अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने आधी सदी पुराने अमेरिका के फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट 1977 पर रोक लगा दी. ट्रंप ने सोमवार रात एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करते हुए इस कानून को अमेरिकी कंपनियों को कमजोर करने वाला करार दिया. अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट को उन अमेरिकियों के खिलाफ मुकदमा चलाने से रोकने का निर्देश दिया गया है, जिन पर अपने देशों में व्यापार हासिल करने के लिए विदेशी सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप है. ट्रंप ने कहा कि यह कानून सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन इससे देश को बड़ा नुकसान हो रहा था.
- अमेरिका में फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट 1977 निरस्त
- ट्रंप ने एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर किया हस्ताक्षर
- डील के लिए रिश्वत-उपहार देने से रोकने वाला कानून खत्म
- ट्रंप ने कहा-ये कानून अमेरिकी कंपनियों को कमजोर करता है
ट्रंप ने करार दिया था भयानक कानून
डोनाल्ड ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी FCPA को रोकना चाहते थे. उन्होंने इसे भयावह कानून करार दिया था और कहा था कि इसे लागू करने के लिए दुनिया हम पर हंस रही है. व्हाइट हाउस की एक फैक्टशीट में कहा गया है कि यह कानून अमेरिकी कंपनियों को कम प्रतिस्पर्धी बनाता है, उन्हें कमजोर करता है.
(अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के एक्जीक्यूटिव आदेश की कॉपी)
ट्रंप ने अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पामेला बॉन्डी को एफसीपीए के प्रवर्तन को रोकने का निर्देश दिया, जिसके तहत अमेरिकी न्याय मंत्रालय कुछ चर्चित मामलों की जांच कर रहा है. ट्रंप ने जिस आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं उसमें ‘अटॉर्नी जनरल को 180 दिन में एफसीपीए के तहत जांच और प्रवर्तन कार्रवाइयों को नियंत्रित करने वाले दिशानिर्देशों तथा नीतियों की समीक्षा करने' को कहा गया है. इसमें कहा गया, ‘समीक्षा अवधि के दौरान अटॉर्नी जनरल किसी भी नई एफसीपीए जांच या प्रवर्तन कार्रवाई की शुरुआत नहीं करेंगे, जबतक कि अटॉर्नी जनरल यह निर्धारित नहीं कर लेते कि कोई व्यक्तिगत अपवाद बनाया जाना चाहिए.'
ये भी पढ़ें :- अमेरिका के 6 सांसदों ने अदाणी समूह पर बाइडेन प्रशासन की कार्रवाई पर उठाए सवाल, जांच की मांग
ट्रंप इस आदेश में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए दुनिया भर में खनिजों, बंदरगाहों और अन्य प्रमुख बुनियादी ढांचे में रणनीतिक लाभ की जरूरतों का भी जिक्र किया गया है. फैक्ट शीट में कहा गया है कि 2024 में, जस्टिस डिपार्टमेंट और सिक्योरिटी एक्सचेंज कमीशन ने 26 एफसीपीए-संबंधित प्रवर्तन कार्रवाइयां दायर कीं. साल के आखिर तक कम से कम 31 कंपनियां जांच के दायरे में थीं.