अमेरिका अफगानिस्तान में अस्थायी तौर पर करीब 3000 सैनिकों को भेज रहा है. ये किसी लड़ाई में हिस्सा नहीं लेंगे बल्कि ये काबुल से अमेरिकी राजनयिकों और उसके सहयोगियों को सुरक्षित बाहर निकालने के मकसद से किया जा रहा है. ये काबुल के करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तैनात होंगे. अमेरिका में काबुल के अपने दूतावास में राजनयिकों की तादाद और घटाने का फैसला किया है. अमेरिका दूतावास बंद नहीं कर रहा. दूतावास काम करता रहेगा.अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बयान दिया है कि अगले 24 से 48 घंटे में क़रीब 3000 सैनिक अस्थायी तौर पर काबुल भेजे जा रहे हैं. ये किसी लड़ाई में हिस्सा नहीं लेंगे बल्कि रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए भेजे जा रहे हैं. हमला होने पर ही जवाबी कार्रवाई करेंगे. 650 सैनिक पहले से वहां हैं. 600 सैनिक यूके भी भेज रहा है ताकि उसके नागरिक भी सुरक्षित निकल सकें. कनाडा भी अपने राजनयिकों को निकालने के लिए स्पेशल फ़ोर्स की तैनाती कर रहा.
तालिबान ने अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात पर भी कब्जा जमा लिया है. तालिबान के गुरुवार को भी जारी हमले के बीच अफगान सुरक्षाबलों को हेरात को छोड़ना पड़ा है. तालिबान ने एक सप्ताह के भीतर आधे से अधिक अफगान पर कब्जा कर लिया है. सरकार ने अधिकांश उत्तर, दक्षिण और पश्चिम अफगानिस्तान को प्रभावी रूप से खो दिया है.
शहर के एक वरिष्ठ सुरक्षा सूत्र ने एएफपी को बताया, "हमें और विनाश को रोकने के लिए शहर छोड़ना पड़ा." तालिबान के एक प्रवक्ता ने ट्वीट किया कि "सैनिकों ने हथियार डाल दिए और मुजाहिदीन में शामिल हो गए." इससे पहले, आंतरिक मंत्रालय ने काबुल से लगभग 150 किलोमीटर (95 मील) दूर और दक्षिण में कंधार और तालिबान के प्रमुख राजमार्ग के साथ गजनी शहर पर तालिबान के कब्जे की पुष्टि की थी. तालिबान अब तक 34 प्रांतीय राजधानियों में से 11 पर कब्जा जमा चुका है. हेरात पर कब्जा तालिबान के लिए अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी है. कई दिनों से जारी संघर्ष पर अफगान सुरक्षा बल और सरकार कोई टिप्पणी नहीं कर रही है. संभवत: सरकार राजधानी और कुछ अन्य शहरों को बचाने के लिए अपने कदम वापस लेने पर मजबूर हो जाए क्योंकि लड़ाई के कारण विस्थापित हजारों लोग काबुल भाग आए हैं और खुले स्थानों और उद्यानों में रह रहे हैं. (इनपुट्स AFP से भी)