- पुतिन का जन्म गरीब परिवार में हुआ था, जहां उनकी मां फैक्ट्री मजदूर थीं और दादा सोवियत नेताओं के रसोइया थे
- पुतिन ने लेनिनग्राड यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की. केजीबी में 15 साल तक खुफिया एजेंट रहे.
- 1999 में येल्तसिन ने पुतिन को प्रधानमंत्री बनाया और 2000 में पुतिन ने राष्ट्रपति चुनाव बड़े बहुमत से जीता
Vladimir Putin Latest News: हर बड़े नेता को दुनिया दो अलग-अलग नजरिये से देखती है. इन्हीं नेताओं में शुमार रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन पिछले सालों से देश पर राज कर रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि पुतिन की मां एक फैक्ट्री में मजदूर थीं. उनके दादा सोवियत संघ के महान नेता व्लादीमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के यहां रसोइये का काम करते थे. पुतिन 7 अक्टूबर 1952 को रूस (तब के सोवियत संघ) के लेनिनग्राड में हुआ था. पुतिन का बचपन बेहद गरीबी और कठिनाई में बीता.पिता स्प्रिडोनोविच पुतिन को सोवियत सेना में अनिवार्य भर्ती किया गया और फिर द्वितीय विश्व युद्ध में वो शामिल हुए. उनकी मां एक फैक्ट्री में मजदूर थीं. सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान ही पुतिन ने बेहद कम उम्र में अपने दोनों भाइयों को खो दिया.
अनुवादक से शादी और दो बेटियां, गर्लफ्रैंड चर्चा में
पुतिन की शादी ल्यूडमिला अलेक्जेंड्रोवना शेक्रेब्नेवा से हुई थी, जो एक भाषा अनुवादक थीं. उनकी दो बेटियां मारिया और कैटरीना हैं. हालांकि पुतिन का 2014 में तलाक हो गया. मीडिया रिपोर्टों में उनकी एक गर्लफ्रैंड एलिना काबेवा के साथ लंबे समय से रिश्ता है, लेकिन उन्होंने आधिकारिक तौर पर उन्हें पत्नी या फर्स्ट लेडी का दर्जा नहीं दिया है. जिम्नास्ट काबेवा 2 ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने के साथ 14 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप जीत चुकी हैं. वो 2007 से 2014 तक प्रांतीय संसद की उप प्रमुख रहीं.
Putin Girlfriend
लॉ ग्रेजुएट और फिर KGB खुफिया एजेंट
ब्रिटानिका की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन ने लेनिनग्राड स्टेट यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएट किया और फिर खुफिया एजेंट के तौर पर काम करने लगे, जहां उन्होंने 15 साल सेवाएं दीं. छह साल पुतिन ने केजीबी एजेंट के तौर पर जर्मनी में खुफिया जासूसी की. 1990 में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से केजीबी से रिटायर होने के बाद उनकी किस्मत पलटी.सोवियत संघ के सेंट पीटर्सबर्ग के मेयर के पहले निर्वाचित सलाहकार बने पुतिन ने बहुत कम वक्त में उनका भरोसा जीत लिया और 1994 में डिप्टी मेयर बन गए.
येल्तसिन के उत्तराधिकारी
1996 में पुतिन मॉस्को चले गए और वहां बड़े नेताओं के विश्वासपात्र बन गए. जुलाई 1998 में बोरिस येल्तसिन ने पुतिन को घरेलू खुफिया एजेंसी फेडरल सिक्योरिटी सर्विस FSB का प्रमुख बना दिया. वो सरकार की प्रभावशाली सिक्योरिटी काउंसिल के सचिव बन गए. येल्तसिन 1999 में जब अपने उत्तराधिकारी को तलाश रहे थे तो उन्होंने लो प्रोफाइल और शांत स्वभाव के पुतिन पर दांव लगाया और उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया.
Putin lifestyle
चेचेन विद्रोहियों के खिलाफ ऑपरेशन
सत्ता संभालते ही पुतिन ने तेवर दिखाए और चेचेन विद्रोहियों के खिलाफ ऑपरेशन छेड़ दिया. बिगड़ैल स्वभाव के येल्तसिन के मुकाबले पुतिन को जननायक के तौर पर देखा जाने लगा. जनता की नाराजगी झेल रहे येल्तसिन ने आखिरकार 31 दिसंबर 1999 को इस्तीफा दे दिया और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया. रूस को दोबारा महान बनाने का वादा कर मार्च 2000 में पुतिन ने बड़े बहुमत से चुनाव जीता.भ्रष्टाचार खत्म करने और बाजार पर नियंत्रण करने के वादे पर जनता ने भरोसा किया. सोवियत संघ के विघटन के बाद पुतिन ने बिखरे रूस को एकजुट करने के लिए 89 रीजन को संगठित करके 7 संघीय प्रांतों में बदला. मीडिया टाइकून और उद्योगपतियों के सरकार पर प्रभाव को खत्म किया.
सरकार पर मजबूत नियंत्रण
रूस में मीडिया और इंटरनेट के साथ अर्थव्यवस्था पर सरकार का नियंत्रण काफी मजबूत है. कहा जाता है कि उद्योगपतियों को साफ संदेश हैं कि वो पुतिन के प्रति वफादारी निभाएं और राजनीति से दूर रहें.पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए सीमावर्ती देशों पर आधिपत्य जमाने का आरोप भी उन पर लगता रहा है. वर्ष 2008 में जॉर्जिया और फिर 2014 में क्रीमिया पर कब्जा और 2022 में यूक्रेन पर हमला इसकी नजीर है.
सोवियत संघ विघटन की छवि दिलोदिमाग में छायी
पुतिन ने बचपन के दिनों में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ में बेहद गरीबी को देखा. फिर केजीबी एजेंट के तौर पर उन्होंने 1989 में जर्मनी को टूटते देखा. फिर दो साल बाद ही 1991 में सोवियत संघ को कई हिस्सों में बिखरते देखा. ये ऐतिहासिक घटनाएं उनके दिलोदिमाग में उतर गईं. पुतिन ने सोवियत संघ के विघटन को 20वीं सदी में सबसे विनाशकारी भौगोलिक घटना करार दिया था. यही वजह है कि वो किसी भी पूर्व सोवियत देश से रूस के प्रभाव को कम होने नहीं देना चाहते.
पुतिन 1999 से 2008 और फिर 2012 से लगातार राष्ट्रपति पद पर हैं.संवैधानिक नियमों के कारण बीच में 4 साल के लिए वो प्रधानमंत्री बने और उनकी जगह दमित्री मेदवदेव प्रेसिडेंट बने. उन पर एलेक्सी नेवलनी समेत विपक्ष के कई नेताओं के उत्पीड़न और उन्हें फर्जी आरोपों में जेल भेजने का भी आरोप है.