जब शी चिनफिंग ने जो बाइडेन से QUAD को लेकर की थी शिकायत, US राष्ट्रपति ने दिया था ये जवाब

बाइडेन ने सिएटल स्थित एक निजी आवास पर पार्टी के वास्ते धन एकत्रित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैंने शी चिनफिंग को संकेत दिया था कि मैं क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका) के बीच सहयोग को बढ़ा रहा हूं. इस पर उन्होंने कहा कि आप हमें प्रभावित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं, लेकिन मैंने कहा, ऐसा नहीं है.’’

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चीन क्वाड देशों के प्रति खुलकर नाराजगी जाहिर कर चुका है.
वॉशिगंटन:

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को कहा कि उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग ने एक बार उनसे कहा था कि वह चीन के खिलाफ क्वाड को मजबूत कर रहे हैं. बाइडेन ने सिएटल स्थित एक निजी आवास पर पार्टी के वास्ते धन एकत्रित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैंने शी चिनफिंग को संकेत दिया था कि मैं क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका) के बीच सहयोग को बढ़ा रहा हूं. इस पर उन्होंने कहा कि आप हमें प्रभावित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं, लेकिन मैंने कहा, ऐसा नहीं है.''

बाइडेन ने कहा कि उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि क्वाड इसलिए है, क्योंकि हम उन लोगों को एकसाथ रखने की कोशिश कर रहे हैं जिनके पास हिंद-प्रशांत में एकसाथ काम करने का अवसर है. उन्होंने कहा कि भारत समेत अन्य देशों की अपनी-अपनी समस्याएं हैं, लेकिन तानाशाह जिस बात से सबसे ज्यादा डरते हैं, वह यह धारणा है कि हम एकसाथ मिलकर काम कर सकते हैं और उनके विपरीत काम कर सकते हैं जो वास्तव में निरंकुश हैं. उन्होंने कहा कि केवल चीन और रूस की बात नहीं हो रही, बाइडेन की नजर में कई देश निरंकुश बन गये हैं.

बाइडेन ने कहा कि जब वह निर्वाचित हुए तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोचा कि वह आसानी से नाटो को तोड़ने में सक्षम होंगे. उन्होंने कहा कि यह शुरुआत से ही उनके उद्देश्य का एक हिस्सा था, मैं यह आठ साल से कह रहा हूं. बाइडेन ने कहा, ‘‘हालांकि विडंबना है कि ... उन्हें वही मिला जो वह नहीं चाहते थे. वह यूरोप पर प्रभाव जमाना चाहते थे. इसके बजाय, फिनलैंड के राष्ट्रपति ने मुझसे कहा कि वह मुझसे मिलना चाहते हैं और नाटो में शामिल होना चाहते थे, और स्वीडन भी नाटो में शामिल होना चाहता है. उनके कदम से उसके विपरीत परिणाम सामने आ रहे हैं जो वह चाहते थे.''

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उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इससे सब कुछ आसान हो जाता है. लेकिन मुद्दा यह है कि हमारे पास एक ऐसी परिस्थिति है जिसमें यूक्रेनी लोग अविश्वसनीय रूप से बहादुर हैं; वे अविश्वसनीय रूप से प्रतिबद्ध हैं, न केवल प्रशिक्षित सेना बल्कि सड़कों पर उतरे लोग.''उन्होंने कहा, ‘‘वे पुतिन के इस सिद्धांत का झुठला रहे हैं कि चूंकि वे पृष्ठभूमि में स्लाव हैं और कई रूसी बोलते हैं, वहां स्वागत किया जाएगा, लेकिन ठीक इसके विपरीत हुआ है.

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