ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका, इजरायल के साथ युद्ध में हिस्सा लेता है तो यह 'सभी के लिए बेहद खतरनाक' होगा. अब जबकि अमेरिका ने ईरान पर हमला कर दिया है तो पूरी दुनिया की नजरें इस पर टिकी हैं कि आखिर ईरान क्या करेगा. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेता चुके है कि ईरान सरेंडर नहीं करेगा. अमेरिका के ईरान पर हमले के बाद यह तो तय है कि यह संघर्ष जल्द ही पूरे क्षेत्र को अपनी जद में ले लेगा. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ईरान किस तरह से इसका जवाब देगा लेकिन इतना तो तय है कि आने वाले दिनों में खाड़ी क्षेत्र की स्थिति काफी तनावपूर्ण होने वाली है.
क्या फिर से होगा खूनखराबा
ईरान और आसपास के क्षेत्र में अब स्थिति साल 2003 के उसी दौर में पहुंचती हुई दिख रही है जब यहां पर सबसे ज्यादा खून-खराबा हुआ था. माना जा रहा है कि ईरान अब खाड़ी क्षेत्र में स्थित अमेरिकी सेना के अड्डों को निशाना बना सकता है. इराक की सेनाएं भी ईरान के साथ आती हुई नजर आ रही हैं. अमेरिकी सेनाएं इस समय अभी तुर्की, सीरिया, लेबनान, इराक, बहरीन, इजरायल, इजिप्ट, जिबूती, अरब सागर और कुवैत में तैनात हैं. सबसे ज्यादा 10 हजार अमेरिकी सैनिक कुवैत में हैं. कुल 51400 सैनिक इस क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं.
हूती भी उतरेंगे मैदान में
यमन में हूती पहले ही कह चुके हैं अगर ईरान पर हमला हुआ तो वो अमेरिकी जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर देंगे. इस बयान के साथ ही अमेरिका के साथ उनका युद्ध जो कुछ समय से रुका था फिर से शुरू हो जाएगा. लेबनान का हिजबुल्लाह अभी तक चुप था. लेकिन पिछले हफ्ते उसने भी चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका का हमला हुआ तो फिर वह ईरान के समर्थन में उन तरीकों से काम कर सकता है जो उसे सही लगेंगे.
दुनिया को नहीं मिलेगा तेल?
हिजबुल्लाह की ओर से अगर कोई भी हस्तक्षेप हुआ तो फिर इजरायल के साथ विनाशकारी युद्ध फिर से शुरू हो जाएगा. इस युद्ध ने पिछले साल लेबनान के बड़े हिस्से को खत्म कर दिया था और नॉर्थ इजरायल में हजारों लोगों को विस्थापित किया गया था. इसके अलावा, अगर ईरान, होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने में सफल हो जाता है तो यह कदम ग्लोबल इकॉनमी के लिए और गल्फ में एनर्जी सप्लाई करने वाले देशों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है. इस रास्ते से दुनिया का 20 फीसदी तेल गुजरता है.