- ट्रंप ने फार्मा उत्पादों के आयात पर 1 अक्टूबर से 100 फीसदी टैरिफ लगाने का फैसला किया है
- अमेरिका को फार्मास्यूटिकल निर्यात का सबसे बड़ा स्रोत भारत है, जिसने 2024 में 8.7 अरब डॉलर की सप्लाई की थी
- 2022 में अमेरिका में डॉक्टरों द्वारा लिखी 10 में से 4 दवाइयां भारतीय कंपनियों की थीं, जिससे बड़ी बचत हुई है
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक और बड़ी घोषणा करते हुए फार्मा उत्पादों यानी दवाइयों के आयात पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. यह टैरिफ 1 अक्टूबर से लागू होगा. ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर भारतीय दवा निर्माताओं पर पड़ेगा. आपको बता दें कि भारतीय दवा निर्माताओं के लिए अमेरिका एक बड़ा बाजार है. हालांकि, जानकारों का ये भी मानना है कि ट्रंप के इस फैसले का असर अमेरिका पर सबसे ज्यादा पड़ेगा. भारत की दवा कंपनियों से ज्यादा इस टैरिफ का असर खुद अमेरिका पर होगा.
भारत दवाइयों का सबसे बड़ा सप्लायर, ट्रंप अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे?
ट्रंप के नए टैरिफ का सबसे ज्यादा असर भारतीय उत्पादों पर पड़ेगा. ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि भारत अमेरिका को दवाओं के सबसे बड़े सप्लायर्स में से एक है. 2024 में भारत का कुल फार्मा निर्यात 12.72 बिलियन डॉलर था. इनमें से 8.7 अरब डॉलर की सप्लाई अमेरिका को गई थी. जबकि वहां से केवल 80 करोड़ डॉलर के फार्मा प्रोडक्ट्स भारत आते हैं. अभी तक भारत अमेरिका से आने वाली इन दवाइयों पर 10.91 फीसदी टैरिफ लगाता है. वहीं अमेरिका भारतीय दवाओं पर कोई टैरिफ नहीं लगा रहा है. 2 अप्रैल 2025 के टैरिफ ऐलान में ट्रंप ने फॉर्मा सेक्टर को बाहर रखा था और इस पर कोई अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगाया था. लेकिन अब इन पर 100 फीसदी टैरिफ लगने से ये और महंगी होंगी.
रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में अमेरिका में सामान्य इस्तेमाल वाली 10 में से 4 दवाई भारतीय कंपनियों से आई थी. वास्तव में, भारतीय कंपनियों की दवाओं की वजह से ही 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को 219 अरब डॉलर और 2013 से 2022 तक कुल 1.3 ट्रिलियन डॉलर की बचत की. मतलब अमेरिका हमारी जेनेरिक दवाई खाकर पैसा बचा रहा है. अगले पांच सालों में भारतीय कंपनियों की जेनेरिक दवाओं से अमेरिका को अतिरिक्त 1.3 ट्रिलियन डॉलर की बचत होने की उम्मीद है.
उल्टा न पड़ जाए ये कदम
फार्मास्यूटिकल्स पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाना अमेरिका के लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकता है.अभी तक झिझक रहे ट्रंप ने जिद में यह फैसला ले लिया, लेकिन अमेरिकियों पर ही यह भारी पड़ सकता है.
- आयातित दवाएं, खासकर भारत से आने वाली जेनेरिक दवाएं, अमेरिकी हेल्थ सिस्टम की लागत को कम रखने में मदद करती हैं, जो दुनिया में सबसे महंगे हेल्थ सिस्टम्स में से एक है.
- हेल्थकेयर डेटा और एनालिटिक्स कंपनी आईक्यूवीआईए के मुताबिक 2022 में अमेरिका में दिए गए दस में से चार प्रिस्क्रिप्शन भारतीय कंपनियों के थे.
- अमेरिकी भारतीय दवाओं पर किस हद तक निर्भर हैं यह इस बात से समझा जा सकता है कि भारत निर्मित जेनेरिक रोसुवास्टैटिन (Rosuvastatin) के बाजार में आने के बाद 2016 और 2022 के बीच इसकी खपत दोगुनी हो गई.
- भारत अपने फार्मा निर्यात का 31.5 प्रतिशत अमेरिका को भेजता है. ट्रंप का यह टैरिफ बम दवा बनाने वाली भारतीय कंपनियों के लिए बड़ा झटका है. अमेरिकी बाजार में बहुत कम प्रॉफिट मार्जिन पर काम कर रहीं ये कंपनियां अमेरिकी बाजार से बाहर निकलने के लिए मजबूर हो सकती हैं.
- ट्रंप की ख्वाहिश है कि सभी फार्मा कंपनियां अमेरिका में प्लांट खोलें. ट्रंप ने अभी तक फार्मास्यूटिकल्स, कॉपर, सेमीकंडक्टर, लकड़ी, बुलियन, एनर्जी और कुछ मिनरल को रेसिप्रोकल टैरिफ से छूट दी हुई थी. लेकिन अब फार्मा पर वह अपना टैरिफ बम फोड़ चुके हैं.
इस फैसले पर अमेरिका की टूट जाएगी कमर
फार्मा प्रोडक्ट पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान करने से पहले इसी साल अगस्त में जब ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, उसे लेकर फार्मा क्षेत्र से जुड़े दिग्गजों की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई थी. उस दौरान भारतीय औषधि निर्यात संवर्धन परिषद (फार्मेक्सिल) ने कहा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अगस्त से भारत से आने वाले सभी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ और अपरिभाषित पेनाल्टी लगाने से अमेरिका में आवश्यक दवाओं की लागत बढ़ जाएगी, जिससे देश के उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को दीर्घकालिक रूप से नुकसान होगा.
हालांकि इन टैरिफ के तत्काल परिणामों से आवश्यक दवाओं की लागत में वृद्धि होने की संभावना है. उन्होंने कहा था कि इस फैसले का दीर्घकालिक और गंभीर प्रभाव होंगे. अमेरिकी बाजार, जो एपीआई और कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर है. दवा निर्माण और एपीआई उत्पादन को अन्य देशों या अमेरिकी घरेलू बाजार में बनाने में कम से कम 3-5 साल लगने का अनुमान है, लेकिन भारतीय कंपनियां कड़ी प्रतिस्पर्धा की चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं.
233 अरब डॉलर की दवाइयां आयात करता है अमेरिका
अमेरिका ने 2024 में लगभग 233 अरब डॉलर की दवाइयों और औषधीय उत्पादों का आयात किया. लिहाजा टैरिफ से कुछ दवाओं की कीमतें दोगुनी होने से जनता को झटका लग सकता है. स्वास्थ्य देखभाल का खर्च बढ़ने के साथ मेडिकेयर और मेडिकेड की लागत भी बढ़ सकती है.