- अमेरिका ने इजरायल को वेस्ट बैंक पर कब्जा करने के खिलाफ चेतावनी दी, कहा- शांति समझौते को नुकसान पहुंचेगा
- इजरायली संसद ने दो मसौदा कानूनों को मंजूरी दी है, जिसका मकसद वेस्ट बैंक में इजरायल की संप्रभुता लागू करना है
- अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि वह वेस्ट बैंक पर इजरायली कब्जे का समर्थन नहीं करेगा, कम से कम अभी के लिए
फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा करने के इजरायल के किसी भी तरह के सपने को अमेरिका ने बड़ी चोट दी है, कम से कम अभी के लिए. अमेरिकी के स्टेट सेक्रेटरी (विदेश मंत्री) मार्को रुबियो ने बुधवार, 22 अक्टूबर को चेतावनी दी कि इजरायल अपनी संसद द्वारा वेस्ट बैंक पर कब्जा करने की दिशा में एक भी कदम उठाता है तो वह हमास के साथ हुए शांति समझौते को नुकसान पहुंचाएगा, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने करवाया है.
AFP की रिपोर्ट के अनुसार मार्को रुबियो ने इजरायल के लिए रवाना होते समय पत्रकारों से कहा, "मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि हम अभी इसका (कब्जे का) समर्थन नहीं कर सकते हैं." उन्होंने कहा कि ऐसे किसी भी कब्जे की कोशिश शांति समझौते को "खतरे में" डालने वाली और "काउंटरप्रोडक्टिव (यानी फायदे की जगह नुकसान)" होगी.
गाजा में सीजफायर समझौते को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वांस इजरायल की यात्रा पर पहुंचे हैं और उनके साथ उनका पूरा प्रतिनिधिमंडल है.
आखिर इजरायल की संसद ने ऐसा क्या कर दिया?
इजरायल की संसद का नाम नेसेट है. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इजरायली संसद ने दो मसौदा कानूनों को मंजूरी दी है जिसका उद्देश्य कब्जे वाले वेस्ट बैंक पर इजरायली संप्रभुता को लागू करना है और वहां जो इजरायल ने अवैध कॉलोनी बना रखी है, उसको वैध बनाना है.
नेसेट के एक बयान में कहा गया है कि बिल को प्रारंभिक रीडिंग में "यहूदिया और सामरिया (वेस्ट बैंक) के क्षेत्रों में इजरायल राज्य की संप्रभुता लागू करने के लिए" मंजूरी दे दी गई है.
कतर और सऊदी अरब ने इजरायली नेसेट द्वारा "कब्जे वाले वेस्ट बैंक पर इजरायली संप्रभुता थोपने" के उद्देश्य से इन दो कानूनों को मंजूरी देने की कड़ी निंदा की है. इसे फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का "घोर उल्लंघन" और अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए चुनौती बताया है. इस बीच, सऊदी अरब ने भी कानूनों को मंजूरी देने की निंदा की है.