कोविड-19 की उत्पत्ति की तलाश रुक गई है : डब्ल्यूएचओ की टीम में शामिल वैज्ञानिक

उल्लेखनीय है कि इस साल के शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विशेषज्ञों की टीम वुहान भेजी थी जहां पर दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस से मानव के संक्रमित होने का पहला मामला आया था.

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दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस से मानव के संक्रमित होने का पहला मामला आया था. (सांकेतिक तस्वीर)
लंदन:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) द्वारा कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए चीन भेजे गए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने बुधवार को कहा कि तलाश रुक गई है. उन्होंने चेतावनी दी कि इस रहस्य पर से पर्दा उठाने के रास्ते ‘ तेजी से बंद हो रहे हैं.'' इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा वायरस की उत्पत्ति संबंधी अनुसंधान की खुफिया समीक्षा अनिर्णायक साबित हुई है. वाशिंगटन पोस्ट द्वारा बुधवार को प्रकाशित खबर के मुताबिक खुफिया समीक्षा के दौरान इस निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैला या चीन की प्रयोगशाला से उसका प्रसार हुआ. जर्नल नेचर में प्रकाशित डब्ल्यूएचओ द्वारा तैनात विशेषज्ञों की टिप्पणी में कहा गया कि वायरस की उत्पत्ति संबंधी जांच ‘‘अहम मोड़'' पर है और तत्काल साझेदारी की जरूरत है लेकिन इसके स्थान पर गतिरोध बना हुआ है. उन्होंने रेखांकित किया कि अन्य बातों के साथ चीनी अधिकारी अब भी मरीजों की गोपनीयता का हवाला देते हुए कुछ आंकड़े देने को अनिच्छुक हैं.

उल्लेखनीय है कि इस साल के शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विशेषज्ञों की टीम वुहान भेजी थी जहां पर दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस से मानव के संक्रमित होने का पहला मामला आया था. टीम यह पता लगाने गई थी कि किन कारणों से महामारी फैली जिसकी वजह से अबतक करीब 45 लाख लोग पूरी दुनिया में जान गंवा चुके हैं और पांच अरब टीके की खुराक लगाने के बावजूद रोजाना दुनिया में 10 हजार से अधिक मौत हो रही हैं.

डब्ल्यूएचओं विशेषज्ञों का विश्लेषण मार्च में प्रकाशित किया गया था जिसमें जानवर से इंसान में वायरस के फैलने की आशंका जताई थी और उन्होंने कहा था कि प्रयोगशाला से वायरस के प्रसार की संभावना बहुत कम है. डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों का हालांकि कहना है कि उनकी रिपोर्ट महज पहला कदम है. उन्होंने कहा, ‘‘इस अहम मामले की जांच का अवसर तेजी से समाप्त हो रहा है. किसी भी तरह की देरी जैविक तरीके से कुछ अध्ययनों को लगभग असंभव बना देगा.'' उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए एंटीबॉडी समय के साथ कम होती जाती है और जो लोग दिसंबर 2019 में संक्रमित हुए थे उनके नमूनों की जांच बीतते समय के साथ लाभकारी साबित नहीं होंगी.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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