अमेरिका में 232 वर्षों के बाद 'एक सेंट' के सिक्के का उत्पादन बंद, ट्रंप ने क्यों लिया ये फैसला?

शुरुआती समय में पेनी शुद्ध तांबे से बने होते थे, लेकिन अब छोटे होते हैं और तांबे की परत चढ़े जस्ते से बने होते हैं. इसी कारण लाल सेंट को उसका गुलाबी रंग मिलता है.

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अमेरिकी टकसाल ने 230 से ज़्यादा सालों के बाद बुधवार को पेनीज़ का उत्पादन बंद कर दिया. जिस तरह भारत में 80-90 के दशक में पैसे चलते थे, उसी तरह अमेरिका में पेनी यानी एक सेंट के सिक्के अब तक चलते थे. जैसे हमारे यहां एक रुपये में 100 पैसे होते थे, ठीक उसी तरह एक डॉलर में 100 सेंट होते थे. ऐसे ही हमारा एक रुपया वहां के एक डॉलर की तरह है. भले ही एक डॉलर की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 80-90 रुपये के बीच रहती है. पेनी 1793 में पहली बार अमेरिका में बने थे. तब एक पेनी से एक बिस्किट, एक मोमबत्ती या एक कैंडी खरीदी जा सकती थी. अब पेनी या तो मिलते नहीं हैं या कबाड़खाने में पड़े रहते हैं.

भावुक विदाई

अधिकारियों ने बताया कि ज़्यादातर पेनी का उत्पादन गर्मियों में ही खत्म हो गया था. आखिरी बार सिक्के बनाने के दौरान, टकसाल के कर्मचारी फ़ैक्ट्री के फ़र्श पर चुपचाप खड़े रहे मानो किसी पुराने दोस्त को विदाई दे रहे हों. जब आखिरी सिक्के निकले, तो सभी तालियां बजाने लगे. 15 साल से टकसाल में काम कर रहे क्लेटन क्रॉटी ने कहा, "यह एक भावुक दिन है, लेकिन यह चौंकाने वाला नहीं है."

पिछली शताब्दी में, फिलाडेल्फिया और डेनवर की टकसालों में बने लगभग आधे सिक्के पेनी के रहे हैं, लेकिन इनके उत्पादन की लागत की तुलना में बनाने में लगभग 14 सेंट का खर्च आता है. तुलनात्मक रूप से, छोटे डाइम के उत्पादन में 6 सेंट से भी कम और क्वार्टर के उत्पादन में लगभग 15 सेंट का खर्च आता है.

धरोहर की तरह 

इनका अंकित मूल्य चाहे जो भी हो, संग्रहकर्ता और इतिहासकार इन्हें एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर मानते हैं. कई अमेरिकियों की पेनी के प्रति पुरानी यादें हैं, और वे पेनी को भाग्यशाली या इकट्ठा करने में मज़ेदार मानते हैं. ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के एमेरिटस प्रोफेसर फ्रैंक होल्ट, जिन्होंने सिक्कों के इतिहास का अध्ययन किया है, इस फैसले पर शोक व्यक्त करते हैं. उन्होंने कहा, "हम उन पर आदर्श वाक्य और पहचान चिह्न लगाते हैं, और हम तय करते हैं - संयुक्त राज्य अमेरिका के मामले में - कि कौन से मर चुके लोग हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और उन्हें याद किया जाना चाहिए. वे हमारी राजनीति, हमारे धर्म, हमारी कला, हमारी आत्म-भावना, हमारे आदर्शों और हमारी आकांक्षाओं को दर्शाते हैं."

यूं बढ़ता जा रहा था खर्च

शुरुआती समय में पेनी शुद्ध तांबे से बने होते थे, लेकिन अब छोटे होते हैं और तांबे की परत चढ़े जस्ते से बने होते हैं. इसी कारण लाल सेंट को उसका गुलाबी रंग मिलता है. अमेरिकी कांग्रेस ने अंततः 1857 में अलोकप्रिय हो चुके आधे सेंट को बंद कर दिया, लेकिन सिक्का बनाने के लिए आवश्यक तांबे पर पैसे बचाने के लिए इसे छोटा करने का निर्णय लेने के बाद मामूली पैसे को बरकरार रखा. आज, यह पैसा तांबे की परत चढ़े 97.5% जस्ता से बनाया जाता है. टकसाल ने बुधवार को बताया कि पिछले दशक में, प्रत्येक सिक्के के निर्माण की लागत 1.42 सेंट से बढ़कर 3.69 सेंट हो गई.

और ट्रंप ने लिया फैसला

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेनी को बंद करने का आदेश इसलिए दिया क्योंकि लागत बढ़ गई थी और 1-सेंट में अमेरिका में कुछ भी नहीं मिलता था. ट्रंप ने फरवरी में एक ऑनलाइन पोस्ट में लिखा था, "अमेरिका बहुत लंबे समय से पेनी ढाल रहा है, जिसकी कीमत सचमुच में 2 सेंट से भी ज़्यादा होती है. यह बहुत ही बेकार है!" कोषाध्यक्ष ब्रैंडन बीच ने फिलाडेल्फिया स्थित अमेरिकी टकसाल में आखिरी पैसा निकालने के लिए बटन दबाने से पहले कहा, "भगवान अमेरिका का भला करे. पेनी को बंद कर हम करदाताओं के 56 मिलियन डॉलर बचाएंगे."  इसके बाद, पत्रकारों को दिखाने के लिए सिक्कों को सावधानीपूर्वक एक ट्रे पर रखा गया. पेनी के रूप में अरबों पैसे अभी भी प्रचलन में हैं और कानूनी तौर पर मुद्रा बने रहेंगे, लेकिन नए सिक्के अब नहीं बनाए जाएंगे.  

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