- ब्रिटेन के पोस्ट ऑफिस घोटाले में 13 लोगों ने आत्महत्या की, कई दिवालिया हुए और कुछ गंभीर रूप से बीमार भी हो गए हैं.
- जांच में पता चला कि सरकारी अधिकारियों को कंप्यूटर सिस्टम की गलतियों का पता था, लेकिन उन्होंने इसे छिपाया,
- साल 2000 से 2013 तक सबपोस्टमास्टर्स को आईटी सिस्टम की खामियों के कारण हुए नुकसान के लिए गलत तरीके से दोषी ठहराया गया.
ब्रिटेन के पोस्ट ऑफिस घोटाले की वजह से 13 लोगों ने आत्महत्या कर ली है. जबकि कुछ दिवालिया हो गए तो कुछ गंभीर रूप से बीमार हो गए हैं. मंगलवार को एक जांच में यह चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जांच को लीड कर रहे वेन विलियम्स ने कहा है कि वह इस बात से संतुष्ट हैं कि सरकारी पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों को पता था या फिर उन्हें पता होना चाहिए था कि उनके कंप्यूटर सिस्टम में गलतियां होने की आशंका है. फिर भी उन्होंने इस बात को छिपाकर रखा.
ड्रामे के जरिये बताई गई हकीकत
साल 2000-2013 तक डाकघर ने ब्रांच मैनेजर्स, जिन्हें सबपोस्टमास्टर के नाम से जाना जाता है, को उन नुकसानों के लिए सजा दी जो उनके खातों में नजर आए थे. जबकि ये जापानी कंपनी फुजित्सु की तरफ से सप्लाई की गईं आईटी सिस्टम में खामियों की वजह से हुए थे. इसमें करीब 1,000 लोगों को दोषी ठहराया गया. पिछले साल इस मामले के टीवी पर ण्क ड्रामे के तौर पर दिखाया गया था. इस ड्रामे का नाम 'मिस्टर बेट्स बनाम पोस्ट ऑफिस' था और तब लोगों में इस घोटाले को लेकर नाराजगी और बढ़ गई थी.
तुरंत मिले मुआवजा
अपनी रिपोर्ट के 162 पेजों के पहले हिस्से में विलियम्स ने पीड़ितों के लिए 'पूर्ण और उचित' मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की अपील की गई है. उनकी सिफारिशों में फ्री लीगल हेल्प से लेकर परिवार के सदस्यों के लिए मुआवजा तक शामिल है. विलियम्स ने कहा कि यह पता लगाना असंभव है कि वास्तव में कितने लोगों पर इसका असर हुआ होगा. लेकिन विलियम्स ने इसके लिए चार मुआवजा योजनाओं के तहत करीब 10,000 योग्य दावेदारों का जिक्र किया है.
298 लोगों से की गई थी पूछताछ
रिपोर्ट के सामने आने के बाद उन्होंने कहा, 'कई हजार लोगों को गंभीर वित्तीय नुकसान हुआ है. कईयों ने अपने बिजनेस और घर गंवा दिए, दिवालियापन हो गया है, शादी और परिवार बर्बाद हो गए हैं. दुख की बात है कि मैंने ऐसे लोगों के बारे में भी सुना है जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें अपनी जान लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.' जांच के दौरान 226 दिनों तक सुनवाई हुई और 298 गवाहों से पूछताछ की गई.