मतलब की यारी का 'सैयारा'! अमेरिका धोखे खाकर भी पाकिस्तान पर दिल हारा

9/11 से लेकर अमेरिकी जर्नलिस्‍ट डैनियल पर्ल की हत्‍या, हर बार इस्‍लामाबाद ने वॉशिंगटन को एक ऐसा दर्द दिया है जिसे भूलने में सदियां लग गई हैं.

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  • भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका-पाकिस्तान के संबंधों पर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन पर चिंता जताई.
  • 9/11 हमले का मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के सुरक्षित इलाके में था और अमेरिका ने उसे मार गिराया था.
  • पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी समूह तहरीक-ए-तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा ने अमेरिका और भारत के खिलाफ कई हमले किए हैं.
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नई दिल्‍ली:

अमेरिका और पाकिस्‍तान एक बार फिर से करीब आ रहे हैं. इस बारे में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से इस बारे में सवाल किया गया. जयशंकर ने जवाब में कहा कि अमेरिका, पाकिस्‍तान के साथ अपने इतिहास को भूल रहा है. इसके साथ ही उन्‍होंने अल-कायदा के सरगना ओसामा  बिन लादेन का भी जिक्र किया. लादेन को साल 2011 में अमेरिकी नेवी सील कमांडो ने पाकिस्‍तान के एबटाबाद में ढेर कर दिया था. जयशंकर ने जो कुछ भी कहा है, उसमें शायद ही किसी को कोई शक हो. लेकिन शायद अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप इस बात को भूल रहे हैं कि कैसे पाकिस्‍तान ने हमेशा उनके देश को दर्द दिया है. 

10 मौके जब पाकिस्‍तान ने दिए जख्‍म 

9/11 से लेकर अमेरिकी जर्नलिस्‍ट डैनियल पर्ल की हत्‍या, हर बार इस्‍लामाबाद ने वॉशिंगटन को एक ऐसा दर्द दिया है जिसे भूलने में सदियां लग गई हैं. लेकिन यह शायद मौकापरस्‍ती है कि दोनों को अक्‍सर एक दूसरे की जरूरत पड़ती रहती है. एक नजर में जानिए उन 10 मौकों पर जब-जब पाकिस्‍तान ने अमेरिका की पीठ में खंजर भोका और अपना असली रंग दिखाया है. 

9/11 हमला 

11 सितंबर 2001 को अमेरिका के न्‍यूयॉर्क शहर पर हुए उस आतंकी हमले को कौन भूल सकता है जिसमें 3000 लोगों की जान चली गई थी. अल कायदा के 19 आतंकियों ने चार फ्लाइट्स को हाइजैक किया. इसके बाद दो फ्लाइट्स वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर क्रैश हुईं तो एक पेंटागन पर जाकर गिरी. हमले का मास्‍टरमाइंड था लादेन. वही लादेन जिसे पाकिस्‍तान ने उस हाई-प्रोफाइल जोन में रखा था जहां पर मिलिट्री ऑफिसर्स रहते हैं.

एबोटाबाद में जब अमेरिका ने लादेन को मारा तो पूरी दुनिया सन्‍न रह गई क्‍योंकि लादेन की तलाश में अमेरिका ने तोरा-बोरा की पहाड़‍ियों से लेकर अफगानिस्‍तान का एक-एक चप्‍पा छान मारा था. पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन समेत अमेरिकी अधिकारियों ने इस बात पर संदेह जताया था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) या सेना के कुछ तत्वों को बिन लादेन के  बारे में पूरी जानकारी थी. हालांकि पाकिस्तान ने इस बात से इनकार कर दिया था जो उसकी आदत में शुमार है. 

टाइम्स स्क्वायर कार हमला 

1 मई 2010 को न्‍यूयॉर्क के मशहूर टाइम्‍स स्‍क्‍वायर पर फैसज शहजार नामक एक शख्‍स ने कार से हमला करने की कोशिश लेकिन असफल रहा. शहजाद पाकिस्‍तानी मूल का अमेरिकी नागरिक था जिसे तहरीक-ए-तालिबान (TTP) ने ट्रेनिंग दी थी. शहजाद ने स्वीकार किया था कि उसने पाकिस्तान के वजीरिस्तान क्षेत्र में बम बनाने और आतंकी गतिविधियों की ट्रेनिंग ली थी. इस मामले से अमेरिका को इस बात का सबूत मिला कि कैसे पाकिस्‍तान में मौजूद टेरी कैंन्‍स उसके और पूरी दुनिया के लिए खतरा बन रहे हैं. 

1993 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ब्‍लास्‍ट 

2001 से आठ साल पहले यानी 1993 में भी न्‍यूयॉर्क के वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर को आतंकी हमले से दहलाने की साजिश की गई थी. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नीचे एक ट्रक बम विस्फोट हुआ, जिसमें 6 लोग मारे गए और 1,000 से अधिक घायल हुए. हमले का मुख्य साजिशकर्ता रमजी यूसुफ पाकिस्‍तानी मूल का आतंकी निकला जिसे अल-कायदा के टेरर कैंप्‍स में ट्रेनिग दी गई थी. यूसुफ ने इस बात को स्‍वीकार किया कि उसका इरादा टावर को गिराना था. उसने इस सालिज को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए पाकिस्‍तान में ट्रेनिंग ली और फिर अमेरिका आ गया. 

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यूएस कांसुलेट पर हमला 

जिस पाकिस्‍तान को आज अमेरिका गले लगाने के लिए बेताब है उसने 20 मई 2011 को पेशावर स्थित यूएस कांसुलेट को निशाना बनाने की कोशिश की थी. कांसुलेट की गाड़ी पर एक मोटरबाइक सवार आत्मघाती हमलावर ने हमला किया, जिसमें एक पाकिस्तानी की मौत हुई और 10 अन्य घायल हुए. हमले की जिम्मेदारी TTP ने ली, जो पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन था. यह समूह अल-कायदा से संबद्ध था और पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता रहा. 

लादेन की मौत का बदला 

पाकिस्तान के शबकदर में दो आत्मघाती बम विस्फोटों में 80 पैरामिलिट्री जवानों की मौत हो गई. TTP ने इस हमले की जिम्मेदारी ली और हमले को लादेन की मौत का बदला बताया. यह हमला पाकिस्तान में था, लेकिन इससे अमेरिका के खिलाफ टीटीपी का ऐसा संदेश माना गया जो लादेन की मौत का बदला लेने के मकसद से अंजाम दिया गया था.  

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डैनियल पर्ल अपहरण और हत्या (2002)

डैनियल पर्ल की बेदर्दी से की गई हत्‍या कौन भूला सकता है. कराची में उन्‍हें पहले किडनैप किया गया और फिर उनका सिर कलम करके बेदर्दी से हत्‍या कर दी गई. हत्‍या का मास्‍टरमाइंड उमर शेख था जो एक ब्रिटिश-पाकिस्तानी आतंकी था और जिसके अल-कायदा और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से संबंध थे. पाकिस्तान ने बाद में उमर शेख को दोषी ठहराया, लेकिन उसकी सजा को 2020 में एक अदालत ने उलट दिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय आलोचना हुई. 

अल-कायदा का ठिकाना 

साल 2000 की शुरुआत में अमेरिका पर आतंकी हमलों के बाद अल-कायदा ने पाकिस्तान के संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (FATA) में सुरक्षित ठिकाने स्थापित किए. यहां  से उसने अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के खिलाफ हमलों की योजना बनाई.  साल 2007 और 2008 की अमेरिकी इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स के अनुसार, अल-कायदा ने पाकिस्तान के FATA में अपनी हमले की क्षमता को फिर से मजबूत किया. इसके बाद यहीं से अमेरिका, मध्य पूर्व, अफ्रीका और यूरोप में हमलों की योजना बनाई. रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान की निष्क्रियता या कुछ मामलों में ISI का मौन समर्थन इसकी अनुमति देता रहा. 

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2008 में मुंबई हमले 

लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने मुंबई में 26/11 हमले किए, जिसमें 170 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें कुछ अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे. हमले के एकमात्र जीवित हमलावर अजमल कसाब ने स्वीकार किया कि LeT, जो पाकिस्तान में आधारित है, ने हमले को अंजाम दिया. साल 2008 में ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि पाकिस्तान की ISI ने LeT को समर्थन दिया. अमेरिका ने LeT के संस्थापक हाफिज सईद पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा, जो पाकिस्तान में खुलेआम रहता रहा. 

क्वेटा और मिंगोरा बम विस्फोट 

10 जनवरी, 2013 को पाकिस्तान के क्वेटा और मिंगोरा में बम विस्फोटों में 115 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-झंगवी और यूनाइटेड बलूच आर्मी ने ली, जो पाकिस्तान में सक्रिय हैं. ये समूह अल-कायदा से जुड़ा है और इनका अमेरिकी हितों के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने का इतिहास रहा है. 

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ISIS की भी साजिश 

इसके अलाव साल 2024 में एक ऐसी आईएसआईएस साजिश का पता चला जो एक बार फिर अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसियों की नींद उड़ाने वाली थी. पाकिस्‍तानी नागरि‍क मुहम्मद शहजेब जो कनाडा में रह रहा था उसने न्यूयॉर्क शहर में ISIS की ओर से आतंकी हमले की साजिश रची. खान ने सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स के जरिए ISIS के प्रचार को बढ़ावा दिया और हमले की योजना बनाई. यह हमला रुक गया लेकिन इससे एक बार फिर से साफ हो गया कि कैसे पाकिस्तान के नागरि‍क ग्‍लोबल टेरर नेटवर्क में शामिल रहे हैं. 

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