जयशंकर ने मुस्कुरा-मुस्कुरा कर रूस से अमेरिका को दे दिया तगड़ा जवाब, Video देखिए

विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की मॉस्को यात्रा पर कहा, ‘‘इस यात्रा का उद्देश्य दीर्घकालिक और वक्त की कसौटी पर कसी गई भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है.’’

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  • जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की.
  • राजनीतिक, व्यापार, आर्थिक निवेश, रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी में सहयोग पर विचार-विमर्श हुआ.
  • जयशंकर ने अमेरिकी टैरिफ नीति पर कहा कि भारत रूस का सबसे बड़ा तेल या एलएनजी खरीदार नहीं है.
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करने और वर्ष के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए बृहस्पतिवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज की बैठक ने हमें न केवल अपने राजनीतिक संबंधों पर चर्चा करने का, बल्कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने का भी मौका दिया है. इसलिए, मैं राजनीति, व्यापार, आर्थिक निवेश, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर विचारों का आदान-प्रदान तथा बेशक लोगों के बीच संपर्क की आशा करता हूं.''

जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारे नेता पिछले साल जुलाई में 22वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मिले थे, और उसके बाद कजान में मिले थे. अब हम साल के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने हमेशा हमें हमारी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन किया है.''

तर्क के तर्क से हैरान

एक प्रेस वार्ता के दौरान, एक पत्रकार ने जब भारत पर टैरिफ लगाने के अमेरिकी फैसले पर सवाल किया तो विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, "...हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, वह चीन है. हम एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, वह यूरोपीय संघ है. हम वह देश नहीं हैं, जिसका 2022 के बाद रूस के साथ सबसे बड़ा व्यापार उछाल होगा; मुझे लगता है कि दक्षिण में कुछ देश हैं. हम एक ऐसे देश हैं, जिसके बारे में अमेरिकी पिछले कुछ वर्षों से कहते आ रहे हैं कि हमें विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए सब कुछ करना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है. संयोग से, हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं, और यह मात्रा बढ़ी है. इसलिए ईमानदारी से, हम उस तर्क के तर्क से बहुत हैरान हैं जिसका आपने (मीडिया ने) उल्लेख किया था..."

जयशंकर ने कहा कि रूस के साथ रक्षा और सैन्य सहयोग मज़बूत है और रूस 'मेक इन इंडिया' लक्ष्यों का समर्थन करता है. हमारा रक्षा और सैन्य-तकनीकी सहयोग भी मज़बूत बना हुआ है. रूस संयुक्त उत्पादन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित भारत के 'मेक इन इंडिया' लक्ष्यों का समर्थन करता है.

रूस ने क्या कहा

रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्ष बैठक के दौरान द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के वर्तमान और भविष्य के अवसरों पर विशेष ध्यान देंगे. मंत्रालय ने कहा, ‘‘बैठक का एजेंडा परिवहन, साजोसामान, बैंकिंग और वित्तीय संपर्कों और श्रृंखलाओं को सुगम बनाने पर केंद्रित होगा जो बैरी देशों के किसी भी प्रतिकूल दबाव से मुक्त होंगे, साथ ही परस्पर समझौतों में राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को भी बढ़ाएंगे.'' इसने कहा कि परिवहन, ऊर्जा, कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना भी एजेंडे में होगा.

क्यों अहम जयशंकर की यात्रा

जयशंकर की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ (शुल्क) दोगुना कर कुल 50 प्रतिशत कर दिए जाने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा हो गया है. इस टैरिफ में रूसी कच्चा तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है.

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नई दिल्ली में, विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की मॉस्को यात्रा पर कहा, ‘‘इस यात्रा का उद्देश्य दीर्घकालिक और वक्त की कसौटी पर कसी गई भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है.'' जयशंकर और लावरोव के यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए ट्रंप प्रशासन की नवीनतम पहल पर भी चर्चा करने की उम्मीद है.

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