सिर्फ 'जल भालू' जिंदा रहेगा… शुभांशु शुक्ला के साथ अंतरिक्ष क्यों जा रहे 1 मिलीमीटर से भी छोटे जलीय जीव?

Tardigrades: भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की उड़ान भरने को तैयार है. शुभांशु शुक्ला को 10 जून को ‘Axiom-4' मिशन के तहत लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन पर वो क्रू के अन्य तीन लोगों के साथ टार्डिग्रेड्स पर एक्सपेरिमेंट करेंगे.

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टार्डिग्रेड्स (Tardigrades) क्या हैं और क्यों कहे जाते हैं "छोटे जल भालू" (little water bears)?

इनका आकार इतना छोटा कि नंगी आंखों से नहीं बल्कि सिर्फ माइक्रोस्कोप से नजर आता है. लेकिन साथ ही वो इस तरह का चैम्पियन सर्वाइवर है कि उन तमाम चरम स्थितियों का सामना कर सकता है जो मनुष्यों को मार सकती हैं. हम बात कर रहे हैं टार्डिग्रेड्स (Tardigrades) की जिन्हें "छोटे जल भालू" (little water bears) भी कहा जाता है. आप सोच रहे होंगे कि अचानक हम आपको इसके बारे में क्यों बता रहे हैं. दरअसल भारतीय वायुसेना के जांबाज टेस्ट पायलट शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय नागरिक बनने जा रहे हैं. यह मिशन Axiom Space के ‘Axiom-4' मिशन के तहत लॉन्च किया जा रहा है और यह निजी अंतरिक्ष उड़ान 10 जून को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के क्रू ड्रैगन C213 यान के जरिए लॉन्च होगी. इस मिशन पर चार सदस्यों वाला यह क्रू 60 एक्सपेरिमेंट करेगा. इसमें से एक एक्सपेरिमेंट टार्डिग्रेड्स पर भी किया जाएगा, जिसे धरती से स्पेस स्टेशन ले जाया जाएगा. 

यह पहली बार नहीं है जब टार्डिग्रेड्स को अंतरिक्ष में ले जाया जा रहा है. इन्हें बार बार स्पेस में एक्सपेरिमेंट के लिए ले जाया गया है और जब 2019 में इजरायल का बेरेशीट मिशन 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चांद की सतह से टकराया था, उसके बाद भी माना गया कि मिशन पर ले जाए गए टार्डिग्रेड्स मरे नहीं थे.

तो सवाल उठता है कि टार्डिग्रेड इतने मजबूत सर्वाइवर कैसे हो गए कि वे अंतरिक्ष में तेजी से ले जाए जाने पर भी जीवित रह सकते हैं? उनका रहस्य क्या है, और क्या हम कभी इंसानों में इस खासियत का उपयोग किया जा सकता है? सब समझने की कोशिश करते हैं.

टार्डिग्रेड क्या हैं?

टार्डिग्रेड्स, जिन्हें अक्सर जल भालू या मॉस पिगलेट कहा जाता है, सूक्ष्म जलीय जानवर हैं. माइक्रोस्कोप के नीचे, आप उनके मोटे, खंडित शरीर और सपाट सिर देख सकते हैं. इनके 8 पैर होते हैं. उनके बहुत छोटे आकार के बावजूद, इंसानों को टार्डिग्रेड्स के बारे में लंबे समय से जानकारी है. पहली बार 1773 में इसे जर्मन प्रकृतिवादी जोहान ऑगस्ट एफ्रैम गोएज ने खोजा था. इन सूक्ष्म जीव को उनके चलने के तरीके के कारण उन्होंने "छोटे पानी के भालू" कहा था. अपने छोटे आकार के बावजूद उनकी बनावट जटिल है. भले वो लगभल केवल 1,000 कोशिकाओं (सेल्स) से बने होते हैं, लेकिन वे कॉकरोच या फल मक्खी की तरह ही जटिल होते हैं. वैज्ञानिकों ने लगभग 1,300 टार्डिग्रेड प्रजातियों की पहचान की है.

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सब मर जाएंगे फिर भी टार्डिग्रेड जिंदा रहेगा!

टार्डिग्रेड्स सबसे अधिक फेमस अपने असाधारण लचीलेपन की वजह से है. वो हर परिस्थिति में खुद को जिंदा बचाए रखने के लिए चैंपियन सर्वाइवर के रूप में जाना जाता है. उनको सूखा दीजिए वो बच जाएंगे. वे एब्सोल्यूट जीरो (−273.15 °C) से लगभग एक डिग्री ऊपर तक जमे रहने में जीवित रह सकते हैं. यह वह तापमान है जिस पर सभी आणविक गति (मॉलेक्युलर मोशन) रुक ​​जाती है. इन्हें आप पानी के ब्वायलिंग प्वाइंट से कहीं अधिक के तापमान तक खौला दीजिए, ये जिंदा बच निकल सकते हैं. वे हमसे हजारों गुना ज्यादा विकिरण (रेडिएशन) से बच सकते हैं. और वे एकमात्र ऐसे जानवर हैं जिनके बारे में हम जानते हैं जो बाहरी अंतरिक्ष के निर्वात (वैक्यूम) में लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं.

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आखिर टार्डिग्रेड को यह पावर कहां से मिली?

द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार नॉर्वे में ओस्लो यूनिवर्सिटी के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के जेम्स फ्लेमिंग के अनुसार एक टार्डिग्रेड्स के पास केवल कुछ हफ्ते की ही एक्टिव जिंदगी होती है. लेकिन अगर इसके बीच कोई चरम स्थिति आती है तो वह इन-एक्टिव फेज में चला जाता है और वह सुपर-हाइबर्नेशन की स्थिति में चला जाता है और इस स्थिति में वह एक सदी भी जिंदा रह सकता है. वे सूखे हुए गोले में बदल जाते हैं जो उबलते पानी, जमा देने वाली ठंड और अंतरिक्ष में भी उन्हें जीवित रख सकते हैं. इसे तुन अवस्था (tun state) कहा जाता है.

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टार्डिग्रेड को अंतरिक्ष में क्यों ले जाया जाता है?

विज्ञान का सबसे बड़ा लक्ष्य होता है इंसानों के भविष्य को सुखद और सस्टेनेबल बनाना. और इन ‘जल भालूओं' से वैज्ञानिक यह राज पता करना चाहते हैं कि कैसे इंसानों को भी हर तरह की परिस्थितियों के लिए लचीला बनाया जा सकता है. इसीलिए हर चरम स्थिति में ले जाकर इनपर एक्सपेरिमेंट किया जाता है.2007 में, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने एक मिशन में रूसी कैप्सूल से लगभग 3,000 टार्डिग्रेड को 10 दिनों के लिए अंतरिक्ष के निर्वात में रखा गया था. उन्हें कम-पृथ्वी की कक्षा (2,000 किमी से कम ऊंचाई) में छोड़ दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार दो-तिहाई से अधिक टार्डिग्रेड इस मिशन में बच गए और पृथ्वी पर लौटने पर उन्होंने अपने संतानों को भी जन्म दिया.

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