अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में दोनों दलों ने हर देश को दिए जाने वाले रोजगार पर आधारित ग्रीन कार्ड की सीमा हटाने के लिए संयुक्त रूप से एक विधेयक पेश किया. कांग्रेस सदस्य जोए लोफग्रेन और जॉन कुर्टिस ने यह विधेयक पेश किया और इससे भारतीय आईटी पेशेवरों को फायदा होने की संभावना है जो लंबे वक्त से ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे हैं. ‘इक्वल एक्सेस टू ग्रीन कार्ड्स फॉर लीगल एम्प्लॉयमेंट' (ईएजीएलई) कानून, 2021 को पहले सीनेट में पारित करने की जरूरत है जिसके बाद वह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए व्हाइट हाउस में जाएगा.
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इस विधेयक में रोजगार आधारित प्रवासी वीजा पर प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा को हटाने का प्रावधान है. साथ ही इसमें परिवार प्रायोजित वीजा पर प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा को 15 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है. आव्रजन और नागरिकता पर सदन की उप समिति की अध्यक्ष लोफग्रेन ने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि हमारी आव्रजन प्रणाली में बहुत खामी है और इसमें दशकों से त्रुटि है.''
उन्होंने कहा कि आव्रजन वीजा देने की मूल रूपरेखा 20वीं सदी की है और इसे आखिरी बार गंभीर रूप से 1990 में संशोधित किया गया जब संसद ने वीजा के आवंटन पर दुनियाभर में एक सीमा तय कर दी और प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा आज भी लागू है.
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उन्होंने कहा कि समय के साथ ही इन सीमाओं से 1990 में ग्रीन कार्ड पाने का इंतजार कर रहे लोगों की संख्या अकल्पनीय रूप से बढ़ गयी. इसका असर यह हुआ कि कम आबादी वाले देशों को भी उतने ही वीजा आवंटित किए गए जितने वीजा ज्यादा आबादी वाले देशों को मिले.