‘भारत अमेरिका से व्यापार समझौता करने वाला पहला देश हो सकता है,’ US के वित्त मंत्री ने बताई वजह

अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने उम्मीद जताई है कि भारत वाशिंगटन के साथ व्यापार समझौता पर साइन करने वाला पहला देश बन सकता है क्योंकि जो मुद्दे हैं, वो सरल हैं, जिससे समझौता "बहुत आसान" हो जाएगा.

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भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टैरिफ नीति से दुनिया की अर्थव्यवस्था को झकझोर रखा है, भारत के लिए शुभ संकेत दिख रहे हैं. बहुत जल्द ही भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर मुहर लग सकती है. अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी (वित्त मंत्री) स्कॉट बेसेंट ने उम्मीद जताई है कि भारत वाशिंगटन के साथ व्यापार समझौता पर साइन करने वाला पहला देश बन सकता है क्योंकि जो मुद्दे हैं, वो सरल हैं, जिससे समझौता "बहुत आसान" हो जाएगा. उन्होंने बुधवार, 23 अप्रैल को कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता किसी समझौते पर पहुंचने के "बहुत करीब" है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की समर मीटिंग्स के इतर वाशिंगटन में एक बैठक में उन्होंने पत्रकारों से कहा, "भारत में गैर-टैरिफ व्यापार बाधाएं कम हैं, जाहिर है, मुद्रा में कोई हेरफेर नहीं किया गया है, बहुत कम सरकारी सब्सिडी है, इसलिए भारतीयों के साथ समझौते तक पहुंचना बहुत आसान है."

बैठक में भाग लेने वालों की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, भारत के साथ व्यापार के मुद्दे ज्यादातर हाई टैरिफ से ही जुड़े थे.

इस बीच अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस भारत दौरे पर आए थे और उन्होंने व्यापार मुद्दों पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की. जेडी वेंस ने ही पहले संकेत दिया था कि वार्ता में पर्याप्त प्रगति हुई है. मंगलवार को जयपुर में बोलते हुए, जेडी वेंस ने कहा, "हम औपचारिक रूप से यह घोषणा करते हुए खास तौर से उत्साहित हैं कि अमेरिका और भारत ने व्यापार वार्ता के लिए संदर्भ की शर्तों (टर्म्स ऑफ रेफरेंस) को आधिकारिक तौर पर अंतिम रूप दे दिया है."

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उन्होंने कहा, "यह राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप और प्रधान मंत्री मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह हमारे देशों के बीच अंतिम समझौते की दिशा में एक रोडमैप तैयार करता है. मेरा मानना ​​​​है कि अमेरिका और भारत मिलकर बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं."

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दोनों नेताओं ने कहा कि उन्होंने व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाने और भारत को 26 प्रतिशत के टैरिफ से बचने में सक्षम बनाने के लिए एक रोडमैप बनाया है. दरअसल तमाम देशों के साथ भारत पर भी ट्रंप ने 26 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था. हालांकि चीन को छोड़कर सभी देशों के इन टैरिफ पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दिया गया (अभी सिर्फ 10 प्रतिशत का बेसिक टैरिफ लिया जा रहा). ट्रंप ने कहा है कि अगर कोई समझौता नहीं हुआ तो उन देशों देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ जुलाई में प्रभावी होगा.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के महत्व के बारे में बात की है और बताया है कि नई दिल्ली की सरकार वाशिंगटन के साथ व्यापार वार्ता शुरू करने वाले पहले देशों में से एक थी.

उन्होंने सोमवार को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के हूवर इंस्टीट्यूट में कहा, "भारत का सबसे बड़ा और शीर्ष व्यापारिक भागीदार अमेरिका है, और भारत में आज की सरकार में इसका महत्व कम नहीं हुआ है."

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भारतीय प्रवासियों के साथ एक बैठक में उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि व्यापार समझौते का पहला भाग शरद ऋतु (ठंड में) तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा, "अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जिसके साथ हमें एक समझौता करने की जरूरत है."

गौरतलब है कि पिछले साल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 129 अरब डॉलर था, जिसमें भारत के पक्ष में 45.7 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष था. यानी अमेरिका से जितने मुल्य का आयात भारत में होता है, भारत उससे 45.7 अरब डॉलर अधिक का सामान अमेरिका भेजता है.

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