अमेरिका (US) ने संकटग्रस्त पूर्वी यूरोप (Eastern Europe) में कई हजार नाटो (NATO) सैनिकों को तैनात कर दिया इस बीच फ्रांस (France) और जर्मनी (Germany) के नेता यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के आक्रमण की चिंताओं पर बात करने के लिए मास्को (Moscow) की यात्रा पर हैं. रूस यूक्रेन की सीमाओं ने अपने एक लाख सैनिकों की वापसी से इंकार कर चुका है. इस बीच नाटो के झंडे तले एक हजार अमेरिकी सैनिक जर्मनी से रोमानिया भेज रहा है. साथ ही अमेरिका अपने 2000 सैनिक जर्मनी से पोलैंड भेज रहा है.
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सैनिकों की तैनाती की घोषणा के बाद कहा, "जब तक व्लादिमिर पुतिन आक्रामक रुख बनाए रखेंगे तब तक हम यह सुनिश्चित करेंगे कि पूर्वी यूरोप में हम अपने नाटो सहयोगियों को आश्वस्त करते रहेंगे."
इसके जवाब में रूस के उप विदेश मंत्री एलेक्ज़ेंडर ग्रुशको ने कहा कि अमेरिका के इस कदम से दोनों पक्षों में कोई भी समझौता होना और कठिन हो जाएगा. उन्होंने कहा, " बात को खराब करेने वाले कदमों से सैन्य तनाव बढ़ता है और राजनैतिक फैसलों के लिए कम जगह बचती है."
इस बीच जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्स ने बुधवार को घोषणा की थी कि वो जल्द ही यूक्रेन पर संकट पर चर्चा के लिए रूस जाएंगे वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रां ने भी ऐसी ही एक यात्रा की ओर संकेत दिया था.
बाइडेन और मैक्रां ने एक फोन कॉल पर यूक्रेन संकट को लेकर सहयोगात्मक प्रयास करने का फैसला किया है. इस बीच फ्रांस के नेता के दफ्तर से कहा गया कि वो गुरुवार शाम को इसे लेकर दोबारा पुतिन से बात करेंगे.
उधर वॉशिंगटन में, जॉन किर्बी ने ज़ोर देकर कहा कि अमेरिकी सेना का मूवमेंट नाटो सहयोगियों के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने के लिए है और कोई भी ऐसा अमेरिकी सैनिक यूक्रेन में युद्ध के लिए नहीं भेजा गया है जो नाटो का सदस्य नहीं है.