विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मौजूदा इजराइल-फलस्तीन संघर्ष का हल निकालने के लिए द्वि-राष्ट्र समाधान की बात को शनिवार को दोहराया. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का स्थायी हल निकालने के लिए प्रयास जारी हैं.
जयशंकर ने हालांकि इन प्रयासों के बारे में बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह इसके बारे में सार्वजनिक रूप से नहीं बोल सकते. उन्होंने कहा, “लेकिन हम (भारत) उन कुछ देशों के प्रयासों का बहुत समर्थन करते हैं जो वर्तमान स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता खोजने के लिए अभी काम कर रहे हैं.''
सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर आये जयशंकर से सिंगापुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (एनयूएस) के दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान (आईएसएएस) में उनकी पुस्तक ‘व्हाई भारत मैटर्स' पर व्याख्यान सत्र के बाद पूछा गया था कि इजराइल और फलस्तीन की स्थिति के बारे में उनकी क्या राय है और इसका क्या समाधान हो सकता है.
जयशंकर ने कहा कि भारत की स्थिति इस संबंध में बहुत स्पष्ट है कि सात अक्टूबर (पिछले साल) को जो हुआ वह ‘‘आतंकवाद'' था. सात अक्टूबर, 2023 को गाजा पट्टी से हमास के आतंकवादियों ने जमीन, समुद्री और हवाई मार्गों से इजराइल पर हमला किया, जिसमें कम से कम 1,200 इजराइली नागरिक मारे गए और 230 अन्य को बंधक बना लिया गया.
इस हमले के बाद इजराइल ने गाजा पट्टी पर जवाबी कार्रवाई की. गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार लगभग 32,000 फलस्तीनी मारे गए, जिनमें दो-तिहाई महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.
इजराइल की प्रतिक्रिया के संबंध में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि भारत की राय है कि ‘‘(किसी भी प्रतिक्रिया के मामले में) नागरिकों के हताहत होने के बारे में ध्यान रखना होगा; अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने की आवश्यकता है.''
उन्होंने कहा, ‘‘हम आज ऐसी स्थिति में हैं जहां नागरिकों को स्थायी आधार पर मानवीय सहायता पहुंचाने का एक तरीका खोजने की आवश्यकता है.'' जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है कि हमें द्वि-राष्ट्र समाधान ढूंढना होगा.''
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