अफगानिस्तान से तीन भारतीय इंजीनियरों को रेस्क्यू किया गया है. ये तीनों उस प्रोजेक्ट साइट पर काम कर रहे थे, जो अफगानिस्तान के सरकारी बलों के नियंत्रण से बाहर हो गया था. ये जानकारी काबुल में भारतीय दूतावास ने दी. अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा को देखते हुए सुरक्षा से जुड़ी नई एडवाइजरी जारी की गई है और उसके सख्ती से पालन के निर्देश भी दिए गए हैं. ये तीनों इंजीनियर उस इलाके में काम कर रहे थे जो तालिबान के कब्जे में था.
बता दें कि अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सेना की वापसी के बाद तालिबान ने गुरुवार को काबुल के पास सामरिक रूप से महत्वपूर्ण और इस देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात पर कब्जा कर लिया. इसे मिलाकर तालिबान अब 34 प्रांतीय राजधानियों में से 11 पर कब्जा कर चुका है. बताया जा रहा है कि तालिबान का हेरात पर कब्जा उनके लिए बड़ी कामयाबी है. प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो एक सरकारी इमारत से भीषण गोलीबारी की आवाजें आईं. गजनी पर तालिबान के कब्जे के साथ अफगानिस्तान को दक्षिण प्रांतों से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण राजमार्ग कट गया है.
गौरतलब है कि अमेरिकी और नाटो के सैनिक करीब 20 साल पहले अफगानिस्तान आए थे और उन्होंने तालिबान का कब्जा खत्म किया था. अब जबकि अमेरिकी बलों की पूरी तरह वापसी से कुछ सप्ताह पहले तालिबान ने दोबारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन बढ़ा दिए हैं.अभी तक की स्थिति के अनुसार अभी तक प्रत्यक्ष रूप से काबुल पर कोई खतरा नहीं, लेकिन तालिबान ने देश के करीब दो तिहाई हिस्से पर पकड़ मजबूत कर ली. हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. लोगों को डर है कि तालिबान का दमनकारी शासन में जीवन जीना मुश्किल है.
अमेरिकी सेना का ताजा आकलन मानें तो काबुल 30 दिन के अंदर चरमपंथियों के दबाव में आ सकता है और मौजूदा स्थिति बनी रही तो कुछ ही महीनों में पूरे देश पर नियंत्रण हासिल कर सकता है. संभवत: सरकार राजधानी और कुछ अन्य शहरों को बचाने के लिए अपने कदम वापस लेने पर मजबूर हो जाए, क्योंकि लड़ाई के कारण विस्थापित हजारों लोग काबुल भाग आए हैं और खुले स्थानों और उद्यानों में रह रहे हैं.