पुतिन को लेकर नरम-गरम क्यों हैं डोनाल्ड ट्रंप, कब हो सकती है दोनों नेताओं की मुलाकात

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में कहा था कि वो रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करवा सकते हैं. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ट्रंप ने कहा है कि रूसी राष्ट्रपति से उनकी मुलाकात जल्द हो सकती है.

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नई दिल्ली:

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बन चुके हैं. इसके बाद से दुनिया को इस बात का इंतजार है कि वो रूस-यूक्रेन युद्ध को कब खत्म करवाते हैं. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ट्रंप रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को लेकर कई तरह के बयान दे चुके हैं. शपथ लेने के बाद ट्रंप ने कहा था कि वो किसी भी समय पुतिन से मिलने के लिए तैयार हैं. उन्होंने मंगलवार को कहा कि अगर रूस वार्ता की टेबल पर नहीं आया तो वो उस पर पाबंदियां लगा देंगे. 

रूस-यूक्रेन युद्ध पर डोनाल्ड ट्रंप का रुख

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब ट्रंप से रूस पर पाबंदियां लगाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,'' ऐसा लगता है कि ऐसा हो सकता है.'' उन्होंने कहा कि वो राष्ट्रपति होते तो युद्ध शुरू ही नहीं होता, क्योंकि उनकी पुतिन के साथ अच्छी समझ है. उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास एक सक्षम राष्ट्रपति होता तो युद्ध शुरू ही नहीं होता. 

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में कहा था कि वो रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करवा सकते हैं.

ट्रंप ने कहा, "रूस कभी यूक्रेन में नहीं घुसता. मेरी पुतिन के साथ बहुत अच्छी समझ है. ऐसा कभी नहीं होता. उन्होंने बाइडेन का सम्मान नहीं किया. मैं पुतिन से जल्द ही मिलूंगा.'' उन्होंने कहा कि इस युद्ध में बहुत से लोग मारे गए हैं. युद्ध से शहर के शहर तबाह हो गए हैं. उन्होंने कहा कि वो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी बात कर रहे हैं. इसके बाद हम देखेंगे कि यह कैसे हो सकता है.ट्रंप ने कहा कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए हस्तक्षेप करने का दबाव डाला था.ट्रंप ने कहा कि उन्होंने इस पर बहुत कुछ नहीं किया है.उनके पास बहुत सारी शक्तियां हैं, जैसे हमारे पास बहुत अधिक शक्ति है. 

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क्या कहना है पुतिन का

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने ट्रंप को राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करने से पहले ही उन्हें बधाई दी थी.पुतिन ने ट्रंप के रुख को स्वीकार करते हुए कहा था कि वह इस युद्ध को रोकने के लिए राष्ट्रपति के दृढ़ संकल्प का स्वागत करते हैं.उन्होंने ट्रंप प्रशासन में अमेरिका-रूस के संबंधों में सुधार की उम्मीद जताई भी जताई है. सुरक्षा परिषद के सदस्यों के साथ वीडियो कॉल के दौरान रूसी राष्ट्रपति ने कहा,''हम ट्रंप और उनकी टीम के सदस्यों से इस तरह के बयान सुन रहे हैं कि वे रूस के साथ सीधे संपर्क बहाल करना चाहते हैं, जिन्हें बिना हमारी गलती के पिछली सरकार ने रोक दिया था.हम उनके इस तरह के बयान सुन रहे हैं कि उन्हें तीसरे विश्व युद्ध को रोकने के लिए सब कुछ करना चाहिए, हम निश्चित रूप से ऐसे दृष्टिकोण का स्वागत करते हैं.पुतिन ने भी कहा है कि रूस यूक्रेन के साथ संभावित शांति समझौते पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. लेकिन यह केवल एक अस्थायी युद्धविराम नहीं होना चाहिए, बल्कि एक स्थायी शांति होनी चाहिए और इसमें रूस के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए. पुतिन ने कहा था कि वो निश्चित रूप से रूस के हितों, रूसी लोगों के हितों के लिए लड़ेंगे.

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सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा करते रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन.

ऐसा नहीं है कि ट्रंप केवल पुतिन की तारीफ ही कर रहे हैं, वह उनकी आलोचना करने में भी पीछे नहीं हैं. ओवल ऑफिस में उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि जेलेंस्की एक शांति समझौता चाहते हैं. लेकिन मैं नहीं जानता कि पुतिन ऐसा चाहते हैं या नहीं. मुझे लगता है कि रूस परेशानी में पड़ने वाला है...मुझे लगता है कि पुतिन रूस को तबाह कर रहे हैं.''

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क्या यूक्रेन युद्ध में फंस गया है रूस

ट्रंप कुछ हद तक सही भी हैं. रूस युद्ध के मैदान में लड़खड़ा रहा है. इस युद्ध में अबतक सात लाख लोग मारे जा चुके हैं. रूस अब उत्तर कोरियाई सैनिकों और ईरानी ड्रोन पर निर्भर हो रहा है. इस क्रम में रूस आर्थिक तौर पर भी कमजोर होता जा रहा है. उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. इससे भी बड़ी बात यह है कि ह्वाइट हाउस में ट्रंप की वापसी से रूस की अर्थव्यवस्था और चरमरा सकती है. 

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डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के कुछ देर बाद ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन और उनके चीन समकक्ष शी जिनपिंग ने बातचीत की. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से इन दोनों नेताओं के संबंधों में प्रगाढ़ता आई है. पश्चिम के देशों की ओर से लगाई गई पाबंदियों के प्रभाव को कम करने के लिए चीन रूस से तेल और गैस की खरीद कर रहा है. शी से बातचीत में पुतिन का जोर इस बात पर था कि दोनों देशों के संबंध साझा हित, पारस्परिक फायदे और सम्मान के लिए हैं. उनका कहना था कि दोनों देश आंतरिक राजनीतिक कारकों और ताजा अंतरराष्ट्रीय वातावरण से प्रभावित नहीं हैं.

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