ट्रंप-पुतिन बैठक: 6-7 घंटे तक एक कमरे में 10 हजार से अधिक एटम बम का कंट्रोल, ऐसा दिखता है न्यूक्लियर ब्रीफकेस

दुनिया की दो महाशक्तियों के सर्वोच्च नेता ट्रंप और पुतिन अब जबकि ऐतिहासिक वार्ता के लिए एक कमरे में इकट्ठा होने वाले हैं, तो यह ऐसा दुर्लभ अवसर होगा जब दोनों देशों के 10 हजार से अधिक परमाणु हथियारों का कंट्रोल एक कमरे में मौजूद रहेगा.

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  • ट्रंप और पुतिन की 6 साल के बाद मुलाकात अलास्का के एंकोरेज में मिलिट्री बेस पर होगी.
  • इस दौरान कई घंटों तक दोनों देशों के परमाणु हथियारों का कंट्रोल एक कमरे में रहेगा.
  • ट्रंप और पुतिन जहां भी जाते हैं, उनके परमाणु हथियारों का ब्रीफकेस साथ में चलता है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 6 साल के बाद मुलाकात करने वाले हैं. ये मुलाकात अलास्का के एंकोरेज में बने एलमेंडॉर्फ रिचर्डसन मिलिट्री बेस पर होगी. इस दौरान 6-7 घंटों तक ऐसा मौका आएगा, जब दोनों देशों के 10 हजार से अधिक परमाणु हथियारों का कंट्रोल एक कमरे में रहेगा. 

राष्ट्रपति पुतिन की सुरक्षा करने  वाले फेडरल प्रोटेक्टिव सर्विस की स्पेशल यूनिट के कमांडो कई तरह के सूटकेस अपने साथ लेकर चलते हैं. इनमें बुलेटप्रूफ-बमप्रूफ सुरक्षा कवच से लेकर मल-मूत्र ब्रीफकेस और न्यूक्लियर सूटकेस तक शामिल होता है. रूसी न्यूक्लियर ब्रीफकेस को Cheget कहा जाता है. इसका नाम काकेशस पर्वत के माउंट चेगेट के नाम पर रखा गया है. 

अंदर से कैसा दिखता है Cheget?

इस सूटकेस में रूस के परमाणु हथियारों का कंट्रोल रहता है. खतरा महसूस होने पर बटन दबाते ही मॉस्को कमांड कंट्रोल को परमाणु हथियार छोड़ने की हरी झंडी मिल जाती है. वैसे तो इस न्यूक्लियर सूटकेस की तस्वीरें आमतौर पर सामने नहीं आतीं, लेकिन रूसी राष्ट्रपति जब एक बार चीन के दौरे पर गए थे, तब इसकी दुर्लभ तस्वीरें खींच ली गई थीं. 

कुछ ऐसा दिखता है रूस का परमाणु ब्रीफकेस, चीन में खींची गई थी तस्वीर

80 के दशक में केजीबी ने बनाया था

ये न्यूक्लियर सूटकेस आमतौर पर रूसी नेवी का अधिकारी लेकर चलता है. इस सूटकेस के बिना पुतिन की कोई भी यात्रा पूरी नहीं होती है. बताते हैं कि इस तरह का पहला न्यूक्लियर सूटकेस 1980 के दशक में सोवियत केजीबी ने बनाया था. उसके बाद इस सूटकेस में समय समय पर बदलाव होते रहे. कहा जाता है कि उस समय इस परमाणु ब्रीफकेस कम्युनिकेशन डिवाइस होती है. कुछ बटन लगे होते हैं. एक बटन दबाने पर मॉस्को में कमांड सेटर को परमाणु हमले की हरी झंडी मिल जाती है, तो दूसरा बटन हमला रोकने के लिए होता है. 

रूसी न्युक्लियर ब्रीफकेस 80 के दशक में बनाया गया था.
Photo Credit: Wikepedia

ट्रंप के साथ चलता है 'न्यूक्लियर फुटबॉल' 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सिक्योरिटी भी इसी तरह का एक सूटकेस लेकर चलती है. उसे  ‘न्यूक्लियर फुटबॉल' कहा जाता है. आधिकारिक रूप से इसे प्रेसिडेंशियल इमरजेंसी सैचेल कहते हैं. इसके जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति परमाणु हमले की कमांड दे सकते हैं. बताते हैं कि इस ब्रीफकेस के अंदर एक कार्ड पर न्यूक्लियर हथियार लॉन्च करने के कोड लिखे होते हैं. 

एक कमरे में रहेगा हजारों एटम बम का कंट्रोल

अब जबकि दोनों महाशक्तियों के सर्वोच्च नेता ऐतिहासिक वार्ता के लिए एक कमरे में इकट्ठा होने वाले हैं, ऐसे में ये एक दुर्लभ मौका होगा जब दोनों देशों के 10 हजार से अधिक परमाणु हथियारों का कंट्रोल एक कमरे में मौजूद रहेगा. ट्रंप और पुतिन की मुलाकात करीब 6-7 घंटे तक चलने की संभावना है. ऐसे में दोनों के परमाणु ब्रीफकेस इस दौरान वहीं रहेंगे. 

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रूस-अमेरिका के पास कितने परमाणु बम?

स्वीडिश थिंक टैंक SIPRI (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) और फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) जैसे संगठनों द्वारा 2025 में जारी किए गए अनुमानों के अनुसार, रूस और अमेरिका के पास दुनिया के सबसे बड़े परमाणु हथियार भंडार हैं.अनुमान है कि रूस के पास 5,459 परमाणु हथियार हैं, जिसमें रणनीतिक और गैर-रणनीतिक दोनों तरह के हथियार शामिल हैं. इनमें से लगभग 1,718 हथियार तैनात अवस्था में हैं. वहीं अमेरिका के पास अनुमानित 5,177 परमाणु हथियार हैं. इनमें से लगभग 1,770 तैनात स्थिति में हैं.

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