'टैरिफ महाराज भारत कर रहा है मुनाफाखोरी', अब ट्रंप के करीबी ने रूसी तेल पर बघारा ज्ञान

अमेरिका ने भले रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, लेकिन उसने रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार चीन के खिलाफ अबतक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है.

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  • अमेरिकी व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर रूसी तेल आयात जारी रखकर मुनाफाखोरी की योजना चलाने का आरोप लगाया.
  • नवारो ने कहा कि भारत ने रूस से तेल खरीद बढ़ाकर क्रेमलिन के लिए मनी लॉन्ड्रिंग की सुविधा प्रदान की है.
  • भारत ने अमेरिकी दंडात्मक टैरिफ के बावजूद रूस के साथ दीर्घकालिक मित्रता और ऊर्जा सहयोग जारी रखने का संकेत दिया.
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अमेरिका रूस-यूक्रेन जंग को रुकवाने की अपनी कोशिशों में लगातार असफल हो रहा है और खिसियानी बिल्ली की तरह भारत के साथ रिश्तों को चोट पहुंचा रहा है. अब भारत को टैरिफ का "महाराज" कहते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार, पीटर नवारो ने नई दिल्ली पर रूसी तेल का आयात जारी रखकर "मुनाफाखोरी योजना" चलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि अमेरिका में होने वाले भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत का दंडात्मक टैरिफ योजना के अनुसार अगले सप्ताह प्रभावी होगा.

जब नवारो से भारत पर 27 अगस्त से लागू होने वाले 25 प्रतिशत दंडात्मक टैरिफ के बारे में पूछा गया तो उन्होंने व्हाइट हाउस के बाहर मीडिया से कहा, "मैं ऐसा होते हुए देख रहा हूं." 

नवारो ने कहा, "फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से पहले, भारत ने लगभग कोई रूसी तेल नहीं खरीदा था… यह (रूस से खरीद) उनकी जरूरत का लगभग एक प्रतिशत था. यह प्रतिशत अब 35 प्रतिशत हो गया है… उन्हें तेल की जरूरत नहीं है. यह एक रिफाइन करके प्रॉफिट को बांटने की योजना है. यह क्रेमलिन (रूस) के लिए एक लॉन्ड्रोमैट (मनी लॉन्ड्रिग का जरिया) है. यही इसकी वास्तविकता है."

अमेरिका की ओर से यह बयान उस समय आया है जब भारत ने यह साफ संकेत दिए हैं कि वह रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा. अमेरिका से लगे 50 प्रतिशत के भारी टैरिफ झटके के बाद भारत  सरकार ने रूस के साथ अपनी दीर्घकालिक मित्रता को दोहराया है और हाल के दिनों में क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ तनाव कम करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.

“मोदी महान नेता लेकिन…”

नवारो ने कहा कि इस तर्क का कोई मतलब नहीं है कि भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूसी तेल की जरूरत है. ट्रंप के इस व्यापार सलाहकार ने कहा, "देखिए, मोदी एक महान नेता हैं. लेकिन प्लीज, प्लीज भारत को देखें, वैश्विक अर्थव्यवस्था में आपकी भूमिका क्या है... ऐसा लगता है कि आप अभी जो कर रहे हैं वह शांति पैदा नहीं कर रहा है, यह युद्ध को कायम रख रहा है."

उन्होंने दावा किया कि भारत को सस्ता रूसी तेल मिलता है और वह उसे रिफाइन करके उत्पाद बनाता है जिसे वे यूरोप, अफ्रीका और एशिया में प्रीमियम कीमतों पर बेचते हैं. "यह पूरी तरह से भारतीय रिफाइनिंग उद्योग द्वारा मुनाफाखोरी है."

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उन्होंने कहा, "भारत के साथ हमारे व्यापार का अमेरिकियों पर शुद्ध प्रभाव (नेट इम्पैक्ट) क्या है? वे टैरिफ में महाराज हैं. (हमारे पास) उच्च गैर-टैरिफ बाधाएं, बड़े पैमाने पर व्यापार घाटा आदि हैं - और इससे अमेरिकी श्रमिकों और अमेरिकी व्यापार को नुकसान होता है... वे हमसे जो पैसा प्राप्त करते हैं, उसका उपयोग रूसी तेल खरीदने के लिए करते हैं, जिसे बाद में उनके रिफाइनर द्वारा संसाधित किया जाता है." 

उन्होंने कहा, "रूसी इस पैसे का इस्तेमाल हथियार बनाने और यूक्रेनियों को मारने के लिए करते हैं और अमेरिका के टैक्सपेयर्स को यूक्रेनियों को अधिक सहायता और सैन्य हार्डवेयर देना पड़ता है. यह पागलपन है...भारत रक्तपात में अपनी भूमिका को पहचानना नहीं चाहता है."

भारत की जवाब

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अभी रूस यात्रा पर हैं. उन्होंने मास्को में रूस के साथ भारत के व्यापार संबंधों की अमेरिकी अधिकारियों की आलोचना का जवाब दिया और कहा कि भारत सरकार अमेरिकी धमकियों से "हैरान" है, क्योंकि वाशिंगटन ने खुद नई दिल्ली से रूसी तेल खरीदकर वैश्विक ऊर्जा बाजारों को स्थिर करने में मदद करने के लिए कहा था.

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उन्होंने कहा, "हम एक ऐसे देश हैं जहां, वास्तव में, अमेरिकियों ने पिछले कुछ वर्षों से कहा है कि हमें विश्व ऊर्जा बाजारों को स्थिर करने के लिए सब कुछ करना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है."

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