रहे हैं और साबित करते हैं कि भले नाम के लिए पाकिस्तान ने जनवरी 2002 में ही जैश-ए-मोहम्मद को बैन कर दिया था लेकिन उसका कर्ता-धर्ता मसूद अजहर लगातार पाकिस्तान के अंदर ही रहा है, एक इंटरव्यू में तो खुद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कबूला है कि मसूद अजहर उनकी हिरासत में भी था. चलिए आपको पाकिस्तान की कुछ ऐसी ही मीडिया रिपोर्ट से दो-चार करते हैं.

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जनवरी 2014- डॉन की रिपोर्ट

2 फरवरी 2014 को पाकिस्तान की मीडिया हाउस डॉन ने ‘द रिटर्न ऑफ मसूद अजहर' नाम से एक रिपोर्ट छापी थी. इस रिपोर्ट में लिखा था, “अपनी लंबी निष्क्रियता को खत्म करते हुए, पाकिस्तान में कुख्यात आतंकवादी नेता मौलाना मसूद अजहर पिछले हफ्ते फिर से सबके सामने आए जब उन्होंने मुजफ्फराबाद में अपने हजारों समर्थकों को फोन पर संबोधित किया. किसी गैरकानूनी संगठन, जैश-ए-मोहम्मद के नेता की सालों में यह पहली सार्वजनिक उपस्थिति, आतंकवाद के खिलाफ सरकार की नीति पर सवाल उठाती है… मुजफ्फराबाद में रैली बहुत अच्छी तरह से आयोजित की गई थी. हजारों लोगों को बस से कार्यक्रम स्थल पर लाया गया था. इसलिए, यह संभव नहीं है कि स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को उस कार्यक्रम के बारे में पता नहीं था. यह कार्यक्रम कश्मीरी नेता (आतंकी) मोहम्मद अफजल गुरु की लिखी पुस्तक के विमोचन के लिए आयोजित किया गया था, जिसे भारत ने फांसी की सजा दी थी.”

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आप इस रिपोर्ट की इस खास लाइन पर ध्यान दीजिए जहां खुद पाकिस्तान का यह नामी अखबार पाकिस्तान की सरकार और वहां की आर्मी की कड़वी सच्चाई सबके सामने लाती है. इसमें साफ लिखा था, “समूह पर बैन लगाए जाने के बावजूद, मसूद अजहर को कभी हिरासत में नहीं लिया गया और वह दक्षिणी पंजाब में अपने घर में आजादी से रह रहा, जहां जैश-ए-मोहम्मद की जड़ें मजबूत हैं.”

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जनवरी 2016- डॉन की रिपोर्ट

15 जनवरी 2016 को डॉन ने ‘जैश का मसूद अजहर 'सुरक्षात्मक हिरासत' में, पंजाब के कानून मंत्री की पुष्टि' हेडलाइन से एक रिपोर्ट छापी. एक बार फिर दुनिया के सामने आया कि मसूद पाकिस्तान में ही है, सरकार के पास है. इस रिपोर्ट में लिखा था, “पंजाब (पाकिस्तान वाले) के कानून मंत्री राणा सनाउल्लाह ने गुरुवार को पुष्टि की कि जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर 'सुरक्षात्मक हिरासत' (प्रोटेक्टिव कस्टडी) में है. डॉनन्यूज के टॉक शो 'न्यूज आई' पर बोलते हुए, सनाउल्लाह ने एक सवाल का जवाब देते हुए पुष्टि की कि मसूद अजहर को आतंकवाद विरोधी विभाग द्वारा सुरक्षात्मक हिरासत में लिया गया था.”

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यहां ध्यान देने लायक बात यह है कि राणा सनाउल्लाह के इस कबूल नामे के 13 दिन पहले ही भारत के पठानकोट इंडियन एयरफोर्स के बेस पर मसूज अजहर ने हमला कराया था. उसका संगठन तो पाकिस्तान में बोलने को 15 साल पहले ही बैन हो गया था. इसके बावजूद इस कूख्यात अपराधी को पाकिस्तान में गिरफ्तार नहीं किया गया था बल्कि उसे 'सुरक्षात्मक हिरासत' में लिया गया था. कमाल है एक दुर्दांत अपराधी को किससे सुरक्षा की जरूरत थी और सुरक्षा देने भी खुद पाकिस्तान की सरकार निकलती थी. कमाल है.

मार्च 2019- डॉन की रिपोर्ट

1 मार्च 2016 को डॉन ने ‘मसूद अजहर के खिलाफ सबूत साझा करें जो पाकिस्तान की अदालतों को स्वीकार्य हों: कुरैशी' हेडलाइन से इक रिपोर्ट छापी थी. इसमें पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के द्वारा एक इंटरव्यू में बोली गई बातों का जिक्र था. कुरैशी ने यह इंटरव्यू CNN को दिया था. 

ध्यान रहे पुलवामा हमले को हुए अभी एक महीने भी नहीं बीते थे, और 40 भारतीय जवानों की जान लेने वाले इस हमले को भी जैश-ए-मोहम्मद ने ही अंजाम दिया था. इस इंटरव्यू में यह पूछे जाने पर कि क्या मसूद अजहर पाकिस्तान में मौजूद है और क्या सरकार उसका पीछा करेगी, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जवाब दिया: "मेरी जानकारी के अनुसार, वह पाकिस्तान में है. वह बहुत अस्वस्थ है, इस हद तक कि वह अपना घर भी नहीं छोड़ सकता."

अक्टूबर 2021- पाकिस्तान ऑब्जर्वर की रिपोर्ट

25 अक्टूबर 2021 को पाकिस्तान ऑब्जर्वर ने पाकिस्तान के वेटरन पत्रकार एम जियाउद्दीन ने ‘पाकिस्तान के खिलाफ एक साथ काम कर रहे हैं FATF और IMF?' की हेडलाइन के साथ एक आर्टिकल लिखा था. इसमें उन्होंने जिक्र किया कि “भारतीय संसद पर हमले के तुरंत बाद, 29 दिसंबर, 2001 को, हमले के संबंध में भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के राजनयिक दबाव के बाद, मसूद अजहर को पाकिस्तान द्वारा एक साल के लिए हिरासत में लिया गया था. लेकिन उसे कभी भी औपचारिक रूप से आरोपित नहीं किया गया था. लाहौर हाई कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2002 को नजरबंदी समाप्त करने का आदेश दिया. उसके बाद मसूद अजहर को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया.”

इस नामी पाकिस्तानी पत्रकार ने खुद आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी सरकार की पोल खोली. उन्होंने इस आर्टिकल में लिखा, “चूंकि पाकिस्तान UN द्वारा प्रतिबंधित इन तीन व्यक्तियों - मसूद अजहर, हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी - के मामलों में उचित जांच और केस चलाने में अब तक कथित रूप से विफल रहा है, इसलिए FATF द्वारा उसका नाम ग्रे सूची से हटाने से इनकार करने और IMF द्वारा किसी न किसी बहाने से आवश्यक अगली किश्त जारी करने से इनकार करने के कारण देश को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाया जा रहा है.”

सितंबर 2022- जियो न्यूज की रिपोर्ट

2019 में जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी नामित कर दिया तो पाकिस्तान ने एक नया झूठ शुरू कर दिया. कल तक खुले सांड की तरह पाकिस्तान में आजाद घुमने वाले मसूद अजहर को लेकर वहां कि सरकार दावा करने लगी कि वो पाकिस्तान नहीं बल्कि अफगानिस्तान में है. 2022 में तो पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को आधिकारिक खत लिखकर कह दिया कि मसूद आपके यहां है, उसे पकड़ कर गिरफ्तार कर लीजिए. इसपर अफगानिस्तान से उसे दो टुक जवाब मिला कि मसूद अजहर अभी भी पाकिस्तान में है.

14 सितंबर 2022 को जियो न्यूज ने ‘तालिबान ने मौलाना मसूद अजहर की अफगानिस्तान में मौजूदगी से इनकार किया' हेडलाइन से एक रिपोर्ट छापी. इसमें लिखा था, “तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान में प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर की मौजूदगी से इनकार किया है. एक दिन पहले, पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से काबुल को एक पत्र लिखा था, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख का पता लगाने, रिपोर्ट करने और गिरफ्तार करने को कहा गया था क्योंकि उसका मानना ​​​​है कि वह अफगानिस्तान में कहीं छिपा हुआ है. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि जैश प्रमुख अफगानिस्तान में नहीं बल्कि पाकिस्तान में है.”

पाकिस्‍तान पर कैसे करें भरोसा? 

सवाल है कि पाकिस्तान के ‘आतंकवाद पर एक्शन ले रहे हैं' वाले झूठ पर कोई क्यों भरोसा करे. 2002 में ही अगर पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद को बैन कर दिया था तो मसूद अजहर को पाकिस्तान की सरकार, वहां की आर्मी और सिक्रेट सर्विस एजेंसी ISI ने पनाह क्यों दी. वहां भारत के खिलाफ खुले आम जहर क्यों उगलता है, भारत में एक के बाद एक हमले को अंजाम कैसे देता रहा. बिलावल भूट्टो भारत से सबूत मांग रहे हैं कि बता दो पाकिस्तान में वो कहां है. उन्हें पाकिस्तान के अखबारों को ही पढ़ना चाहिए, समझ आएगा कि दुनिया से यह बात नहीं छिपी की पिछले दो दशक से भी ज्यादा वक्त से वो पाकिस्तानी सरकार की सुरक्षित पनाह में है, आतंकवाद की फसल सींच रहा, काट रहा है.

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