ट्रंप ने अब इन 6 भारतीय कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, ईरान से तेल खरीदने से अमेरिका क्यों नाराज?

अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को ईरान के साथ व्यापार करने के लिए भारत की 6 कंपनियों सहित 20 संस्थाओं पर प्रतिबंधों की घोषणा की. जानिए वो कंपनियां कौन सी हैं.

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अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि प्रतिबंधों का लक्ष्य व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना है
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  • अमेरिका की ट्रंप सरकार ने भारत की 6 कंपनियों पर ईरान से पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार के लिए प्रतिबंध लगाए.
  • अमेरिका ने कुल मिलाकर विश्व की 20 कंपनियों को अमेरिकी प्रतिबंधों के उल्लंघन के कारण प्रतिबंधित किया है.
  • अमेरिका का दावा- ईरान इस राजस्व का उपयोग मध्य पूर्व में संघर्ष बढ़ाने और आतंकवाद को समर्थन देने में करता है.
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 US Sanctioned 6 Indian Companies: अमेरिका की ट्रंप सरकार ने भारत की 6 कंपनियों पर ईरान से पेट्रोलियम उत्पादों का बिजनेस करने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. अमेरिका ने कुल मिलाकर दुनिया की 20 ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा है कि उनका ऐसा बिजनेस करना कथित तौर पर कार्यकारी आदेश 13846 के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन है. अमेरिका का दावा है कि ईरान की सरकार इस बिजनेस से मिलने वाले राजस्व का उपयोग मिडिल ईस्ट में संघर्ष को बढ़ावा देने, आतंकवाद को फंड करने और अपने लोगों पर अत्याचार करने के लिए करती है.

अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट (विदेश मंत्रालय) ने बुधवार को ईरानी पेट्रोलियम, पेट्रोलियम उत्पादों या पेट्रोकेमिकल व्यापार में लगी 20 वैश्विक संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करते हुए कहा, "ईरानी शासन अपनी अस्थिर गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए मिडिल ईस्ट में संघर्ष को बढ़ावा दे रहा है. आज, संयुक्त राज्य अमेरिका राजस्व के प्रवाह को रोकने के लिए कार्रवाई कर रहा है, जिसका उपयोग शासन विदेशों में आतंकवाद का समर्थन करने के साथ-साथ अपने ही लोगों पर अत्याचार करने के लिए करता है."

विदेश विभाग ने भारत, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्किये और इंडोनेशिया की इन 20 कंपनियों को ईरानी मूल के पेट्रोकेमिकल उत्पादों की महत्वपूर्ण बिक्री और खरीद के लिए प्रतिबंधित किया है.

अमेरिका ने इन 6 भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधित किया

अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (अलकेमिकल सॉल्यूशंस)- इस कंपनी को सबसे बड़े आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिका ने इसपर जनवरी और दिसंबर 2024 के बीच कई कंपनियों से 84 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के ईरानी मूल के पेट्रोकेमिकल उत्पादों को आयात करने और खरीदने का आरोप लगाया है.

ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड (ग्लोबल इंडस्ट्रियल)- यह कंपनी लिस्ट में दूसरे स्थान पर है. इस पर जुलाई 2024 और जनवरी 2025 के बीच 51 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के मेथनॉल सहित ईरानी उत्पादों के आयात और खरीद का आरोप है.

ज्यूपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड (ज्यूपिटर डाई केम)- यह भारत स्थित एक पेट्रोकेमिकल ट्रेडिंग कंपनी है. इस पर जनवरी 2024 और जनवरी 2025 के बीच 49 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के टोल्यूनि सहित ईरानी मूल के पेट्रोकेमिकल उत्पादों के आयात और खरीद का आरोप है.

रमणिकलाल एस गोसलिया एंड कंपनी (रमणिकलाल)- एक अन्य पेट्रोकेमिकल कंपनी है. इसने कथित तौर पर जनवरी 2024 और जनवरी 2025 के बीच मेथनॉल और टोल्यूनि सहित 22 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के ईरानी उत्पादों का आयात और खरीद की.

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परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड- अमेरिका ने कहा कि इस कंपनी ने अक्टूबर 2024 और दिसंबर 2024 के बीच यूएई स्थित कमोडिटी ट्रेडिंग कंपनी बाब अल बरशा सहित कई कंपनियों से मेथनॉल जैसे ईरानी मूल के पेट्रोकेमिकल्स वाले लगभग 14 मिलियन डॉलर मूल्य के शिपमेंट का आयात किया है.

कंचन पॉलिमर- आरोप है कि इस कंपनी ने तानाइस ट्रेडिंग से पॉलीथीन सहित 1.3 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के ईरानी मूल के पेट्रोकेमिकल उत्पादों का आयात और खरीद किया है.

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इन सभी भारतीय कंपनियों को ईरान से पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद, अधिग्रहण, बिक्री, परिवहन या मार्केटिंग के लिए एक महत्वपूर्ण लेनदेन में "जानबूझकर शामिल होने" के लिए कार्यकारी आदेश 13846 की धारा 3 (ए) (iii) के तहत डेजिग्नेट (नामित) किया गया है.

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