मुलाकात से पहले India की US से दो टूक, कहा-रूसी हथियारों के विकल्प हैं "बेहद महंगे" : रिपोर्ट

अमेरिका (US) और भारत (India) के विदेश और रक्षा मंत्री सोमवार और मंगलवार  को वॉशिंगटन (Washington) में मिलेंगे. यह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली 2+2 फॉर्मेट की बैठक होगी.

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Biden के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार होगी India-US की 2+2 बैठक

यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) के दौरान रूस (Russia) की आलोचना ना करने के लिए बाइडेन प्रशासन (Biden Administration) इन दिनों भारत (India) से खुलकर नाराज़गी जाहिर कर रहा है. हाल ही में वॉशिंगटन (Washington) से आए सार्वजनिक बयान भारत (India) को रूस से हथियार (Russian Arms) और सस्ता तेल (Cheap Oil) खरीदने पर चेतावनी देते नज़र आए हैं. ब्लूमबर्ग के मुताबिक, इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि यह दोनों देशों के बीच ऐसे मुद्दों पर बंद कमरों में होने वाली बातचीत से अलग रुख है. नाम ना बताने की शर्त पर एक सूत्र ने अमेरिका की उपविदेश सचिव विक्टोरिया नूलैंड (US Assistant Secretary of State Victoria Nuland) की भारत यात्रा के दौरान हुई बातचीत का हवाला देते हुए यह बताया. उन्होंने भारत को चीन और पाकिस्तान का सामना करने के लिए हथियारों का विकल्प देने में मदद करने का प्रस्ताव दिया था.   

जबकि गुरुवार को अमेरिका ने कहा कि भारत संग 2 +2 बातचीत से दोनों देशों के बीच समग्र वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का महत्व मजबूत होगा और इससे अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा. अमेरिका ने आशा जताई है कि भारत और अमेरिका के बीच 2+2 बातचीत से इंडो-पैसिफिक में मुक्त, खुला और संंपन्नता लाने की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा.   

इससे पहले भारत ने नूलैंड से कहा था कि रूसी हथियारों के विकल्प बहुत महंगे हैं. इसके अलावा रूसी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ ज्वाइंट वेंचर करने की भी इच्छुक हैं जिसमें तकनीक का हस्तांतरण भी शामिल है. जबकि अमेरिकी रक्षा कंपनियां ऐसा करने से कतराती हैं.    

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अमेरिका और भारत के विदेश और रक्षा मंत्री सोमवार और मंगलवार  को वॉशिंगटन में मिलेंगे. यह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली 2+2 फॉर्मेट की बैठक होगी. भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को अपनी सप्ताहिक प्रेसवार्ता में यह बताया. इसके अलावा रक्षा सहयोग, यूक्रेन पर व्लादिमिर पुतिन के हमले और प्रतिबंधों को लागू करने जैसे मुद्दों पर भी इस दौरान चर्चा होनी है.  

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस के राष्ट्रपति पुतिन की आलोचना करने से बचने के कारण पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका और भारत के बीच पिछले कुछ हफ्तों में तनाव बढ़ गया है.  इससे चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए लोकतांत्रिक देशों भारत-अमेरिका के बीच बन रहा सुरक्षा सहयोग जटिल हो गया है. 
 

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