संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कांग ने शुल्क को लेकर अमेरिकी प्रशासन पर निशाना साधते हुए इस बात पर जोर दिया कि इससे चीन "जवाबी कदम उठाने को मजबूर हो सकता है और व्यापारिक युद्ध से किसी का भला नहीं होता." कांग ने कहा, "हम इस अनुचित वृद्धि का कड़ा विरोध करते हैं. हमारा मानना है कि यह डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के नियमों का उल्लंघन है." चीन फरवरी महीने के लिए 15 देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा अमेरिका में आयात होने वाली चीनी वस्तुओं पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाने के बारे में पूछे गए सवाल पर फू ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन विश्व व्यापार संगठन में शिकायत दर्ज करा रहा है और वह "जवाबी कदम उठाने के लिए मजबूर हो सकता है." अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको, कनाडा और चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर कड़े शुल्क लगाने संबंधी एक आदेश पर शनिवार को हस्ताक्षर किए थे. उन्होंने दावा किया था कि ये शुल्क "अमेरिकियों की सुरक्षा के लिए" आवश्यक हैं.
हालांकि, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम के साथ अलग-अलग वार्ताओं में ट्रंप ने दोनों देशों पर शुल्क लगाए जाने के फैसले के क्रियान्वयन पर कम से कम एक महीने के लिए रोक लगाने पर सहमति जतायी है. चीन के राजदूत ने इस बात पर जोर दिया कि "व्यापारिक युद्ध से किसी का भला नहीं होता. हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका को अपनी समस्याओं पर गौर करना चाहिए, वास्तव में उनका समाधान करना चाहिए... ऐसा समाधान ढूंढना चाहिए जो उसके लिए तथा पूरे विश्व के लिए लाभदायक हो."
फू ने कहा, "सच कहूं तो, मुझे नहीं लगता कि शुल्क बढ़ाने से अमेरिका को फायदा होगा." संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अपनी अध्यक्षता में चीन 18 फरवरी को "बहुपक्षवाद का अभ्यास, सुधार और वैश्विक शासन में सुधार" विषय पर एक उच्च स्तरीय चर्चा आयोजित करेगा, जिसकी अध्यक्षता चीन के विदेश मंत्री वांग यी करेंगे. उन्होंने कहा कि यदि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो बैठक के लिए न्यूयॉर्क आते हैं, तो "यह दोनों विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात का अच्छा अवसर होगा."
अमेरिका और चीन के बीच बिगड़ते संबंधों का संयुक्त राष्ट्र में दोनों देशों के बीच काम पर पड़ सकने वाले प्रभाव को लेकर फू ने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े देशों में "काफी समानताएं हैं" और वे सहयोग कर सकते हैं.
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