संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) ने ऑस्ट्रेलिया (Australia) और ब्रिटेन (UK) के साथ एक नए त्रिपक्षीय ग्रुप की घोषणा की है, ताकि चीन के साथ बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के सामने सैन्य क्षमताओं को मजबूत किया जा सके. ये ग्रुप AUKUS कहलाएगा. इंडो पैसिफ़िक क्षेत्र में हालात को देखते हुए ये ग्रुप बना है. ये ग्रुप रक्षा, तकनीक, विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग करेगा. इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया ने 90 बिलियन डॉलर्स का फ्रांस से डील रद्द कर परमाणु पनडुब्बी बेड़ा बनाने का काम अमेरिका को सौंप दिया है.
बुधवार को गठबंधन की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री स्कॉट मॉरिसन और उनके ब्रिटिश समकक्ष बोरिस जॉनसन द्वारा एक वीडियो मीटिंग में की गई. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि AUKUS, QUAD और ASEAN मित्रों को लिए भी योगदान करेगा. इस मीटिंग से बीजिंग का नाराज होना निश्चित है.
इस गठबंधन से फ्रांस भी नाराज हो गया है, जो ऑस्ट्रेलिया को पारंपरिक पनडुब्बियों की बिक्री के लिए 90 बिलियन डॉलर के सौदे पर बातचीत कर रहा था. अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि साझेदारी के तहत, अमेरिका ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को तैनात करने की तकनीक प्रदान करेगा.
बाइडेन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के निर्माण में सक्षम बनाने के काम से यह सुनिश्चित होगा कि उनके पास "तेजी से विकसित हो रहे खतरों से निपटने और बचाव के लिए सबसे आधुनिक तकनीक और क्षमताएं हैं."
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हालांकि, बाइडेन समेत अन्य नेताओं ने ये स्पष्ट किया कि ये पनडुब्बियां परमाणु हथियारों से लैस नहीं होंगे, बल्कि केवल परमाणु रिएक्टरों से संचालित होंगे. आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मॉरिसन ने बाद में घोषणा की कि ऑस्ट्रेलिया लंबी दूरी की यूएस टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों का भी अधिग्रहण करेगा.
हालांकि, तीनों नेताओं ने AUKUS साझेदारी का ऐलान के दौरान चीन का कोई उल्लेख नहीं किया, लेकिन उनका इरादा स्पष्ट था. मॉरिसन ने कहा, "हमारी दुनिया अधिक जटिल होती जा रही है, खासकर हमारे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में. यह हम सभी को प्रभावित कर रहा है. इंडो-पैसिफिक का भविष्य हम सभी लोगों का भविष्य को प्रभावित करेगा."
ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा कि वे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए मिलकर काम करेंगे. पिछले हफ्ते ही दक्षिण-पूर्वी एशिया के दौरे पर गईं अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने बीजिंग पर अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़ने और दक्षिण चीन सागर पर उसके दावे की आलोचना की थी.
तीन देशों के तकनीकी और नौसैनिक प्रतिनिधि अगले 18 महीने यह तय करेंगे कि ऑस्ट्रेलिया की सैन्य शक्ति के उन्नयन को कैसे अंजाम दिया जाए, जैसा कि जॉनसन ने कहा, "दशकों तक चलने वाली दुनिया में सबसे जटिल और तकनीकी रूप से मांग वाली परियोजनाओं में से यह एक होगी." बाइडेन ने पेरिस को शांत करने की कोशिश में कहा कि फ्रांस हिंद-प्रशांत में एक "प्रमुख भागीदार और सहयोगी" है.