- तालिबान और पाकिस्तान के उलेमा एक दूसरे के करीब आ रहे हैं, पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर की मुश्किलें बढ़ा सकता है
- जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के मौलाना फजलुर रहमान ने शहबाज और मुनीर की दोमुंही नीति की खुलकर आलोचना की थी
- अब तालिबान के आंतरिक मंत्री ने पाकिस्तान के धार्मिक नेताओं की खुलकर तारीफ की है
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच एक ऐसा नया गुट बनता दिख रहा है जो पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर की परेशानियों को बढ़ा सकता है. अफगानिस्तान को चलाने वाली तालिबान और पाकिस्तान के उलेमा एक दूसरे के करीब आ रहे हैं, यह ऐसा फ्रंट दिख रहा है जो अफगानिस्तान पर पाकिस्तान आर्मी के हमले की आलोचना से जरा भी परहेज नहीं कर रहा है. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के चीफ मौलाना फजलुर रहमान ने हाल ली में कराची के ल्यारी में बैठकर शहबाज और मुनीर पर निशाना साधते हुए उनके दोमुंहेपन को दुनिया के सामने रखा है. मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि अगर पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर हमला करना जायज है तो फिर भारत पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकियों को क्यों नहीं मार सकता. अब तालिबान को यह बयान रास आ रहा है, उसे पाकिस्तान के मदरसों की यह सोच अच्छी लग रही है.
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार तालिबान शासन के आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने रविवार को जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल सहित अफगानिस्तान के लिए अच्छे ख्याल और अच्छे इरादे रखने वाले पाकिस्तान के सभी संगठनों और नेताओं- उलेमाओं के प्रति अपना आभार व्यक्त किया है. उन्होंने यह टिप्पणी काबुल में एक कार्यक्रम के दौरान की, जिसमें मौलाना फजलुर रहमान के भाषण का खासतौर पर जिक्र किया गया.
अब तालिबान कर रहा तारीफ
अब सिराजुद्दीन हक्कानी ने 23 दिसंबर के सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि फजल और उलेमा मुफ्ती तकी उस्मानी ने "अफगानिस्तान के प्रति अपनी सद्भावना व्यक्त की, जिसके लिए हम इन सभी हस्तियों के प्रति बहुत आभारी हैं". उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के संबंध में पाकिस्तान के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार द्वारा भी "सकारात्मक और सद्भावना बयान" दिए गए.
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार हक्कानी ने कहा, "अगर दोनों देशों के बीच सद्भावना, अच्छी बातचीत और सकारात्मक संबंध स्थापित होते हैं और देशों को एक-दूसरे के करीब लाया जाता है, तो हम इसका स्वागत करते हैं."
इस बीच, अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने भी एक समारोह में इसी तरह के विचार रखे हैं. उन्होंने कहा: “हाल ही में, प्रसिद्ध मदरसों और यूनिवर्सिटी और पूरे पाकिस्तान से धार्मिक आंदोलनों और पार्टियों के विद्वान कराची में जमा हुए और अपनी सरकार को सबसे अच्छी सलाह दी... उन्होंने सबसे अच्छे निर्णय लिए. हम उनका सम्मान करते हैं. हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि जैसे विद्वानों ने पूरे इतिहास में सिस्टम और व्यक्तित्वों को सुधारने की कोशिश की है, उन्होंने शांति और अच्छाई के लिए प्रयास किया, उन्होंने भाईचारे और निकटता में भूमिका निभाई; उन्हें भविष्य में भी ऐसी ही भूमिका निभानी चाहिए."













