तालिबान के लड़ाकों ने अफगानिस्तान के ताखर प्रांत के एक गांव में एक बच्चे को फांसी पर लटकाकर मार डाला. इस क्रूरता की कहानी पंजशीर आर्ब्जवर ने सामने लाई है, जो पंजशीर (Panjshir) और अफगानिस्तान (Afghanistan) के मामलों में एक स्वतंत्र मीडिया समूह है. पंजशीर आर्ब्जवर ने एक ट्वीट में यह जानकारी दी है और तालिबान की इस करतूत को #WarCrimes जैसे हैशटैग के साथ ट्वीट किया है. तालिबान की ऐसी क्रूरता ने यह संदेश दिया है कि उसके खिलाफ आवाज उठाने वालों का क्या हश्र होता है. लेकिन इससे तालिबान के मानवाधिकार के मुद्दे पर सुधार के दावे खोखले साबित हुए हैं.
तालिबान के सत्ता में आने के अभी डेढ़ महीने ही हुए हैं, लेकिन उसकी क्रूरता की दिल दहला देने वाली खबरें सामने आने लगी हैं. तालिबान ने ताखर प्रांत में एक बच्चे को फांसी (Child Executes) पर लटका दिया था. बच्चे का कसूर सिर्फ इतना था कि उसके पिता पर तालिबान के विरोधी अफगान रजिस्टेंस फोर्स (Afghan Resistance Forces) का सदस्य होने का संदेह था.
इससे पहले तालिबान कई अपहरणकर्ताओं को सूली पर लटका चुका है, जिन पर लोगों का अपहरण कर फिरौती वसूलने का आरोप है. तालिबान ने कई इलाकों में पुरुषों के दाढ़ी कटवाने या हेयर स्टाइल रखने पर भी पाबंदी लगा दी है. हालांकि तालिबान 15 अगस्त को सत्ता में आने के बाद उदारवादी चेहरा पेश करने की कोशिश की थी. उसने लड़कियों को पढ़ाई करने की इजाजत भी दे दी थी, लेकिन अब इसमें कई शर्तें थोप दी हैं.
लड़कों और लड़कियों की पढ़ाई अलग-अलग स्कूलों में कराने का निर्देश है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकी समूह अपने पुराने कट्टरपंथी और हिंसक रवैये पर लौट आया है. हिंसा हमेशा से ही तालिबान का सबसे बड़ा हथियार रहा है. बिना किसी रक्तपात के अफगानिस्तान की सत्ता पर नियंत्रण का उसका दावा भी खोखला साबित हुआ है.