Tariff on Pharma: आ रही ट्रंप की नई 'पेन-गिवर' गोली! भारत को दी तो अमेरिका खुद हो जाएगा बीमार, जानिए क्यों

फार्मास्युटिकल क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक निर्यात है. लेकिन ऐसा नहीं है कि अमेरिका को दवाइयां भेजने से फायदा सिर्फ भारत को हो रहा है. इसका सबसे बड़ा फायदा तो खुद अमेरिका उठा रहा है. जानिए कैसे.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
ट्रंप अब फार्मा कंपनियों पर लगाएंगे टैरिफ

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर टैरिफ लगाने का ऐलान करने जा रहे हैं. इस बार वो फार्मास्युटिकल्स कंपनियों पर भारी भरकम टैरिफ लगाने की बात कर रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि फार्मास्युटिक्लस पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं. हम जल्द ही फार्मा पर बहुत भारी टैरिफ लगाएंगे. मेरा काम अमेरिकी सपनों की रक्षा करने का है. मुझे अपने अमेरिकी नागरिकों की रक्षा करनी है और यही मेरा काम भी है. ट्रंप ने आगे कहा कि मैं इन कंपनियों पर इतना टैरिफ लगाने जा रहा हूं कि उनको सीधा अमेरिका में आकर अपनी यूनिट सेटअप करना ज्यादा बेहतर लगेगा. 

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि टैरिफ लगाने से ये दवा कंपनियां अपने ऑपरेशन और फैक्टरियों को अमेरिका लेती आएंगीं. इससे पहले, ट्रंप सरकार ने फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर को अपनी रेसिप्रोकल टैरिफ नीति के दायरे से छूट दी थी. लेकिन अब वो पलटते नजर आ रहे हैं.

भारत दवाइयों का सबसे बड़ा सप्लायर, ट्रंप अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे?

अगर ट्रंप अपने कहे अनुसार सच में फार्मा कंपनियों से होने वाले आयात पर भी नए टैरिफ लगा देते हैं, तो अमेरिका को दवाओं के सबसे बड़े सप्लायर्स में से एक, भारत काफी प्रभावित हो सकता है. 2024 में, भारत के कुल फार्मास्युटिकल निर्यात का मूल्य 12.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. इनमें से 8.7 बिलियन डॉलर की सप्लाई अमेरिका गई थी. जबकि वहां से केवल 800 मिलियन डॉलर के फार्मा प्रोडक्ट्स भारत आते हैं. अभी तक भारत अमेरिका से आने वाली इन दवाईयों पर 10.91 प्रतिशत टैरिफ लगाता है. वहीं अबतक अमेरिका भारतीय दवाओं पर कोई टैरिफ नहीं लगा रहा है. 2 अप्रैल के टैरिफ ऐलान में ट्रंप ने फॉर्मा सेक्टर को बाहर रखा था और इसपर कोई अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगाया था. लेकिन अब इसे ट्रंप बढ़ाने की बात कह रहे हैं.

Advertisement

टाइम्स ऑफ इंडिया कि रिपोर्ट के अनुसार 2022 में अमेरिका में लिखी गई दस में से 4 दवाई भारतीय कंपनियों से आई थी. वास्तव में, भारतीय कंपनियों की दवाओं की वजह से ही 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को 219 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2013 से 2022 तक कुल 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत की. मतलब अमेरिका हमारी जेनेरिक दवाई खाकर पैसा बचा रहा है. अगले पांच सालों में, भारतीय कंपनियों की जेनेरिक दवाओं से अमेरिका को अतिरिक्त 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत होने की उम्मीद है.

Advertisement

भारत अगर ट्रंप को शांत करने के लिए अमेरिकी दवा कंपनियों से टैरिफ हटाता है तो उसे मोटा-मोटी 50 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा और यह सहनीय है. लेकिन अगर ट्रंप दूसर दौर में फार्मा पर भी 26 प्रतिशत का टैरिफ थोपते हैं, तो भारत की दवा कंपनियों को जबर्दस्त झटका लगेगा. इससे कम कीमत पर अमेरिका में दवाइयां बेच रही भारतीय दवा कंपनियां नुकसान में चली जाएगी. उन्हें टैरिफ की वजह से अपनी दवा की कीमतें बढ़ानी पड़ेंगे और इससे अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम पर बड़ी चोट लगेगी.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Iran US Nuclear Deal के बीच Donald Trump की Ali Khamenei को Warning, बोला 'अगर Nuclear Weapon बनाया'
Topics mentioned in this article