जो पैसा नहीं देंगे, उन्हें अमेरिका बचाने नहीं जाएगा... NATO देशों को ट्रंप की चेतावनी

नाटो देशों को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब अधर में छोड़ दिया है, उन्होने दो टूक कह दिया है कि जो खर्चा नहीं करते उन देशों को बचाने नहीं जाएंगे.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
अगर कभी अमेरिका को जरूरत पड़ी तो कोई नहीं आएगा: ट्रंप
वाशिंगटन:

डोनाल्‍ड ट्रंप के सत्‍ता में आते ही अमेरिका की नीतियां बदल गई हैं. पूरे यूरोप में उथल-पुथल मच गई है. नाटो (NATO) के भविष्‍य पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्‍योंकि नाटो देशों को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब अधर में छोड़ दिया है, उन्होने दो टूक कह दिया है कि जो खर्चा नहीं करते उन देशों को बचाने नहीं जाएंगे. यानी नाटो देशों को ट्रंप ने मैसेज दे दिया है. साथ ही कहा है कि अब नाटो देशों की सेना पर पैसा नहीं खर्च करेंगे. 

डोनाल्‍ड ट्रंप ने साफ-साफ शब्‍दों में कहा है, 'हम संकट में होंगे तो क्या फ्रांस हमारा साथ देगा? बाकी पार्टनर्स का नाम नहीं ले रहा हूं, क्या वो आएंगे? कई देशों पर मुझे भरोसा नहीं है कि वो अमेरिका का साथ देंगे. मुझे NATO से समस्या नहीं है, NATO छोड़ने का विचार नहीं है. लेकिन अब तक जो हुआ, वो सही नहीं, सबको अपना हिस्सा चुकाना होगा.'

क्‍या होगा NATO का भविष्‍य

जब से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सलाहकार और सरकारी दक्षता विभाग के प्रमुख एलन मस्क ने नाटो और यूएन से अमेरिका के बाहर निकलने का समर्थन किया है, तब से फ्रांस, यूके, जमर्नी जैसे नाटो में शामिल देश सोचने को मजबूर हो गए हैं कि अब आगे क्‍या होगा. मस्क ने अपना रुख ऐसे समय में जाहिर किया है, जब यूक्रेन संघर्ष पर वाशिंगटन और उसके यूरोपीय सहयोगियों के बीच मतभेद गंभीर होते जा रहे हैं और बीते शुक्रवार को ही पूरी दुनिया ने व्हाइट हाउस में ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच तीखी बहस देखी है. 

Advertisement

दरअसल, राजनीतिक टिप्पणीकार और एमएजीए कार्यकर्ता गुंथर ईगलमैन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "नाटो और यूएन को छोड़ने का समय आ गया है।' उन्होंने रिपब्लिकन सीनेटर माइक ली द्वारा इस तरह के कदम के लिए आह्वान करने वाले पोस्ट को साझा किया था. ईगलमैन की पोस्ट पर रिएक्शन देते हुए मस्क ने लिखा, "मैं सहमत हूं" 
फरवरी में, यूटा के सीनेटर ली ने संयुक्त राष्ट्र संकट से पूरी तरह से अलग होने का प्रस्ताव पेश किया था. इसमें विश्व निकाय को 'अत्याचारियों का मंच' बताया गया था, जो अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमला करता है और अपने सारी फंडिंग के बावजूद युद्ध, नरसंहार, मानवाधिकार उल्लंघन और महामारी को रोकने में सक्षम नहीं है. मस्क ने उस वक्त ली के रुख का समर्थन करते हुए एक्स पर एक पोस्ट में कहा था कि अमेरिका 'संयुक्त राष्ट्र और उससे जुड़ी संस्थाओं को जरूरत से ज्यादा धनराशि प्रदान करता है.'

Advertisement

NATO का मकसद 

नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) एक सैन्य गठबंधन है जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी. नाटो का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य अपने सदस्य देशों की राजनीतिक और सैन्य सुरक्षा को बनाए रखना है. अनुच्छेद 5 के अनुसार, किसी एक सदस्य देश पर हमला सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा और सभी सदस्य देश मिलकर उस हमले का जवाब देंगे.

Advertisement
  • इटली
  • लातविया
  • लिथुआनिया
  • लक्ज़मबर्ग
  • मोंटेनेग्रो
  • नीदरलैंड
  • उत्तरी मैसेडोनिया
  • नॉर्वे
  • पोलैंड
  • पुर्तगाल
  • रोमानिया
  • स्लोवाकिया
  • स्लोवेनिया
  • स्पेन
  • स्वीडन
  • तुर्किये (तुर्की)
  • यूनाइटेड किंगडम
  • संयुक्त राज्य अमेरिका
  • अल्बानिया
  • बेल्जियम
  • बुल्गारिया
  • कनाडा
  • क्रोएशिया
  • चेकिया
  • डेनमार्क
  • एस्टोनिया
  • फ़िनलैंड
  • फ़्रांस
  • जर्मनी
  • ग्रीस
  • हंगरी
  • आइसलैंड

Featured Video Of The Day
Champions Trophy Final में India या New Zealand किसकी होगी जीत, जानिए Newsroom क्या कह रहा?
Topics mentioned in this article